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कानून और न्यायभारत

सैफ अली खान के परिवार की संपत्ति कैसे बनी 'शत्रु संपत्ति'

२३ जनवरी २०२५

भारत सरकार भोपाल में अभिनेता सैफ अली खान के परिवार की करोड़ों की संपत्ति का 'शत्रु संपत्ति' कानून के तहत अधिग्रहण कर सकती है. जानिए क्या है 'शत्रु संपत्ति' और कैसे यह कानून खान परिवार की संपत्ति पर लागू किया जा रहा है.

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सैफ अली खान
मामला सैफ अली खान के परदादा और पूर्ववर्ती भोपाल रियासत के आखिरी नवाब की संपत्ति का हैतस्वीर: Sujit Jaiswal/AFP/Getty Images

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सैफ अली खान से कहा है कि अगर वो इन संपत्तियों का अधिग्रहण करने के भारत सरकार के फैसले को चुनौती देना चाहते हैं तो उन्हें शत्रु संपत्ति मामलों के अपील अधिकारी के पास अपील दायर करनी चाहिए. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इन संपत्तियों का मूल्य करीब 15,000 करोड़ रुपये है.

अभी तक यह जानकारी नहीं मिली है कि खान ने अपील अधिकारी के पास अपील की है या नहीं. खान पर 16 जनवरी को मुंबई में उनके घर के अंदर घुस आए एक व्यक्ति ने हमला कर दिया था और वो सर्जरी करवाने के बाद 22 जनवरी को अस्पताल से घर वापस लौटे.

क्या है मामला

मामला पूर्ववर्ती भोपाल रियासत के आखिरी नवाब हमीदुल्ला खान की संपत्ति का है. हमीदुल्ला खान सैफ अली खान के परदादा थे. उनकी दूसरी बेटी साजिदा सुल्तान की शादी पटौदी के नवाब इफ्तिखार अली खान से हुई थी, जो सैफ के दादा थे.

1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद 1966 में ताशकंद में हाथ मिलाते लाल बहादुर शास्त्री और मोहम्मद अयूब खान
'शत्रु संपत्ति' कानून 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद लाया गया थातस्वीर: picture alliance/United Archive

अंग्रेजों से भारत की आजादी के बाद खान ने भारत को ही चुना और भोपाल रियासत को भारत गणराज्य का हिस्सा बनने दिया. हालांकि उस समय उनकी उत्तराधिकारी मानी जाने वाली उनकी बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान 1950 में पाकिस्तान चली गईं. यहीं से भोपाल रियासत की संपत्ति को 'शत्रु संपत्ति' घोषित किए जाने की कहानी शुरू होती है.

आबिदा का एक बेटा भी था लेकिन उनकी मौत के बाद वह भी भारत वापस नहीं आया. इधर साजिदा को हमीदुल्ला खान की उत्तराधिकारी बना दिया गया और खान की मौत के बाद 1960 में वो भोपाल की नामित नवाब बेगम बन गईं. जिस संपत्ति को लेकर सैफ मौजूदा कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं वो इसी परिवार की संपत्ति है.

'शत्रु संपत्ति' क्या है

शत्रु संपत्ति उन संपत्तियों को कहा जाता है जो उन लोगों की है जो भारत छोड़ कर ऐसे देशों में चले गए जिन्हें भारत ने अपने साथ संघर्ष के समय शत्रु देश का दर्जा दिया हुआ था. इस कानून को 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद 1968 में लाया गया था.

कानून के तहत जिन लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ कर पाकिस्तान और चीन की नागरिकता अपना ली थी, उनकी संपत्तियों को भारत सरकार ने शत्रु संपत्ति घोषित कर उनका अधिग्रहण कर लिया. 2017 में इस कानून में और संशोधन लाए गए और शत्रु की परिभाषा के दायरे को और बढ़ा दिया गया.

इस संशोधन में शत्रु की परिभाषा के दायरे में संपत्ति के मूल मालिक के कानूनी वारिस को भी ले आया गया, चाहे वह शत्रु देश का नागरिक हो, या भारत का या किसी तीसरे देश का. इस संशोधन की वजह से सरकार को 'शत्रु संपत्ति' के विरासत के सभी दावे खारिज करने की शक्ति मिल गई.

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यह संशोधन सैफ अली खान और भारत सरकार की कानूनी लड़ाई शुरू होने के बाद लाया गया था. कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी विभाग ने 2014 में भोपाल में स्थित खान के परिवार की संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया था. खान ने इस नोटिस को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.

2017 में कानून में संशोधनलाकर सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि शत्रु संपत्तियों पर उनके वारिसों का अधिकार नहीं है. 13 दिसंबर को मामले पर सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने हाई कोर्ट को बताया कि इस विषय में विवादों के समाधान के लिए एक अपील अधिकारी नियुक्त किया गया है.

इसके बाद अदालत ने सैफ के वकील को 30 दिनों के अंदर अपील दायर करने का समय दिया था. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अपील दायर करने की आखिरी तारीख 12 जनवरी थी लेकिन सैफ ने तब तक अपील दायर की या नहीं इसकी जानकारी अभी नहीं मिली है.

सुप्रीम कोर्ट ने 2005 में महमूदाबाद के राजा के परिवार की याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया था कि वे भारतीय नागरिक शत्रु संपत्ति पर दावा कर सकते हैं जो कानूनी रूप से ऐसी संपत्ति के वारिस हैं. साल 1947 में विभाजन के बाद महमूदाबाद के राजा ने देश छोड़ दिया था और पाकिस्तान चले गये थे. ताजा संशोधन के मुताबिक देश में सिविल कोर्ट को शत्रु संपत्ति से जुड़ी याचिकाओं को सुनने का अधिकार नहीं होगा.