बाल्कन देशों से क्या पाना चाहता है चीन
११ मई २०२४चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग यूरोप की यात्रा पूरी कर चीन वापस लौट चुके हैं. हालांकि इस यात्रा के पड़ावों के चुनाव के पीछे के कारणों को लेकर अब भी अटकलें बंद नहीं हुई हैं. अपनी यूरोप यात्रा के दौरान जिनपिंग ने फ्रांस के अलावा जिन देशों का दौरा किया, वो हैं, सर्बिया और हंगरी. जानकार बहस कर रहे हैं कि इन दोनों ही देशों में चीन के कौन-कौन से हित छिपे हैं, जो शी जिनपिंग को यहां खींच लाए.
सबसे पहली वजह है कि सर्बिया और हंगरी दोनों में ही चीन ने भारी निवेश कर रखा है. इसके अलावा इन दोनों ही देशों के रूस से भी बेहतर संबंध हैं. सर्बिया बेल्ट एंड रोड योजना के तहत चीन से कर्ज पाने वाला प्रमुख यूरोपीय देश है.
सर्बिया में चीन की मदद से चल रहे प्रोजेक्ट में यहां से हंगरी तक एक हाई-स्पीड रेल लाइन भी बनाई जानी है. इतना ही नहीं सर्बिया के बहुत सारे सामान्य बुनियादी ढांचे से जुड़े प्रोजेक्ट भी चीनी मदद से बन रहे हैं. चीनी कंपनियां यहां सीवेज लाइनें, वेस्टवाटर प्लांट जैसी चीजें बना रही हैं. इसके अलावा यहां पर ज्यादातर बड़े स्टील के काम भी उन्हीं के हाथों में हैं.
चीन पर क्यों घट रहा यूरोपीय कंपनियों का भरोसा
सर्बिया के कंधे पर बंदूक रख नाटो पर निशाना
शी जिनपिंग ने इन बड़े आर्थिक सहयोगों की तारीफ भी की और साथ ही अपने बढ़ते वैश्विक प्रभाव के सामने नाटो की खिंचाई भी की. दरअसल शी जिनपिंग, सर्बिया की राजधानी बेलग्रेड में चीनी दूतावास पर बम गिराए जाने की 25वीं सालगिरह पर यहां पहुंचे थे.
साल 1999 में नाटो ने चीनी दूतावास पर यह बम हमला, कोसोवो युद्ध के दौरान घुसपैठियों को निशाना बनाकर किया था. इस मौके पर जिनपिंग ने सर्बिया के अखबार में ओपिनियन कॉलम में लिखा, "हमें नहीं भूलना चाहिए कि 25 साल पहले आज के ही दिन नाटो ने यूगोस्लाविया में चीनी दूतावास पर भारी बमबारी की थी.”
राजनीति चमकाने के काम आई यात्रा
हालांकि सर्बिया, यूरोपीय संघ का सदस्य नहीं है लेकिन शी के एक प्रमुख वैश्विक नेता के एजेंडे को मजबूत करने में इसका योगदान हो सकता है. ताइवान की नेशनल डॉन्ग ह्वा यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर और यूरोपीय संसद की राजनीतिक सलाहकार रह चुकीं जूजा आना फेरेंसी का कहना है, "शी चाहते हैं कि उन्हें ना सिर्फ यूरोपीय संघ की राजनीति में बल्कि यूरोपीय संघ के पड़ोसी देशों की राजनीति में भी एक प्रमुख नेता माना जाए.”
वहीं हंगरी यूरोप यात्रा के दौरान चीनी राष्ट्रपति का आखिरी पड़ाव रहा. हंगरी, यूरोपीय संघ का सदस्य है लेकिन खुलकर रूस के पक्ष में वकालत करता रहा है. हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान की सरकार ने पहले भी यूरोपीय संघ के अंदर चीन के कदमों की आलोचना में आए यूरोपीय संघ के प्रस्तावों पर वीटो किया है. स्पष्ट है कि यह देश आगे भी यूरोपीय संघ के अंदर चीन का समर्थक बना रहेगा.
अर्थव्यवस्था को भी चीन का ही सहारा
अभी जब यूरोपीय संघ में सस्ती चीनी ई-गाड़ियों को यूरोपीय मार्केट पर पूरा कब्जा कर लेने से रोकने के लिए मंथन और कोशिशें हो रही हैं, तब हंगरी, चीनी ई-गाड़ियों के लिए निर्माण केंद्र बनने को तैयार है. दिसंबर, 2023 में चीन की बड़ी कार कंपनी बीवाईडी ने हंगरी के सेगेड में एक पैसेंजर कार फैक्ट्री बनाने की घोषणा की थी. यह जगह हंगरी-सर्बिया सीमा के पास ही है.
फिलहाल चीन हंगरी में सबसे ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी चीन से ही आता है. शी जिनपिंग की यात्रा उसी साल हुई है, जब यूरोपीय काउंसिल की अध्यक्षता आगामी 1 जुलाई से हंगरी के पास आने वाली है.
मजबूत नहीं, कमजोर सहयोगी की जरूरत
हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान से मिलने के बाद शी जिनपिंग ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि चीन, यूरोपीय संघ में हंगरी के एक अहम भूमिका निभाने का समर्थन करता है और चीन-यूरोपीय संघ संबंधों में ज्यादा तरक्की लाने की भी.
शी जिनपिंग ने इस यात्रा के दौरान ना सिर्फ नए सहयोगियों की खोज की है बल्कि ऐसे सहयोगी बनाने की कोशिश भी की है जो पश्चिम यूरोपीय देशों की तरह अपने हितों और स्तर के हिसाब से चलने के लिए चीन पर दबाव ना बनाएं बल्कि ज्यादातर मामलों में चीन पर ही निर्भर रहें. यूरोप यात्रा के दौरान सर्बिया पर ध्यान दे कर शी जिनपिंग ने बाल्कन के इलाके में चीनी प्रभाव को बढ़ाने में सर्बिया की भूमिका को महत्व देने की भी कोशिश की है.
जरूरी दवाओं के लिए चीन और भारत पर कब तक निर्भर रहेगा यूरोप?
चीन की नजर सिर्फ सर्बिया ही नहीं अगल बगल के दूसरे बाल्कन देशों पर भी है. भारी निवेश के जरिए उसने वहां भी अपने पैर फैलाने शुरू कर दिए हैं. चीन की सरकारी कंपनियों ने क्रोएशिया, अल्बानिया, मैसेडोनिया जैसे देशों की कई परियोजनाओं में भारी निवेश किया है.
चीन पश्चिमी बाल्कन देशों की कई ऐसी कंपनियों में निवेश कर रहा है, जो अपने उत्पाद बनाकर यूरोपीय संघ के देशों को बेचती हैं. इसमें उत्तरी मेसिडोनिया की सबसे बड़ी स्टील फैक्ट्री माकस्टील, सर्बिया की स्मेदेरेवो स्टील मिल जैसी कंपनियां शामिल हैं. दोनों की मालिक चीनी कंपनी हेस्टील है. ऐसे ही अल्बानिया के बैंकर्स पेट्रोलियम ऑयल फील्ड्स की मालिक भी चीनी कंपनी जियोजेड है. चीन यूरोप के देशों में अपना माल पहुंचाने के लिए इन देशों में सुविधाएं विकसित कर रहा है.