मारे गए बच्चे को 67 साल बाद बड़ा नागरिक सम्मान
१४ जनवरी २०२२अमेरिकी संसद ने एक 14 साल के लड़के और उनकी मां को कॉन्ग्रेसनल मेडल देने का फैसला किया है. यह मेडल अमेरिकी कांग्रेस द्वारा दिया जाने वाला सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है. जिन्हें सम्मानित किया जा रहा है, उनके नाम हैं- ऐमेट टिल और उनकी मां मैमी टिल मोबले. ये दोनों अब जिंदा नहीं हैं. ऐमेट की मौत 67 साल पहले हुई. और, मैमी का 2003 में निधन हुआ. ये दोनों अमेरिकी इतिहास के दो अहम किरदार हैं. पढ़िए इनकी कहानी...
तारीख: 28 अगस्त, 1955.
स्थानीय समय के मुताबिक, रात के तकरीबन ढाई बजे थे. रॉय ब्रायंट नाम का एक शख्स अपने भाई जेडब्ल्यू मिलाम को साथ लेकर राइट परिवार के घर पहुंचा. उन्होंने घर का बाहरी दरवाजा खटखटाया. उनके हाथ में पिस्तौल थी. दरवाजा खुलते ही रॉय ने पूछा, "मैं उस लड़के को खोज रहा हूं जिसने बात की थी." इसके बाद रॉय और मिलाम जबरन घर में घुसे. उन्होंने एक कमरे में सो रहे ऐमेट टिल को उठाया. ऐमेट को जबरन अपनी कार में बिठाया और चले गए.
क्या हुआ ऐमेट के साथ?
ऐमेट के घरवाले बहुत परेशान थे. उन्हें ऐमेट की कोई खबर नहीं मिल रही थी. तीन दिन बाद 31 अगस्त को कुछ दूर पर टैलाहाची नदी में एक लाश मिली. शव काफी खराब स्थिति में था. मृतक के सिर में गोली मारी गई थी. दोनों कलाइयां मरोड़ दी गई थीं. खोपड़ी पर भी गहरे चोट के निशान थे. लाश की एक आंख निकाली हुई थी और दूसरी आंख बाहर लटक रही थी.
लाश के गले में एक तार बंधा था, जिसकी मदद से तकरीबन 34 किलो वजनी एक पंखा बांधकर उसे नदी में डुबाया गया था. उंगली में मौजूद अंगूठी से पता चला कि वह शव ऐमेट का था. यह वही अंगूठी थी जो ऐमेट के मेसेसिपी आते समय उनकी मां मैमी ने उन्हें पहनाई थी. ऐमेट, जिन्हें उनका परिवार प्यार से बोबो कहता था, उसकी जिंदगी केवल 14 साल की उम्र में यातना देकर खत्म कर दी गई.
ऐमेट अश्वेत अमेरिकन थे. उनकी हत्या ने अमेरिका में सिविल राइट्स मुहिम को दिशा दी. इस हत्या ने अमेरिकी अश्वेतों को एकजुट करने, उन्हें अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने में बड़ी भूमिका निभाई.
हत्या के पहले क्या हुआ था?
अपहरण के चार दिन पहले- 24 अगस्त, 1955 को ऐमेट और उनके भाई दिनभर काम करने के बाद एक स्थानीय दुकान पर पहुंचे. उन्हें च्यूंगम चाहिए थी. यह दुकान एक व्हाइट जोड़े- रॉय और कैरोलिन ब्रायंट की थी. उस समय दुकान में कैरोलिन अकेली थीं. ऐमेट ने उनसे बबलगम मांगा. इसके कुछ देर बाद कैरोलिन ब्रायंट गुस्से में अपनी दुकान से बाहर निकलीं. शायद वह बाहर खड़ी अपनी कार से पिस्तौल लेने गई थीं.
ऐमेट को पता नहीं था कि क्या होने वाला है. मगर उसके भाई डर गए थे. वे ऐमेट को साथ लेकर वहां से चले गए. कैरोलिन ने आरोप लगाया कि ऐमेट ने उनके साथ बदतमीजी की है. उन्हें देखकर सीटी बजाई. इसी घटना के चार दिन बाद कैरोलिन के पति रॉय ने अपने भाई के साथ मिलकर ऐमेट को उसके रिश्तेदार के घर से अगवा किया था.
अंतिम संस्कार में क्या हुआ?
ऐमेट का क्षत-विक्षत शव एक ट्रेन से शिकागो पहुंचाया गया. इस वक्त तक हत्या की खबर दूर-दूर तक फैल गई थी. ऐमेट का शव जब स्टेशन पहुंचा, तब बड़ी भीड़ वहां पहले से मौजूद थी. ऐमेट की मां मैमी ने अपने बेटे के शव को खुली गाड़ी में रखवाया. उन्होंने ताबूत बंद नहीं करवाया. मैमी चाहती थीं कि लोग देखें कि उनके बेटे को कितनी क्रूरता से मारा गया है. उन्होंने कहा था, "मैं चाहती हूं कि पूरी दुनिया ये देखे."
करीब चार दिन तक शव को ऐसे ही रखा गया. हजारों लोग उसे देखने पहुंचे. ऐमेटे के शव की तस्वीरें अखबारों, पत्रिकाओं और टीवी कवरेज के माध्यम से और दूर-दूर तक फैल गईं. ऐमेट की हत्या का मामला तब अमेरिका में होने वाले नस्लीय भेदभाव, हिंसा और पक्षपात की मिसाल बन गया. इसने अमेरिकी अश्वेतों को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने को प्रेरित किया.
सिविल राइट्स आंदोलन पर असर
इस प्रकरण ने लोगों को ऐसा झकझोरा कि उस पीढ़ी के कई अमेरिकी अश्वेत खुद को 'दी ऐमेट टिल जनरेशन' कहने लगे. अमेरिका के मशहूर मुक्केबाज मुहम्मद अली ने ऐमेट के साथ हुए अपराध पर कहा था, "मुझे महसूस हुआ कि यह मेरी या मेरे भाई की आपबीती भी हो सकती थी."
अमेरिका में नस्लीय भेदभाव के विरुद्ध चले नागरिक अधिकार आंदोलन की मशहूर कार्यकर्ता रोजा पार्क्स ने भी इस प्रकरण से प्रेरणा पाई थी. उन्होंने जब अलबामा में एक नस्लीय बंटवारे वाली बस में अपनी सीट छोड़ने से इनकार किया, तब वह ऐमेट के ही बारे में सोच रही थीं. उन्होंने कहा था, "ऐमेट के ही बारे में सोचते हुए मैं अपनी सीट से हिल भी नहीं पाई." रोजा को आगे अमेरिकी कांग्रेस ने "फर्स्ट लेडी ऑफ सिविल राइट्स" से सम्मानित किया था.
"कोई बच्चा जन्म से ही नस्लभेदी नहीं होता”
"अमेरिका में नस्लभेद रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा है”
मुकदमे में क्या हुआ?
ऐमेट की हत्या के लिए रॉय ब्रायंट और उनके भाई जेडब्ल्यू मिलाम पर मुकदमा चला. हालांकि कई लोगों का कहना था कि हत्या में और भी लोग शामिल थे. बचाव पक्ष के वकील ने साबित करने की कोशिश की कि ऐमेट मरा ही नहीं है. कि वह कहीं छुपा हुआ है. नदी में मिली लाश उसकी नहीं, किसी और की है.
इस मुकदमे की सुनवाई में शामिल जूरी के सभी सदस्यों में दो समानताएं थीं. पहली, सभी पुरुष थे. दूसरी, सभी व्हाइट थे. उन्होंने रॉय और मिलाम दोनों को बरी कर दिया. सालों बाद लुक मैगजीन को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने हत्या की बात कबूल की. लेकिन फिर भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
दोबारा क्यों खुला केस?
2017 में ड्यूक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर टिमोथी बी टायसन की एक किताब आई- दी ब्लड ऑफ ऐमेट टिल. इसके लिए उन्होंने कैरोलिन ब्रायंट से भी बात की. कैरोलिन ने उनसे कहा कि उनका आरोप कि ऐमेट ने उन्हें दबोचा, सीटी बजाई और असहज करने वाला बर्ताव किया, ये सही नहीं थे.
इस खुलासे के बाद जस्टिस विभाग ने इस मामले की जांच दोबारा शुरू की. मगर जांच में कैरोलिन पर केस दर्ज करने का कोई आधार नहीं मिला. कैरोलिन ने भी पुराना बयान बदलने की बात से इनकार किया. दिसंबर 2021 में विभाग ने ऐलान किया कि वह इस केस से जुड़ी जांच को बंद कर रहे हैं.
ऐमेट की हत्या के लिए किसी को सजा नहीं मिली. उसकी मां मैमी अपने बेटे की हत्या के बाद शिक्षिका और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता बन गईं. 2003 में उनकी मृत्यु हो गई. वह पूरी जिंदगी अपने बेटे के लिए न्याय पाने की कोशिश करती रहीं. अपनी मौत के समय वह एक किताब लिख रही थीं- डेथ ऑफ इनोसेंस.