अमेरिका: जीत की सतरंगी लहर पर सवार एलजीबीटी+ नेता
४ नवम्बर २०२०एलजीबीटी+ उम्मीदवारों ने 2020 के अमेरिकी चुनाव में कई सीटों पर ऐतिहासिक जीत हासिल की है. इस बार चुनावों में रिकॉर्ड संख्या में खड़े हुए 574 एलजीबीटी+ उम्मीदवारों में से कम से कम 35 के प्रारंभिक नतीजों में जीत हासिल करने की खबर है.
जीतने वालों में 30 साल की ट्रांसजेंडर सारा मैकब्राइड हैं, जो डेलावेयर में प्रांतीय सीनेट में सीट पाने वाली सबसे हाई प्रोफाइल ट्रांसजेंडर राजनीतिज्ञ बन गई हैं. उनके अलावा एफ्रो-लैटिनो समलैंगिक रिची टॉरेस और अश्वेत समलैंगिक मॉन्डेयर जोन्स अमेरिकी कांग्रेस की प्रतिनिधि सभा के सदस्य चुने जाने वाले पहले समलैंगिक नेता बन गए हैं.
अमेरिका में एलजीबीटी+ समुदाय के अधिकारों के लिए काम करने वाले जीलैड नामक संस्था की अध्यक्ष सारा केट एलिस ने एक बयान जारी कर कहा, "आज देश भर में हासिल हुई अश्वेत और ट्रांसजेंडर एलजीबीटी अमेरिकी लोगों की जीत ऐतिहासिक है और लंबे समय से अपेक्षित है." एलिस का मानना है कि इनकी जीत "एलजीबीटी की स्वीकार्यता में लगी एक बड़ी छलांग" का प्रतीक है.
सारा मैकब्राइड 2016 में पिछले चुनावों में देश के एक प्रमुख राजनैतिक दल के सम्मेलन को संबोधित करने वाली पहली ओपेनली ट्रांसजेंडर व्यक्ति बनीं थीं. तब उन्होंने डेमोक्रैटिक पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया था और इस बार वह डेलावेयर प्रांत में जीत हासिल कर राज्य की सीनेट में पहुंची हैं. जीत की खबर के बाद एक ट्वीट कर उन्होंने आशा जताई कि उनकी जीत से "एक एलजीबीटी बच्चे को यह लगेगा कि हमारे लोकतंत्र में उनके लिए भी जगह है."
इसी समुदाय के और विजेताओं में मॉरी टर्नर का नाम लिया जा सकता है, जो खुद को नॉन-बाइनरी यानि ना तो पुरुष और ना ही महिला के तौर पर देखते हैं. एलजीबीटी विक्ट्री फंड नामक संस्था ने बताया है कि टर्नर की ओकलाहोमा विधान सभा में जीत एक नॉन-बाइनरी मुसलमान होने के नाते अपनी तरह का पहला मामला है.
फ्लोरिडा की राज्य विधानसभा के लिए चुनी गई मिशेल रायनर पहली ओपेनली एलजीबीटी अश्वेत महिला हैं. वहीं शेवरिन जोन्स फ्लोरिडा की प्रांतीय सीनेट की पहली अश्वेत एलजीबीटी सदस्य और किम जैकसन जॉर्जिया की पहली ओपेनली एलजीबीटी+ विधायक बनी हैं.
ताजा राष्ट्रीय चुनावों पर कराया गया 'एडिसन रिसर्च' एक्जिट पोल दिखाता है कि 2020 के कुल मतदाताओं में एलजीबीटी+ वोटरों की तादाद करीब 7 फीसदी है. 2018 के मध्यावधि चुनावों में एलजीबीटी+ वोटरों का हिस्सा 6 फीसदी के आसपास, तो 2016 के राष्ट्रपति चुनावों में 5 फीसदी रहा था. ह्यूमन राइट्स कैंपेन के अध्यक्ष अल्फोंसो डेविड ने एक वक्तव्य जारी कर कहा है, "पिछले तीन चुनावों से एलजीबीटी+ वोटरों का हिस्सा लगातार बढ़ता ही गया है, जिससे हमारा समुदाय एक ऐसा मजबूत मतदाता वर्ग बन कर उभरा है, जिसे लुभाना राजनेताओं के लिए जरूरी है."
आरपी/एमजे (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
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