अखिलेश होंगे यूपी के सबसे युवा मुख्यमंत्री
१० मार्च २०१२समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां ने विधायक दल की बैठक में अखिलेश यादव के नाम का प्रस्ताव रखा जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया. मुलायम सिंह के भाई शिवपाल सिंह यादव ने आजम खां के प्रस्ताव का समर्थन किया. इसके बाद अखिलेश अपनी जगह से उठे और झुक कर पिता के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया. इसी महीने की 15 तारीख को भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अखिलेश की ताजपोशी की जाएगी.
38 साल के अखिलेश यादव राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री होंगे. राज्य में पिछले दिनों हुए चुनाव में समाजवादी पार्टी ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन कर बहुमत हासिल किया है. 403 सदस्यों वाली विधान सभा में समाजवादी पार्टी ने 224 सीटों पर जीत हासिल की है. चुनावी जीत में अखिलेश यादव की बड़ी भूमिका रही है. पूरे सूबे का दौरा कर अखिलेश ने अपने लिए लोगों के दिल में जगह बनाई है और वो भी तब जब उनके सामने कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी भी राज्य की बदहाली दिखाने के लिए सड़कों की धूल फांक रहे थे. इन चुनावों ने न सिर्फ अखिलेश यादव को राजनेता के रूप में स्थापित किया है बल्कि राहुल गांधी के बेअसर होने का प्रमाण भी दे दिया है.
12 साल से सांसद रहे अखिलेश ने बदलते वक्त की मांग पर पार्टी की लाइन में बदलाव करने का माद्दा दिखाया और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के शासन में हुई गड़बड़ियों का फायदा उठाने में पूरी तरह कामयाब रहे. समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह ने भी मौके की नजाकत भांपते हुए उन्हें चुनावों के दौरान अहम फैसले करने की छूट दी.
चुनावों में जीत के बाद से ही अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाए जाने के कयास लगने लगे थे. पार्टी के भीतर से उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग बहुत जोरदार तरीके के उठ रही थी. हालांकि शुरूआत में उनके चाचा शिवपाल सिंह ही उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने का विरोध कर रहे थे. बाद में उन्हें मुलायम सिंह ने इस बात के लिए राजी कर लिया.
अखिलेश यादव फिलहाल कन्नौज से सांसद हैं. 2009 में उन्हें समाजवादी पार्टी का प्रदेश प्रमुख बनाया गया. भारत से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने ऑस्ट्रेलिया से पर्यावरण यांत्रिकी की पढ़ाई की. हिंदी और अंग्रेजी में दक्षता रखने वाले अखिलेश मीठी जुबान रखते हैं, लेकिन हिंदी को प्राथमिकता देते हैं. उन्हें सार्वजनिक रूप से कभी उत्तेजित होते नहीं देखा गया.
राजनीतिक जानकार हालांकि उनके लिए आगे की राह ज्यादा मुश्किल मान रहे हैं. जानकारों का कहना है कि विरासत के रूप उन्हें ऐसे सूबा मिला है जहां प्रशासन भ्रष्टाचार में डूबा है और राजनीति पर हिंसा और जातिवाद का साया है. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक शेखर गुप्ता कहते हैं, "अखिलेश कभी किसी सरकारी पद पर नहीं रहे हैं. अगर वो सफल होते हैं और लोगों को भरोसा दिलाने में कामयाब रहते हैं कि उन्हें चुनने में जनता से कोई गलती नहीं हुई तो वो लंबे समय के लिए भारतीय राजनीति में खुद को स्थापित कर सकेंगे."
अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री पद के लिए उनके नाम का एलान होने के बाद कानून व्यवस्था को अपनी प्राथमिकता बताया है. प्रेस कांफ्रेंस में अखिलेश ने कहा, "बहुत जल्द अच्छे और ईमानदार अफसर अपनी जगह संभाल लेंगे."
रिपोर्टः पीटीआई, डीपीए/एन रंजन
संपादनः महेश झा