सरकारी स्कूलों में छात्रों का दाखिला बढ़ा
१९ जनवरी २०२३एएसईआर सर्वे 2022 (द ऐनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट) के ताजा संस्करण से पता चलता है कि भारत में सरकारी स्कूलों में छात्रों के नामांकन में पिछले कुछ वर्षों में काफी वृद्धि हुई है. सर्वेक्षण में शामिल छात्रों में से 72.9 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में जाते हैं साथ ही रिपोर्ट निजी ट्यूशन लेने वालों की संख्या में वृद्धि पर भी रोशनी डालती है.
कोरोना महामारी के कारण एएसईआर 2022 का संस्करण चार साल बाद किया गया है. इस सर्वे को प्रथम फाउंडेशन ने देश के 616 जिलों और 19,060 में कराया है. इस सर्वे के लिए 3,74,544 घरों और तीन से सोलह वर्ष की आयु के 6,99,597 बच्चों को शामिल किया गया. ताजा संस्करण बुधवार को जारी किया गया.
रिपोर्ट के मुताबिक 2018 के बाद से सरकारी स्कूलों में नामांकनमें काफी वृद्धि हुई है, जब पिछली बार संगठन ने नियमित राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण किया था तो उस समय यह संख्या 65.6 प्रतिशत थी.
रिपोर्ट में कहा गया, "2006 से 2014 की अवधि में सरकारी स्कूल में नामांकित बच्चों (छह से चौदह वर्ष की आयु) के अनुपात में लगातार कमी देखी गई. 2014 में यह आंकड़ा 64.9 प्रतिशत था और अगले चार वर्षों में ज्यादा नहीं बदला. हालांकि सरकारी स्कूल में नामांकित बच्चों (छह से चौदह वर्ष की आयु) का अनुपात 2018 में 65.6 प्रतिशत से तेजी से बढ़कर 2022 में 72.9 प्रतिशत हो गया."
रिपोर्ट कहती है कि सरकारी स्कूल में नामांकन में वृद्धि देश के लगभग हर राज्य में दिखाई दे रही है. वहीं निजी ट्यूशन लेने वाले छात्रों की संख्या में इजाफा भी हुआ है. एएसईआर 2022 की रिपोर्ट के अनुसार 2022 में ट्यूशन क्लास लेने वाले कक्षा एक-आठ के छात्रों का प्रतिशत 30.5 है, जबकि 2018 में यह 26.4 प्रतिशत था.
सरकारी स्कूल जातीं अधिक लड़कियां
11-14 वर्ष की आयु समूह में स्कूल नहीं जाने वाली लड़कियों की संख्या में भी कमी आई है, जहां 2018 में 4 प्रतिशत की तुलना में 2022 में यह 2 प्रतिशत है. रिपोर्ट के मुताबिक यह आंकड़ा केवल उत्तर प्रदेश में लगभग 4 प्रतिशत है और अन्य सभी राज्यों में कम है.
15-16 आयु वर्ग की लड़कियों के लिए यह खबर और भी अच्छी हो जाती है. 2008 में स्कूल में दाखिला नहीं लेने वाली इन लड़कियों का प्रतिशत 20 था, इसके बाद 2018 में यह घटकर 13.5 प्रतिशत हो गया और साल 2022 में यह संख्या 7.9 प्रतिशत रहा.
लर्निंग लेवल में गिरावट
रिपोर्ट कहती है कि बच्चों की बुनियादी पढ़ने की क्षमता '2012 के पूर्व के स्तर तक गिर गई है, जो बीच के वर्षों में हासिल धीमी गति को उलट देती है. रिपोर्ट के मुताबिक गिरावट लिंग और सरकारी और निजी दोनों स्कूलों में देखी गई है और लोअर ग्रेड में अधिक तेज है.
सरकारी या निजी स्कूलों में कक्षा तीन के बच्चों का प्रतिशत जो कक्षा दो के स्तर पर पढ़ सकते हैं वह 2018 के 27.3 प्रतिशत से से गिरकर 2022 में 20.5 प्रतिशत हो गया है. वहीं कक्षा पांच के छात्र जो कम से कम कक्षा दो के स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं, वह 2018 में 50.5 प्रतिशत से गिरकर 2022 में 42.8 प्रतिशत हो गया है.