अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क बनाते नवनाजी
२५ सितम्बर २०१३ग्रीस में संगीतकार पावलोस फिसास की हत्या ने ग्रीस के अधिकारियों के कान खड़े कर दिए हैं. संगीतकार फिसास फांसीवाद का विरोध करते रहे. 18 सितंबर को राजधानी एथेंस के पास उनकी हत्या कर दी गई. बताया जाता है कि संदिग्ध आरोपी ग्रीस की दक्षिणपंथी पार्टी गोल्डन डॉन से जुड़ा हुआ था. इस दक्षिणपंथी पार्टी को 2012 के संसदीय चुनावों में सात फीसदी वोट मिले. इसी साल एक पाकिस्तानी नागरिक की हत्या के मामले भी शक की सुई गोल्डन डॉन तक पहुंची. पार्टी इन आरोपों से इनकार करती है.
पाकिस्तानी नागरिक की हत्या के बाद एथेंस में उदारवादियों और वामपंथियों ने नवनाजियों के खिलाफ प्रदर्शन किया था. फिसास की हत्या ने फिर प्रदर्शनकारियों को जमा किया. शनिवार को व्यापक प्रदर्शन हुए. दो पुलिस अधिकारियों पर भी लापरवाही का आरोप लगा. सोमवार को दोनों ने इस्तीफा दे दिया. बढ़ते दवाव के बीच ग्रीस की पुलिस नवनाजियों के अड्डों पर छापे मार रही है. पुलिस अधिकारियों ने हथियार रखने वाले गोल्डन डॉन के कई सदस्यों को गिरफ्तार किया है.
यूरोप में फैला नेटवर्क
गोल्डन डॉन के सहयोगी पूरे यूरोप में हैं. 2004 में गोल्डन डॉन यूरोप के अति दक्षिणपंथियों के संगठन यूरोपीयन फ्रंट अलायंस से जुड़ी. इसमें जर्मनी की पार्टी एनडीपी और स्पेन की ला फलांगे भी शामिल है. जर्मनी में नवनाजियों के गुट एनएसयू के अपराधों की जांच में पुलिस को बड़े अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का पता चला है. जर्मन पुलिस के मुताबिक दक्षिणपंथी चरमपंथी एक दूसरे की मदद कर रहे हैं. दक्षिणपंथी चरमपंथ के विशेषज्ञ आंद्रेयास श्पाइट इस पर कई किताबें लिख चुके हैं. दक्षिणपंथियों की गतिविधियों को वो कई श्रेणियों में रखते हैं, "आपको इसे तीन श्रेणियों में बांटना होगा. एक उपसांस्कृतिक माहौल, एक आक्रमक नवनाजी और तीसरे नेता."
श्पाइट के मुताबिक सांस्कृतिक स्तर पर ये दक्षिणपंथी युवाओं और किशोरों को आकर्षित करने की कोशिश करते हैं. वो दक्षिणपंथी रॉक कंसर्ट कराते हैं. कुछ जर्मन बैंड नस्लवादी गानें गाते हैं और पूरे यूरोप का दौरा करते हैं. श्पाइट कहते हैं, "दक्षिणपंथी रॉक बैंड होने के नाते ये इटली और ग्रीस जैसे देशों में कार्यक्रम करते हैं." जर्मनी में प्रतिबंधित गानों की सीडी विदेशों में तैयार की जाती हैं और गैरकानूनी ढंग से जर्मनी लाई जाती हैं.
विदेशों में अपराध करते जर्मन नवनाजी
विशेषज्ञों के मुताबिक हिंसक दक्षिणपंथियों के आपसी सहयोग से ये अपराध ज्यादा संगीन होते जा रहे हैं. कु क्लुक्स क्लान, कॉम्बैट 18 और ब्लड एंड ऑनर जैसे संगठन तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय हैं. वे अपराध कर चुके दक्षिणपंथियों को दूसरे देशों में छुपने में मदद कर रहे हैं. दक्षिण पूर्व एशिया में भी ऐसे संगठन हैं. मलेशिया के नवनाजी शुद्ध मलय नस्ल का नारा दे रहे हैं. श्पाइट स्थानीय प्रशासन को भी जिम्मेदार ठहराते हैं, "हाल के सालों में ऐसे गुट मजबूत हुए हैं क्योंकि स्थानीय खुफिया एजेंसियों ने ऐसा होने दिया."
अंतरराष्ट्रीय नेटवर्किंग की वजह से ही जर्मनी के नवनाजियों ने दूसरे देशों में जाकर अपराध किए. श्पाइट कहते हैं, "ऐसा हुआ है, जब जर्मन नवनाजी चेक गणराज्य गए और वहां उन्होंने रोमा और सिंती लोगों पर हमले किए या वो ग्रीस गए, वहां उन्होंने गोल्डन डॉन के काम करने का तरीका देखा. आप इसे वॉयलेंस टूरिज्म कह सकते हैं."
वैसे दूसरी तरह के अतिवादी दक्षिणपंथी भी कानूनी तरीकों से अपना प्रभाव फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. द यूरोपीयन अलायंस फॉर फ्रीडम और अलायंस ऑफ यूरोपीयन नेशनल मूवमेंट्स, ये दो अलग अलग पार्टियां हैं जो यूरोपीय संसद के चुनाव की तैयारियां कर रही हैं. श्पाइट कहते हैं, "नवनाजी देश की सरहदों के हिसाब से नहीं सोचते, वो एक दूसरे की गतिविधियों में बाधा नहीं डालते, लेकिन वो पूरी दुनिया पर श्वेत नस्ल का नियंत्रण देखना चाहते हैं."
यूरोप के सभी देशों के दक्षिणपंथी गुटों में एक और बात समान है और ये है यहूदियों से नफरत. यही वजह है कि कई नवनाजी ईरान के पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद को सम्मान देते हैं. अगस्त 2005 से अगस्त 2013 तक राष्ट्रपति रह चुके अहमदीनेजाद अपने कार्यकाल में खुलकर इस्राएल के खिलाफ बोले और उसे पूरी तरह खत्म करने की धमकी भी दे डाली. इस्लामी चरमपंथियों और नवनाजियों के बीच संबंध नई बात नहीं हैं. श्पाइट कहते हैं, "1920 के दशक में ही यूरोप के दक्षिणपंथी गुटों और अरब जगत के बीच मजबूत गठजोड़ था. दक्षिणपंथियों को लगा कि दूसरे संगठन भी परंपराओं पर टिके हैं जैसे महिलाओं की जिम्मेदारी के बारे में."
आर्थिक संकट का असर
श्पाइट चेतावनी देते हुए कह रहे हैं कि दुनिया भर में दक्षिणपंथी विचारधारा फैल रही है. आर्थिक संकट और मध्य वर्ग के सामने खड़ी असमजंस की स्थिति इसमें मदद कर रही है, नवनाजी तो बस इसका फायदा उठा रहे हैं, "हमें लगता है कि यूरोपीय संसद के चुनावों में उन्हें ज्यादा जनमत मिलेगा."
दक्षिणपंथी संगीत के सहारे हैरान करने वाली रफ्तार से अपनी बात किशोरों और युवाओं तक पहुंचा रहे हैं. युवाओं को लगता है कि वो स्थानीय बैंड के साथ इटली जाकर कंसर्ट में शामिल होंगे. युवाओं को पता ही बहुत देर में चलता है कि वो संगीत के नाम पर किस विचारधारा की ओर धकेले जा रहे हैं. श्पाइट कहते हैं, "समस्या से मुंह मोड़ने से दिक्कत दूर नहीं होगी. अगर आपका दक्षिणपंथी से सामना हो तो आपके पास उसे बदलने का एक मौका है."
रिपोर्ट: क्रिस्टियान इग्नात्जी/ओ सिंह
संपादन: आभा मोंढे