कसी हुई ब्रा से कम हो सकता है घुटनों की चोट का खतराः शोध
२४ अप्रैल २०२४महिला खिलाड़ियों पर किए एक अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने कहा है कि ब्रा के कारण उन्हें घुटने की चोट का खतरा कम या ज्यादा हो सकता है. महिलाओं में एंटीरियर क्रूशिएट लिगामेंट (एसीएल) के टूटने का खतरा पुरुषों से ज्यादा होता है और इसके नतीजे भी उनके लिए घातक हो सकते हैं.
‘जर्नल ऑफ अप्लायड बायोमीट्रिक्स' में प्रकाशित एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने कहा है कि जो महिलाएं सही ब्रा पहनती हैं, उनमें एसीएल के टूटने का खतरा कम होता है. एसीएल एक मांसपेशी होती है जो घुटने के बीचोबीच तिरछे आकार में मौजूद रहती है. यह जोड़ को स्थिर रखती है और अगर वह टूट जाए तो उसे ठीक होने में नौ से 12 महीने तक लग जाते हैं.
महिला खिलाड़ियों पर अध्ययन
अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की एक टीम ने 35 महिला खिलाड़ियों पर अध्ययन के जरिए जानना चाहा कि महिलाओं में एसीएल की चोट के खतरे ज्यादा क्यों होते हैं. इसके लिए उन्होंने इन खिलाड़ियों के शारीरिक कारकों के साथ-साथ ट्रेनिंग पर भी ध्यान दिया.
इन वैज्ञानिकों ने पाया कि कूदने जैसी गतिविधियां करते वक्त जो महिलाएं ज्यादा सपोर्ट करने वाली ब्रा पहनती हैं, उनमें एसीएल के टूटने के खतरे कम हो जाते हैं. यह पहली बार है जब ब्रा और घुटनों के संबंध में कोई विस्तृत अध्ययन हुआ है.
शोधकर्ताओं के प्रमुख, मेंफिस विश्वविद्यालय के 'ब्रेस्ट बायोमीट्रिक्स रिसर्च सेंटर' के निदेशक डगलस पावेल कहते हैं कि नतीजे उनके लिए भी हैरतअंगेज रहे हैं.
मीडिया को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "जब शोध शुरू किया तो हमारा भी अनुमान यही था कि स्तनों को मिलने वाले सहारे का (एसीएल पर) कोई फर्क नहीं पड़ेगा. लेकिन नतीजों ने हमें भी थोड़ा हैरत में डाला. एसीएल पर बहुत ज्यादा असर होता है."
रणनीति और गति में फर्क
महिला खिलाड़ी जब कूदने के बाद जमीन पर वापसी में, तो ढीली ब्रा पहने होने की सूरत में वे टखनों पर वजन डालते हुए जमीन पर पांव रखने की रणनीति अपनाती हैं. वैज्ञानिक कहते हैं कि ऐसी सूरत में घुटनों में चोट लगने की संभावना ज्यादा हो जाती है क्योंकि इससे छोटी मांसपेशियों पर ज्यादा वजन पड़ता है.
दूसरी तरफ, अगर उन्होंने कसी हुई ब्रा पहनी हो तो पांव जमीन पर रखते वक्त उनकी रणनीति बदल जाती है. तब ज्यादा वजन कूल्हे पर डाला जाता है. इससे एसीएल पर कम बोझ पड़ता है.
डॉ. पावेल कहते हैं कि कूल्हों वाली रणनीति में पेल्विस को नियंत्रित करना आसान होता है. वह बताते हैं, "इसलिए हम पेल्विस और उसके नीचे के हिस्से में गति में बदलाव देखते हैं क्योंकि ये सब जुड़े होते हैं. यह जानकारी काफी लाभदायक है क्योंकि हम महिलाओं को सिखा सकते हैं कि कूल्हों का ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए."
इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने अलग-अलग आकार के स्तनों वाली महिलाओं पर अध्ययन किया. उन्होंने पाया कि ब्रा का कप साइज जितना ज्यादा होगा, घुटनों की चोट की संभावना उतनी ज्यादा बढ़ जाएगी.
हालांकि डॉ. पावेल कहते हैं कि हर व्यक्ति के शरीर की गति और दिशा अलग-अलग हो सकती है इसलिए "ब्रा के कप के आकार के आधार पर चोट की संभावना को बहुत पुष्टि के साथ नहीं कहा जा सकता.”
रिपोर्टः विवेक कुमार (एएफपी)