गंगासागर मेले में रिकॉर्ड भी और विवाद भी
१६ जनवरी २०२५प्रयागराज में महाकुंभ के आयोजन की वजह से इस बार गंगासागर मेले में भीड़ कम होने की उम्मीद जताई जा रही थी. लेकिन इस बार 15 जनवरी की शाम तक यहां 1.10 करोड़ लोग यहां डुबकी लगा चुके हैं. बिजली मंत्री अरूप विश्वास ने मेला परिसर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुण्यार्थियों की संख्या की पुष्टि की. अभी इसके और बढ़ने का अनुमान है. यह मेला 17 जनवरी तक चलेगा. इसलिए अब भी लोगों का आना जारी है.
इस बीच एक गैर-सरकारी संगठन ने सरकार की सहायता से मेला परिसर में फैले हजारों मीट्रिक टन कचरे का इस्तेमाल कर इस द्वीप पर सड़कों के निर्माण और मरम्मत की योजना बनाई है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लंबे समय से इसे राष्ट्रीय मेले का दर्जा देने की मांग कर रही हैं. इस बार पुरी के शंकराचार्य ने भी मेले में यही मांग उठाई. लेकिन उनका कहना था कि यह उसी स्थिति में संभव है जब बंगाल में बीजेपी सत्ता में आए. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने गंगासागर में डुबकी लगाने के बाद कहा कि पार्टी बंगाल में सत्ता में आने पर इसे राष्ट्रीय मेले का दर्जा दे देगी. इस पर राजनीतिक विवाद भी शुरू हो गया है और तृणमूल कांग्रेस ने पार्टी पर धर्म के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया है.
कैसी है श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था
इस बार मेले में भीड़ के तमाम पूर्वानुमान फेल हो जाने के कारण कई जगह तमाम व्यवस्थाएं धराशायी होती नजर आईं. खासकर कपिल मुनि के मंदिर में दर्शन के दौरान तो भीड़ और अव्यवस्था का आलम यह रहा कि लोगों को दमघोंटू परिस्थिति में चार से पांच घंटे कतार में खड़ा रहना पड़ा. भीड़ इतनी कई लोग दम घुटने के कारण बाहर निकलने का प्रयास करते नजर आए. लेकिन एक बार भीड़ में घुसने के बाद बाहर निकलना लगभग असंभव था.
इस कतार में कुछ लोग बीमार भी हो गए. रास्ते में भीड़ पर निगरानी के लिए ड्रोन कैमरे के अलावा दर्जनों सीसीटीवी कैमरे तो लगे थे. लेकिन संकरी सड़क पर घंटों इंतजार करने वाले पुण्यार्थियों के लिए पानी वगैरह का कोई इंतजाम नहीं था. यह संवाददाता भी उसी कतार में था और करीब चार घंटे के बाद ही मंदिर तक पहुंचना संभव हुआ.
लेकिन लोगों की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हो रही थी. मंदिर से निकलने के बाद 'नो एंट्री' का बोर्ड दिखाते हुए उनको कई किलोमीटर लंबा सफर करते हुए अपने शिविरों या रहने के ठिकाने तक पहुंचना पड़ा.
इन वजहों से भी कठिन मानी जाती है गंगासागर यात्रा
उत्तर प्रदेश के कानपुर से परिवार के साथ यहां पहुंचे अवधेश शुक्ला ने डीडब्ल्यू से कहा, मेले में कोई व्यवस्था नहीं है. हमें बेवजह कई-कई किलोमीटर चलना पड़ रहा है. मेरे साथ बूढ़ी मां है. प्रशासन को बुजुर्गों का कोई ख्याल नहीं है.
उत्तर प्रदेश के ही मथुरा से यहां पहुंचे सुरेश कुमार मिश्र का कहना था, सरकार तमाम इंतजाम के दावे तो कर रही है. लेकिन आम लोगों को शिविरों से स्नान के लिए गंगासागर के तट तक पहुंचने और फिर मंदिर दर्शन के बाद अपने शिविर में लौटने के लिए आठ से दस किमी तक चलना पड़ रहा है. सुरक्षा के नाम पर लोगों को बेवजह घुमाया जा रहा है.
भीड़ और दूसरी वजहों से मेले में कम से कम छह लोगों की मौत हो गई. इसके अलावा गंभीर रूप से बीमार करीब एक दर्जन पुण्यार्थियों को हेलीकॉप्टर से कोलकाता भेजा गया. गंगासागर में बने अस्थायी अस्पताल के भी तमाम बेड मरीजों से भरे थे.
निजी वाहनों की मनमानी से हो रही परेशानी
इस बार यहां सर्दी कम रही. दिन में तेज धूप की वजह से देश के कोने-कोने से पहुंचने वाले लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. कोलकाता से स्टीमर के जरिए सागर द्वीप की कचुबेड़िया जेटी पर पहुंचने वाली लाखों की भीड़ को वहां से करीब 30 किमी दूर मेले तक पहुंचने के लिए घंटों बसों का इंतजार करना पड़ा. आखिर में लोग भेड़-बकरियों की तरह भर कर सफर पर मजबूर रहे.
दूसरी ओर, निजी वाहन 30 किमी की दूरी के लए दो हजार रुपए मांग रहे थे. सरकार की ओर से उनके किराए पर अंकुश की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण चलने-फिरने में लाचार लोगों को जम कर जेब काटी गई.
मेले की तैयारी के समय शुरु हुआ राजनीतिक विवाद
इस मेले को लेकर विवाद भी कम नहीं हुआ. मेला शुरू होने से पहले तैयारियों का जायजा लेने मौके पर पहुंची मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे राष्ट्रीय मेले का दर्जा देने की मांग उठाई थी. उनका कहना था, केंद्र सरकार कुंभ पर तो हजारों करोड़ रुपए खर्च कर रही है. लेकिन गंगासागर के लिए उसने कोई मदद नहीं की है. उन्होंने केंद्र सरकार पर मुरीगंगा नदी पर ब्रिज नहीं बनाने का भी आरोप लगाया है. ममता ने कोलकाता में पत्रकारों से कहा, यह मेला कुंभ से कम नहीं, बल्कि उससे भी बड़ा है.
ममता ने ये भी कहा कि अब राज्य सरकार ने ब्रिज बनाने के लिए निविदा मंगाई है. करीब 15 सौ करोड़ की लागत से बनने वाले पांच किमी लंबे इस ब्रिज से आम लोगों को आवाजाही में काफी सुविधा हो जाएगी और उनको स्टीमर के लिए घंटों इंतजार नहीं करना होगा. राज्य सरकार अपने खर्च पर यह ब्रिज बनवाएगी.
कौन देगा 'राष्ट्रीय मेले' का दर्जा
मेले में पहुंचे पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने भी इस मेले को राष्ट्रीय मेले का दर्जा देने की वकालत की. लेकिन पत्रकारों से बातचीत में उनका कहना था,. बीजेपी के बंगाल की सत्ता में आने के बाद ही ऐसा संभव होगा.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने डीडब्ल्यू से कहा कि हर जगह सिर्फ ममता बनर्जी के फोटो वाले बैनर और होर्डिंग ही लगे हैं, जबकि उनकी पार्टी ने प्रधानमंत्री मोदी की फोटो वाले बैनर लगाने की इजाजत मांगी थी जो प्रशासन से नहीं मिली.
दूसरी ओर, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी पर गंगासागर मेले पर राजनीति करने का आरोप लगाया है. पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष डीडब्ल्यू से कहते हैं, धर्म के नाम पर राजनीति में फेल हो चुकी पार्टी अब गंगासागर मेले पर राजनीति कर रही है.
भारत-बांग्लादेश के बीच पैदा हुए तनाव की वजह से घुसपैठ की आशंका के कारण इस बार मेले में ज्यादा चौकसी बरती गई थी. सुंदरबन के पुलिस अधीक्षक कोटेश्वर राव ने डीडब्ल्यू को बताया, मेला शुरू होने से एक सप्ताह पहले से ही लंबे नदी मार्ग पर निगरानी शुरू कर दी गई थी. वहीं, तटरक्षक बल और नौसेना बंगाल की खाड़ी में कड़ी निगरानी रख रहे हैं. उन्होंने बताया कि गंगासागर मेले में करीब 13 हजार पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है. सागरद्वीप के आस-पास के तटीय इलाकों में पुलिस की गश्त लगातार जारी रही. इसके साथ ही गंगासागर मेला के दौरान भारतीय तटरक्षक बल के जवान भी तैनात किए गए थे.
लेकिन इसके बावजूद लोगों के सामानों की चोरी और जेबकतरी के आरोप में नौ सौ से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया. 13 जनवरी को तो एक यात्री के तीन लाख रुपए जेबकतरों ने उड़ा दिए.
बृहस्पतिवार से घाट पर पुण्यार्थियों की ओर से फेंके गए कचरे की सफाई शुरू हो गई है. एक गैर-सरकारी संगठन ने इस कचरे के इस्तेमाल से सागरद्वीप की सड़कों के निर्माण की पहल की है. इसके लिए बुधवार को एक वर्कशाप का भी आयोजन किया गया. राज्य सरकार भी इस काम में मदद करेगी. मेला परिसर में अब तक करीब 13 सौ मीट्रिक टन कचरा जमा होने का अनुमान है.