दुनिया में आने वाली है परमाणु हथियारों की बाढ़ः रिपोर्ट
१३ जून २०२२स्टॉकहोम स्थित इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) ने सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी विवाद के चलते बढ़ रहे अंतरराष्ट्रीय तनाव का असर परमाणु हथियारों के जखीरे पर दिखाई देगा. सिप्री ने अनुमान जाहिर किया है कि दुनिया की परमाणु शक्ति संपन्न ताकतों ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, भारत, इस्राएल, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, अमेरिका और रूस के पास इस साल पिछले साल के मुकाबले कम परमाणु हथियार हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक इस साल की शुरुआत में इन देशों के पास 12,705 परमाणु हथियार थे जो पिछले साल से 375 कम थे. सिप्री ने यह भी स्पष्ट किया है कि 2022 में आई कमी दरअसल अमेरिका और रूस द्वारा उन हथियारों को हटाने से जुड़ी है जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं. रिपोर्ट कहती है कि सक्रिय हथियारों की संख्या "कमोबेश स्थिर" बनी हुई है.
1986 की तुलना में तो यह संख्या बेहद कम हो चुकी है जबकि दुनिया में 70,000 से ज्यादा परमाणु हथियार थे. लेकिन शीत युद्ध खत्म होने के बाद सबसे बड़ी परमाणु ताकतों रूस और अमेरिका ने अपने हथियारों में कमी करनी शुरू की, जिसके चलते कुल परमाणु हथियारों की संख्या तेजी से घटी.
निरस्त्रीकरण समाप्ति की ओर
लेकिन सिप्री ने कहा है कि लगता है परमाणु निरस्त्रीकरण का युग अब खत्म होने के कगार पर है और शीत युद्ध के बाद परमाणु युद्ध का खतरा अपने चरम पर है. रिपोर्ट के सह-लेखक मैट कोरडा ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "जल्दी ही, हम एक ऐसे मरहले पर पहुंच जाएंगे जहां शीत युद्ध के बाद पहली बार परमाणु हथियारों की संख्या बढ़नी शुरू हो जाएगी. यह बेहद खतरनाक बात है."
सिप्री ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले परमाणु हथियारों में मामूली कमी जरूरी हुई है लेकिन आने वाले दशक में इनके बढ़ने की ही संभावना है. यूक्रेन के साथ युद्ध के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक से ज्यादा मौकों पर परमाणु हथियारों का जिक्र किया है. सिप्री ने कहा कि चीन और ब्रिटेन समेत कई देशों ने आधिकारिक या अनाधिकृति रूप से अपने जखीरे का आधुनिकीकरण शुरू कर दिया है. कोरडा ने कहा, "इस युद्ध के कारण आने वाले सालों में निरस्त्रीकरण में प्रगति बेहद मुश्किल हो जाएगी. चिंताजनक बयानबाजी के कारण अन्य कई परमाणु शक्ति-संपन्न देश अपनी परमाणु रणनीति बदल रहे हैं."
हालांकि एक तथ्य यह भी है कि 2021 की शुरुआत में ही संयुक्त राष्ट्र की परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने वाली अंतरराष्ट्रीय संधि लागू हुई थी और इस साल अमेरिका और रूस ने अपनी ‘न्यू स्टार्ट' संधि को पांच साल के लिए बढ़ा दिया है जिसके तहत दोनों देश परमाणु हथियारों में कमी पर सहमत हैं. लेकिन सिप्री का कहना है कि कुछ समय से स्थिति खराब होती जा रही है. मसलन, ईरान का परमाणु कार्यक्रम और कई देशों द्वारा हाइपरसोनिक मिसाइलों का तेजी से विकास चिंताजनक बातें हैं.
सब बढ़ा रहे हैं जखीरा
रूस और अमेरिका के पास दुनिया के 90 प्रतिशत परमाणु हथियार हैं. 2022 की शुरुआत में 5,977 हथियारों के साथ रूस विश्व का सबसे अधिक परमाणु हथियारों वाला देश है. हालांकि पिछले साल के मुकाबले उसके जखीरे में 280 हथियारों की कमी हुई है. सिप्री का अनुमान है कि रूस के पास कम से कम 1,600 हथियार ऐसे हैं जिन्हें फौरन इस्तेमाल किया जा सकता है.
उधर अमेरिका के पास पिछले साल से 120 कम यानी 5,428 परमाणु हथियार हैं. हथियारों की संख्या में भले ही अमेरिका रूस से पीछे हो लेकिन उसने रूस से 1,750 ज्यादा परमाणु हथियारों की तैनाती कर रखी है.
कुल संख्या के मामले में चीन तीसरे नंबर पर है. उसके पास 350 परमाणु हथियार हैं. उसके बाद फ्रांस (290), ब्रिटेन (225), पाकिस्तान (165), भारत (160) और इस्राएल (90) का नंबर है. इनमें इस्राएल ही एक ऐसा देश है जो औपचारिक तौर पर परमाणु हथियार होने की बात स्वीकार नहीं करता.
सिप्री ने पहली बार उत्तर कोरिया के हथियारों की संख्या का भी जिक्र किया है. रिपोर्ट के अनुसार उसके पास 20 वॉर हेड हैं और करीब 50 हथियार विकसित करने का कच्चा माल है. इसी साल की शुरुआत में सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस और अमेरिका ने एक साझा बयान जारी कर कहा था कि "परमाणु युद्ध कभी नहीं जीता जा सकता और कभी नहीं होना चाहिए."
फिर भी, सिप्री का कहना है कि सभी पांच देश अपने अपने परमाणु जखीरे को बढ़ा रहे हैं या आधुनिक बना रहे हैं. सिप्री ने कहा, "चीन अपने परमाणु हथियारों में अच्छी-खासी वृद्धि के करीब है. उपग्रह से ली गईं तस्वीरें बताती हैं कि उसने मिसाइलों को रखने के लिए 300 नई खत्तियां बनाई हैं." अमेरिकी रक्षा मंत्रालय का अनुमान है कि 2027 तक चीन के पास 700 वॉर हेड होंगे.
वीके/एए (एएफफी, रॉयटर्स)