अपनी ही सरकार पर मुकदमा करेंगे इटली के लोग
२४ दिसम्बर २०२०फरवरी 2020 में उत्तरी इटली के लोम्बार्डी इलाके कोरोना बेकाबू होने लगा. पहली लहर में चीन के बाहर कोरोना की सबसे बुरी मार इटली के इसी इलाके पर पड़ी. अब सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इटली की सरकार पर केस दायर करने का एलान किया है. याचिकाकर्ताओं ने नोइ डेनुनसेर्मो नाम का एक फेसबुक ग्रुप बनाया है. संघ का आरोप है कि महामारी की शुरुआत से ही प्रशासन नाकाम रहा. इस नाकामी के लिए सरकार से 10 करोड़ यूरो का हर्जाना भी मांगा जा रहा है.
लोम्बार्डी के बेरगामों शहर में सरकार के खिलाफ 300 से ज्यादा शिकायतें दर्ज कराई जा चुकी हैं. शिकायतों में इटली के प्रधानमंत्री जुसेप्पे कोंते, स्वास्थ्य मंत्री रॉबेर्टो स्पेरांजा और लोम्बार्डी के गर्वनर एटिलियो फोनटाना को निशाने पर लिया गया है. इटली में अब तक कोरोना वायरस से 70,000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं.
नोइ डेनुनसेर्मो के मुताबिक, लोम्बार्डी के अलसानो हॉस्पिटल को कोरोना वायरस का पहला केस आने के बाद बंद किया था. 23 फरवरी को अस्पताल को फिर से खोल दिया गया. शुरुआत में इस अस्पताल से भी कोरोना काफी फैला.
केंद्र और राज्य के बीच आरोप प्रत्यारोप
याचिकाकर्ताओं के साझा बयान में कहा गया है कि वायरस के फैलने के बावजूद अलसानो और नेमब्रो जैसे शहरों को काफी देर में बंद किया गया. उस दौरान स्थानीय और प्रांतीय स्तर पर महामारी से निपटने का कोई प्लान नहीं बनाया गया.
इटली की सरकार ने 10 मार्च को देश भर में लॉकडाउन लागू किया. अभियोजक इस बात की जांच कर रहे हैं कि स्थानीय स्तर पर पहले ही लॉकडाउन क्यों लागू नहीं किया गया. प्रांतीय प्रशासन और केंद्र सरकार एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.
क्रिसमस में मृतकों की याद
याचिकाकर्ताओ के संगठन नोइ डेनुनसेर्मो के अध्यक्ष लुका फुस्को कहते हैं, "इस कार्रवाई को अपनी जिम्मेदारी ना निभाने वालों के लिए क्रिसमस के तोहफे के रूप में देखा जाना चाहिए. इस बार 25 दिसंबर को इटली में 70,000 कुर्सियां खाली रहेंगी.”
फुस्को ने यह भी कहा, "यूरोपीय संघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन बार बार सही तैयारियों की दरख्वास्त करते रहे. अगर ऐसा होता तो हमें यकीन है कि ये संख्या कम होती.”
इटली में करीब साढ़े चार महीने हाहाकार मचाने के बाद कोरोना की पहली लहर मध्य जुलाई में कमजोर पड़ी.अब दूसरी लहर भी जानलेवा साबित हो रही है. देश में इस बार लॉकडाउन नहीं लगाया गया है. हालांकि क्रिसमस और नए साल के मौके पर पूरे देश में कईतरह की पाबंदियां लागू की गई हैं.
ओएसजे/एनआर (एएफपी)
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