जापान अपनी रक्षा क्षमता और बजट को दोगुना कर रहा है
२० दिसम्बर २०२२जापान ने चीन, उत्तर कोरिया और रूस की तरफ से खतरों की आशंका को देखते हुए अपनी रक्षा तैयारियों और खर्च को दोगुना करने का फैसला किया है. हमले की स्थिति में बचाव के बेहतर संसाधनों के साथ ही जवाबी हमला करने के लिए भी जापान खुद को तैयार करना चाहता है. जापान की सुरक्षा और बचाव को लेकर रणनीतियों में बड़ी तब्दीली आई है और इससे देश की रक्षा छवि में बड़े बदलाव होंगे.
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जवाबी कार्रवाई की क्षमता
देश की राष्ट्रीय रक्षा रणनीति में सबसे बड़ा बदलाव है "जवाबी कार्रवाई की क्षमता" का विकास जिसे जापान ने "अपरिहार्य" कहा है. जापान का लक्ष्य 10 साल के भीतर अब ऐसी क्षमता को हासिल करना है जिससे, "राष्ट्र के खिलाफ हमले को बहुत पहले और बहुत दूर ही पराजित और बाधित किया जा सके."
इस रणनीति के साथ जापान ने 1956 में बनाई गई सरकार की नीति का त्याग कर दिया है जिसमें दुश्मन ठिकानों पर हमले की क्षमता खत्म की गई थी और इसे संवैधानिक रूप से सिर्फ अंतिम विकल्प के रूप में रखा गया था.
जापान का कहना है कि उसके खिलाफ मिसाइल हमला अब "प्रत्यक्ष खतरा" बन गया है और उसका मौजूदा इंटरसेप्टर आधारित मिसाइल डिफेंस सिस्टम अपर्याप्त है. उत्तर कोरिया ने सिर्फ इस साल ही कम से कम 30 बार ऐसे मिसाइल दागे हैं जो जापान के ऊपर से उड़े.दूसरी तरफ चीन ने भी दक्षिणी जापानी द्वीपों के पास सागर में बैलिस्टिक मिसाइल दागे हैं.
जापान का कहना है कि दुश्मन देश के संभावित हमले का संकेत मिलने पर जवाबी हमले की क्षमता संवैधानिक है. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के हमलों को अंजाम देने में हमेशा पहले हमला करने के आरोप का खतरा रहता है. विरोधियों का कहना है कि जापान के संविधान में हमले की क्षमता आत्मरक्षा से बाहर की चीज है.
रक्षा खर्च दोगुना
जापान ने रक्षा खर्च को दोगुना कर इसे जीडीपी के 2 फीसदी तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है. इसका मतलब है कि 2027 तक जापान 320 अरब डॉलर रक्षा पर खर्च करेगा. यह सीमा नाटो के लक्ष्य के मुताबिक ही है जो जापान के सालाना बजट को 73 अरब डॉलर बढ़ा देगी. अमेरिका और चीन के बाद यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बजट है.
प्रधानमंत्री किशिदा ने कहा है कि उनकी सरकार को हर साल अतिरिक्त 30 अरब डॉलर की जरूरत होगी. इसका एक चौथाई हिस्सा सरकार करों में बढ़ोत्तरी के जरिये हासिल करेगी. हालांकि टैक्स बढ़ाने के प्रस्ताव की काफी आलोचना हुई उसके बाद पांच साल के लिए डिफेंस बिल्डअप प्लान जारी किया गया. इसमें अभी यह नहीं बताया गया है कि पैसा कहां से आएगा. सरकार के भीतर इसे लेकर चर्चा जारी है.
लंबी दूरी की मिसाइलें
अगले पांच सालों में जापान लंबी दूरी की मिसाइलें बनाने पर लगभग 37 अरब डॉलर खर्च करेगा. इन्हें 2026 से तैनात करने की योजना बनाई गई है. जापान ने अमेरिका से टॉमहॉक और जॉइंट एयर टू सर्फेस स्टैंडऑफ मिसाइलें खरीदने की योजना बनाई है. जापान की मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज टाइप टू सर्फेस टू शिप गाइडेड मिसाइल में सुधार कर उसका बड़े पैमाने पर उत्पादन करेगी.
चीन और जापान की दोस्ती मजबूत क्यो नहीं हुई
जापान कई तरह के हथियार विकसित भी करेगा. इनमें हाइपरसोनिक हथियार और मानवहरित और कई भूमिकाएं निभाने वाली गाड़ियां भी शामिल हैं. जापान ब्रिटेन और इटली के साथ मिल कर नई पीढ़ी के लड़ाकू विमान विकसित करने पर भी काम कर रहा है.
साइबर सिक्योरिटी
जापान के पास साइबर सिक्योरिटी और इंटेलिजेंस की क्षमता कमजोर है. इसके लिए जापान अमेरिका पर बहुत ज्यादा निर्भर है. विशेषज्ञों का कहना है कि लंबी दूरी की मिसाइलों को खास निशाने पर दागने के लिए भी उसे अमेरिका की मदद लेनी पड़ती है. जापान के पांच साल के लिए तय रक्षा कार्यक्रम में कहा गया है, "बिना साइबर सिक्योरिटी के आत्मरक्षात्मक बल की श्रेष्ठता या अमेरिका के साथ ऑपरेट करने की सुविधा संभव नहीं होगी." इसमें माना गया है कि जापान के आत्मरक्षा बल और रक्षा उद्योग के लिए साइबर सुरक्षा तय करनी होगी."
जापान अगले पांच सालों में 58 अरब डॉलर साइबर सुरक्षा और अंतरिक्ष से जुड़ी तकनीकों के विकास पर खर्च करेगा.
चीन सबसे बड़ी चुनौती
क्षेत्रीय सुरक्षा के वातावरण को जंग के बाद के समय में सबसे जटिल और सबसे गंभीर माना गया है और जापान की रणनीति में बदलाव के लिए यही सबसे बड़ा कारण भी बताया जा रहा है.
नई रणनीति के दस्तावेजों में कहा गया है कि चीन ने तेजी से हथियार विकसित किये हैं, वह आक्रामक सैन्य गतिविधियां लगातार बढ़ा रहा है और अमेरिका के साथ होड़ लगा कर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ ही जापान की शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती पैदा कर रहा है.
यूक्रेन पर रूस के हमले ने ताईवान में भय पैदा किया है. इसके साथ ही जापान आगले पांच साल में प्रतिरक्षा तैयार करना चाहता है. उधर उत्तर कोरिया अपने परमाणु हथियारों और मिसाइलों की क्षमता लगातार बढ़ा रहा है. हालांकि जापान के लिए अब भी प्रमुख खतरा चीन है.
अब भी आत्मरक्षा पर जोर
जापान इतिहास में एक आक्रमणकारी रहा है और फिर हाल के बाद उसने युद्ध की तबाही भी झेली है. यही कारण है कि युद्ध के बाद जापान ने अर्थव्यवस्था को प्रमुखता दी और सुरक्षा के लिए अमेरिका के सैनिकों पर निर्भर हो गया जो द्विपक्षीय समझौते के तहत जापान में तैनात किये गये.
नई रणनीति के तहत अब अमेरिका के साथ और ज्यादा अभियानों की उम्मीद बन रही है और इससे जापान के ज्याद हमलावर जिम्मेदारियों में शामिल होने की भी आशंका है. हालांकि जापान का कहना है कि वह अपने सिद्धांतों पर टिका रहेगा और हथियारों से जुड़े टेक्नोलॉजी के ट्रांसफर में वही रुख अपनाएगा. हालांकि कुछ हथियारों और उनसे जुड़े सामानों के निर्यात की मंजूरी दी जा सकती है जिन्हें फिलहाल प्रतिबंधित रखा गया है.
एनआर/वीके (एपी)