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'अच्छे दिन' की आस लगाए कारोबारियों के बुरे हुए हालात

निधि सुरेश
७ मई २०२१

भारत में कोराना महामारी की दूसरी लहर का असर लोगों की जिंदगी के साथ-साथ अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है. पहली लहर कम होने के बाद, कारोबारियों के बीच उम्मीद जगी थी कि ‘अब अच्छे दिन आएंगे’ लेकिन हालात और बुरे हो गए.

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Indien Coronavirus-Ausbruch
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/H. Bhatt

मुंबई के उपनगरीय इलाके में राकेश कुमार नायल किराने की दुकान चलाते हैं. 55 साल के नायल पिछले 18 वर्षों से यह दुकान चला रहे हैं. वह कहते हैं, "कारोबार 25 प्रतिशत तक कम हो गया है. जिन लोगों के पास मेरा मोबाइल नंबर है सिर्फ वही लोग ऑर्डर देते हैं. बाकी लोग ग्रोफर्स और डी-मार्ट जैसी ऑनलाइन सेवा देने वाली कंपनियों से खरीदारी कर रहे हैं. मेरी दुकान में 5 कर्मचारी हैं. ऐसे में महज चार घंटे दुकान खोलकर उन्हें कैसे वेतन दे सकते हैं और हमारा खर्च कैसे निकलेगा? कभी-कभी पुलिस हमें दुकान बंद करने के लिए भी परेशान करती है. हम अपने शटर बंद कर देते हैं और इस तंग जगह में ही सामानों के बीच किसी तरह अपना काम करते हैं. शटर बंद होने पर हवा भी अंदर नहीं आती. कारोबार करना काफी मुश्किल हो गया है.”

यह कहानी सिर्फ एक राकेश की नहीं है. देश की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई में हजारों की संख्या में ऐसे खुदरा विक्रेता हैं जो इसी तरह की समस्या का सामना कर रहे हैं. सबसे खराब स्थिति तो उन दुकानदारों की है जिनकी दुकान ‘जरूरी वस्तुओं की दुकान' के तहत नहीं आतीं. ये लोग तो चार घंटे भी अपनी दुकान नहीं खोल सकते हैं. 

महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था करीब 300 अरब डॉलर की है. कोरोना महामारी की दूसरी लहर में तेजी से बढ़ते मामले को देखते हुए राज्य में 4 अप्रैल को वीकेंड लॉकडाउन की घोषणा की गई. इसके बाद, 14 अप्रैल से पूरी तरह से लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई. सरकार की ओर से घोषणा की गई कि सिर्फ आवश्यक वस्तुओँ की दुकानें सुबह 7 बजे से लेकर दोपहर 11 बजे तक मात्र चार घंटे के लिए खुलेंगी. मॉल, सिनेमाघर, क्लब, स्पा, रेस्टॉरेंट, बार, ब्यूटी पार्लर सहित अन्य कारोबार पूरी तरह बंद रहेंगे. महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने हाल ही में घोषणा की कि कोविड-19 के वायरस की ‘चेन को तोड़ने के लिए' 15 मई तक ये सारे प्रतिबंध लागू रहेंगे.

सेवा क्षेत्र से जुड़े कारोबार के सामने गंभीर संकट

रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सीईओ कुमार राजागोपालन का मानना है कि खपत को बनाए रखने और इन कारोबारों को चालू रखने के लिए, सरकार को गैर-आवश्यक सेवाओं की होम डिलीवरी की अनुमति देनी चाहिए. उन्होंने डॉयचे वेले से कहा, "नागरिकों को भोजन के अलावा दूसरी वस्तुएं भी चाहिए. बिना किसी परेशानी के उनकी इन जरूरतों को भी पूरा किया जाना चाहिए.”

मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष कमल ज्ञानचंदानी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने कहा कि आठ महीने तक कोई पैसा नहीं कमाने के बाद, पांच महीने सिनेमा उद्योग ने कुछ पैसे कमाए लेकिन अब स्थिति बदतर होती जा रही है. अब यह उद्योग दिवालिया होने की कगार पर आ गया है.

मॉल और होटल, दोनों लगभग एक तरह की समस्या का सामना कर रहे हैं. पश्चिम भारत के होटल एंड रेस्टॉरेंट एसोसिएशन के सीनियर वाइस प्रेसिंडेंस प्रदीप शेट्टी कहते हैं, "पिछले साल लगे लॉकडाउन के बाद से राज्य के करीब 35 प्रतिशत होटल और रेस्तरां अभी भी बंद हैं.”

मुंबई के विवियाना मॉल के सीईओ गुरवनीत सिंह कहते हैं, "पहले लॉकडाउन के बाद, देश में सबसे आखिर में महाराष्ट्र के मॉल खुले. ये मॉल करीब पांच महीने तक खुले रहे और फिर कोविड महामारी की दूसरी लहर आ गई. हम पहली लहर में हुए नुकसान से उबरे भी नहीं थे और हमें इसे फिर से बंद करना पड़ा. हमें कभी भी सरकार से कोई मदद नहीं मिली.”

भारत में कोरोना के बेकाबू होने का जिम्मेदार कौन?

अर्थव्यवस्था को संभालने की चुनौती

सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के अनुसार, महाराष्ट्र देश का सबसे अमीर राज्य है, और देश की कुल जीडीपी में इसका योगदान 15 प्रतिशत है. मुंबई स्थित रेटिंग एजेंसी केयर रेटिंग्स ने अनुमान लगाया है कि लॉकडाउन के हर महीने में जीडीपी का लगभग 5.4 अरब डॉलर का नुकसान हो रहा है.

संभावित राष्ट्रीय लॉकडाउन के प्रभाव का अध्ययन करते हुए, बोफा सिक्योरिटीज ने इंद्रनील सेन गुप्ता और आस्था गुदवानी के लिखे गए नोट को प्रकाशित किया है. इसमें कहा गया है कि पूरे देश में एक महीने तक लॉकडाउन लगने की लागत 100-200 आधार बिंदु (बीपीएस) (जीडीपी का 1-2%) होती है.

नोट कहता है, "यह वित्त वर्ष 22 के लिए, हमारे 9% वास्तविक जीडीपी में बढ़त के पूर्वानुमान के लिए 300 बीपीएस (3%) जोखिम (कमी) पैदा करता है."

एशिया-पैसेफिक फाइनैंशियल इंस्टीट्यूशन एस एंड पी ने यह भी बताया है कि महामारी को नियंत्रित करना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा बना हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है, "अर्थव्यवस्था पर देशव्यापी लॉकडाउन का असर, उसके समय और दायरे पर निर्भर करता है.”

इन तमाम बातों के बावजूद, महाराष्ट्र के बाद देश के कई राज्यों ने वायरस को रोकने के लिए पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन की घोषणा की है. अभी के लिए, यह स्पष्ट है कि कोरोना की पहली लहर के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था ने जो रफ्तार पकड़ी थी, उसे दूसरी लहर ने फिर से रोक दिया है. अब देखना यह है कि किस तरह से भारत की सरकार कोरोना महामारी से निपटते हुए अर्थव्यवस्था को संभालती है.

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