सर्दियों में 'सैड' क्यों हो जाते हैं लोग
सर्दी में आते ही मन का उदास हो जाना मिथक नहीं बल्कि एक वैज्ञानिक सच्चाई है. इसे 'सीजनल अफेक्टिव डिप्रेशन' (SAD) या विंटर डिप्रेशन कहा जाता है.
क्या है मौसमी अवसाद
जैसे-जैसे सर्दी नजदीक आती है, कई लोग मौसमी अवसाद महसूस करते हैं. मेडिकल साइंस में इसे SAD यानि 'सीजनल अफेक्टिव डिप्रेशन' कहा जाता है. इस स्थिति में लोगों के मन में पैनिक, चिंता और डर जैसी भावनाएं पैदा होती हैं.
क्या हैं लक्षण
मौसमी अवसाद आमतौर पर पतझड़ में शुरू होता है और वसंत में कम होता है. दिन का उजाला होने का वक्त बदलना अवसाद को ट्रिगर कर सकता है.
क्यों होता है मौसमी अवसाद
डॉ. नॉर्मन रोसेन्थल ने 1984 में मौसमी अवसाद को विस्तार से समझाया था. अध्ययन से पता चला है कि हमारी आंखों में विशेष कोशिकाएं नीली रोशनी के प्रति प्रतिक्रिया करती हैं, जो मूड और सतर्कता को प्रभावित करती हैं. कुछ लोगों की नीली रोशनी के प्रति संवेदनशीलता सर्दियों में कम होती है, जो उनके अवसाद के लक्षणों को बढ़ा सकती है.
रोशनी से इलाज
'SAD' यानि सीजनल अफेक्टिव डिप्रेशन से ग्रस्त लोगों को लाइट थेरेपी से काफी फायदा हो सकता है. अमेरिका के येल मेजिसिन के रिसर्चर डॉ. पॉल डेसान का मानना है कि हर सुबह 8 बजे से पहले करीब 30 मिनट तक प्रकाशित माहौल में रहने भर से लोगों के लक्षणों में सुधार दिखता है. कुछ लोगों को सुबह टहलने या बागवानी करने बाहर निकलने से भी फायदा होता है.
किससे मिलती है मदद
रोशनी के अलावा, एंटी-डिप्रेसेंट दवाएं और 'बिहेवियोरल थेरेपी' भी मौसमी अवसाद के लिए प्रभावी इलाज हैं. थेरेपी से लोगों को नकारात्मक विचारों को बदलने में मदद मिलती है.
योग और लोगों से मिलना जुलना
कुछ लोगों को अपने लक्षणों से निपटने के लिए योग, सैर और अपने जैसे अन्य लोगों से मिलने-जुलने में मदद मिलती है. इसके लिए सोशल मीडिया पर भी कई समूह बने हुए हैं.
मजेदार गतिविधियां
मजेदार गतिविधियों में भाग लेना, भले ही छोटी हों, मौसमी अवसाद वाले लोगों की मदद कर सकता है. जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती है, कई लोग वसंत के आगमन और फूलों के खिलने को बेहतर दिनों का संकेत मानते हैं. वीके/सीके (एपी)