इन दिल तोड़ती तस्वीरों को आप रोक सकते हैं
आज विश्व पर्यावरण दिवस है. संयुक्त राष्ट्र की आम सभा ने 1972 में 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के तौर पर अपनाया था. इस साल आयोजन की 50वीं सालगिरह है. इस साल का फोकस प्लास्टिक प्रदूषण के समाधानों पर है.
सिंगल-यूज प्लास्टिक है बड़ा संकट
प्लास्टिक प्रदूषण सबसे गंभीर पर्यावरण संकटों में से एक है. दुनिया में सालाना करीब 43 करोड़ टन से ज्यादा प्लास्टिक का उत्पादन होता है. इसमें से आधा सिंगल-यूज प्लास्टिक है, जिसमें 10 फीसदी से भी कम रीसाइकल होता है.
हर जगह पहुंच गया है प्लास्टिक
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बड़े स्तर पर प्लास्टिक का व्यावसायिक उत्पादन बढ़ा और कुछ ही दशकों में इसका इस्तेमाल हमारी जिंदगी के कोने-कोने में फैल गया. कई मामलों में प्लास्टिक ने क्रांतिकारी बदलाव किए, लेकिन सिंगल-यूज प्लास्टिक जैसी इस्तेमाल करे और फेंको की संस्कृति ने प्लास्टिक उत्पादन और खपत में बेहिसाब इजाफा किया.
समंदर भी बन गया है गटर
अनुमान है कि लगभग सवा दो करोड़ टन तक प्लास्टिक नदियों, झीलों और समंदर में पहुंचता है. प्लास्टिक प्रदूषण के लिए समुद्र एक विशाल हौदी जैसा है. बड़ी नदियां और कचरे को पानी में बहाने की प्रवृत्ति प्लास्टिक का अंबार समुद्र में पहुंचाती है. कचरे का एक बड़ा हिस्सा समुद्र में ही बना रहता है. कई बार लहरें उसे दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में किनारे तक पहुंचा देती हैं.
धरती के सुदूर हिस्सों तक भी पहुंचा
इसके नतीजे की झलकियां वक्त-वक्त पर आपको उन तस्वीरों में मिलेंगी, जिनमें प्लास्टिक की थैली में उलझकर किसी कछुए की जान पर बन आई. या, मेनलैंड नॉर्वे और उत्तरी ध्रुव के बीच स्थित स्वालबार्ड, जो कि दुनिया का सबसे सुदूर उत्तरी निर्जन इलाका है, वहां एक ध्रुवीय भालू मुंह में प्लास्टिक की थैली दबाए खड़ा है. या, प्लास्टिक की रस्सियों के बने जाले में उलझी कोई सील मरी पड़ी है.
जानवर चुका रहे हैं बड़ी कीमत
यह तस्वीर संयुक्त अरब अमीरात के एक लैब की है. यह हॉक्सबिल कछुआ समंदर किनारे पड़ा मिला था. ऑटोप्सी हुई, तो इसके पेट में ज्यादातर प्लास्टिक की चीजें मिलीं. मरीन पॉल्यूशन बुलेटिन के एक शोध के मुताबिक, शारजाह में जितने ग्रीन टर्टल मरते हैं, उनमें से करीब 75 फीसदी के मरने की वजह समुद्र में मौजूद प्रदूषक तत्व हैं. जैसे प्लास्टिक थैलियां, बोतल के ढक्कन, रस्सी, मछली पकड़ने के जाल वगैरह.
लाखों जानवर मारे जाते हैं
दुनिया का सबसे ऊंचा पहाड़ हिमालय हो या समंदर का कोई दूर-दराज का हिस्सा, आपको प्लास्टिक की मौजूदगी हर जगह मिलेगी. अनुमान है कि हर साल लाखों जानवर प्लास्टिक के कारण मारे जाते हैं. खाना खोजते हुए प्लास्टिक थैलियां चबाने और निगलने वाली गायों को देखना तो आपके लिए भी रोजमर्रा की बात होगी. समुद्री जीवों के लिए तो प्लास्टिक बहुत विनाशक आपदा बन गया है.
घटाना होगा प्लास्टिक का उत्पादन
अप्रैल 2023 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने प्लास्टिक प्रदूषण कम करने के लक्ष्य को रेखांकित करते हुए कहा था, "हर मिनट कूड़े के एक ट्रक जितना प्लास्टिक समुद्र में फेंक दिया जाता है. प्लास्टिक प्रदूषण कम करने और इसके असर को कम करने के लिए हमें प्लास्टिक का उत्पादन कम करना होगा." क्या आप निजी स्तर पर प्लास्टिक का इस्तेमाल घटाने की कोशिश कर रहे हैं?