कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम को तालिबान का समर्थन
२७ जनवरी २०२१अफगानिस्तान सहायता विश्व स्वास्थ्य संगठन के कोवैक्स कार्यक्रम के तहत दी जा रही है. तालिबान ने यह घोषणा ऐसे समय में की है जब पिछले साल सितंबर से उसकी और सरकार के बीच शांति वार्ता चल रही है. बातचीत के बावजूद देश में हिंसा का दौर जारी है और आतंकवादी घटनाएं कम नहीं हो रही हैं. इस बीच तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि उनका समूह टीकाकरण अभियान को "मदद और सुविधा" देगा.
टीकाकरण अभियान अफगानिस्तान में स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से चलाया जाएगा. सरकार का मानना है आतंकी टीकाकरण कार्यक्रम के सदस्यों पर हमला नहीं करेंगे क्योंकि वे दरवाजे तक नहीं जाएंगे. फंडिंग की घोषणा करते हुए स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा यह कार्यक्रम देश की 3.8 करोड़ आबादी के 20 प्रतिशत तक पहुंच पाएगा.
भारत भी देगा मदद
कोवैक्स एक वैश्विक पहल है जिसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सभी देशों को, भले ही उनकी आय का स्तर जो भी हो, कोविड-19 का टीका तेजी से और समान तरीके से पहुंचे. डब्ल्यूएचओ साल के अंत तक दो अरब वैक्सीन दुनिया के सबसे जोखिम वाले 20 प्रतिशत लोगों तक पहुंचाना चाहता है. इसके तहत उसने 91 देशों तक टीका पहुंचाने का लक्ष्य रखा है.
अफगानिस्तान के उप स्वास्थ्य मंत्री वहीद मोजराह ने पत्रकारों को बताया कि वैक्सीन मिलने में छह महीने तक लग सकते हैं लेकिन अधिकारी जल्द पाने की कोशिशों में लगे हुए हैं. अफगानिस्तान में अब तक कोरोना वायरस के 54,854 मामले दर्ज किए जा चुके हैं और 2,390 लोगों की मौत हुई है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि जांच में कमी और चिकित्सा सुविधाओं तक पहुंच सीमित होने के कारण कम मामले दर्ज किए जा रहे हैं. युद्धग्रस्त देश होने के कारण स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है.
अफगानिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय में टीकाकरण विभाग प्रमुख गुलाम दस्तगीर नाजरी के मुताबिक कोवैक्स के अलावा देश को भारत से एस्ट्राजेनेका की पांच लाख खुराकें भी मिलने वाली हैं. नाजरी के मुताबिक, "एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन जो भारत में निर्मित हो रही है वह जल्द अफगानिस्तान आएगी." भारत सरकार के एक सूत्र ने पुष्टि की है कि पांच लाख खुराकें अफगानिस्तान के लिए अलग रख दी गई हैं. एक और अधिकारी ने बताया कि वैक्सीन की पहली खेप फरवरी में अफगानिस्तान पहुंच जाएगी. हालांकि काबुल ने लोगों को वैक्सीन देने के प्रोटोकॉल को अब तक नहीं अपनाया है.
एए/सीके (रॉयटर्स)
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