1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

क्या मौत से हमारे रिश्ते को भी बदल देगा कोरोना?

२५ मार्च २०२०

इटली में हर दिन कोरोना वायरस से कम से कम पांच हजार लोग संक्रमित हो रहे हैं. सैकड़ों की जान जा रही है. और लॉकडाउन के बीच मरने वालों को जनाजा भी नसीब नहीं हो रहा है. स्पेन की यही हालत है. क्या भारत में भी ऐसा होगा?

https://p.dw.com/p/3a2cv
इटली में अंतिम संस्कार के लिए वेटिंग लिस्ट चल रही हैतस्वीर: picture-alliance/dpa/AP/LaPresse/C. Furlan

इटली के बेरगामो शहर की सड़कों पर पिछले कई दिनों से लगातार मिलिट्री के ट्रक देखे जा रहे हैं. कोरोना वायरस ने यहां इतने लोगों की जान ले ली है कि शवों को ले जाने का और कोई तरीका नहीं बचा है. ट्रकों की कतार वाला वीडियो इंटरनेट पर खूब वायरल हुआ. और इससे एक ही बात समझ में आई कि कोरोना के दौर में मौत के वक्त भी अपने प्रियजनों का साथ मुमकिन नहीं है. वायरस किसी की परवाह नहीं करता, उसे कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसी की मौत पर परिवार का क्या हाल होता है.

बेरगामो इटली का वह इलाका है जहां कोरोना का कहर सबसे ज्यादा बरपा है. एक हफ्ते में यहां 3000 लोगों की जान गई है. ये सभी मौतें अस्पतालों में हुईं जहां मरने वाले का हाथ थामने के लिए कोई दोस्त, कोई रिश्तेदार मौजूद नहीं था. संक्रमण के खतरे से अस्पताल में कोई मरीज से मिलने नहीं जा सकता. कई परिवारों में तो दूसरे सदस्य खुद भी क्वॉरंटीन में हैं. 

अंतिम संस्कार के लिए वेटिंग लिस्ट

मौत के इस खेल में सब शर्तें वायरस ने ही तय की हैं. और यह मौत के बाद भी चैन नहीं लेने देता है. जिसका रिश्तेदार गुजर गया है, उसे अकेले ही शोक मनाना पड़ता है. देश भर में लॉकडाउन है. ऐसे में किसी को जनाजे में भी जाने की इजाजत नहीं है. सरकार ही अंतिम संस्कार करा रही है. और मरने वालों की संख्या इतनी ज्यादा है कि अंतिम संस्कार के लिए वेटिंग लिस्ट चल रही है.

लोग एक दूसरे के गले लग कर रो तक नहीं सकते, जो चला गया उसकी यादें साझा नहीं कर सकते. जो पीछे छूट गए हैं उन्हें खुद ही अपना हौसला बांधना है. ज्यादा से ज्यादा वे इतना कर सकते हैं कि फोन या वीडियो कॉल पर एक दूसरे को दिलासा दे दें. इसके अलावा वायरस ने उनके सारे हक छीन लिए हैं.

किसी पड़ोसी की जान चली गई, यह अब सिर्फ अखबारों से ही पता चल पाता है. 13 मार्च को बेरगामो के एक एक स्थानीय अखबार में दस पेज शोक संदेशों के थे. लगता है जैसे इस वायरस ने सिर्फ हमारी जिंदगी को ही नहीं, मौत को भी बदल दिया है. 

Coronavirus Italien Alzano Lombardo Todesanzeigen an Straße
सड़कों पर लगे हैं शोक संदेश तस्वीर: picture-alliance/dpa/AP/L. Bruno

मौत के ख्याल से भी डर लगता है

फ्रांस के इतिहासकार फिलिप एरीस ने "हिस्टरी ऑफ डेथ" नाम का एक रिसर्च पेपर लिखा था. इसमें उन्होंने बताया है कि कैसे 19वीं सदी में पश्चिमी देशों में लोगों का मौत से रिश्ता बदला. उससे पहले तक मौत को जीवन के एक पहलू के रूप में ही देखा जाता था. लेकिन आधुनिक जीवन में इंसान मौत के ख्याल से भी डरता है, इसलिए जितना हो सके उसके जिक्र से भी दूर रहने की कोशिश करता है. आज के व्यस्त जीवन में सारा ध्यान कुछ हासिल करने पर ही रहता है. इसलिए मौत के लिए इसमें कोई जगह नहीं है.

एरीस ने लिखा है, "मौत हमारे लिए अनजान हो गई है और हमारे रोजमर्रा के जीवन से यह गायब हो चुकी है." अब मौत से हमारा सामना सबसे ज्यादा फिल्मी पर्दे पर, टीवी की स्क्रीन पर या थिएटर के स्टेज पर ही होता है. यानी मौत ने अपनी जगह अब कला में तलाश ली है.

Italien Poster für Solidarität in Bergamo
इटली को अपने बच्चे की तरह संभाल रहे हैं डॉक्टर तस्वीर: Imago Images/Independent Photo Agency Int./S. Agazzi

हमारे सामने खड़ी है मौत

लेकिन इस कोरोना वायरस ने स्थिति को पूरी तरह बदल दिया है. इटली के शहरों में मृत लोगों को मिलिट्री के ट्रकों में डाल कर श्मशान तक ले जाया जा रहा है. इसमें कोई शक नहीं कि सड़कों पर गुजरते हुए इन ट्रकों ने मौत को हमारे सामने ला कर खड़ा कर दिया है, मानो मौत एक बार फिर हमारी जिंदगियों में अपने हिस्से की जगह मांगने आ गई है. और अब उसे किसी हाल में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में जिंदगी ठहर सी गई है. हर देश इस महामारी को रोकने की कोशिश कर रहा है. और इसके लिए बहुत बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ रही है. लेकिन मानवता ने इंसानी गरिमा को बचाने का फैसला किया है. इस जंग में जो लोग मारे गए हैं, उनके प्रियजनों को शायद इसी बात से सब्र करना होगा.

रिपोर्ट: सिल्के बार्टलिक/आईबी

__________________________

हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore