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राजनीतिसंयुक्त राज्य अमेरिका

यूरोप क्यों चाहता है कि कमला हैरिस जीतें अमेरिकी चुनाव

१ नवम्बर २०२४

अगर डॉनल्ड ट्रंप फिर से राष्ट्रपति चुने जाते हैं, तो यूरोप को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. सुरक्षा और मुक्त व्यापार समझौता खतरे में पड़ सकता है. हालांकि यूरोप का कहना है कि वे हर परिस्थिति के लिए तैयार हैं.

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जर्मन चांसलर शॉल्त्स अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में हैरिस की जीत देखना चाहेंगे
जर्मन चांसलर शॉल्त्स अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में हैरिस की जीत देखना चाहेंगेतस्वीर: SVEN HOPPE/AFP/Getty Images

अगर यूरोपीय लोग 5 नवंबर को अमेरिका के अगले राष्ट्रपति का चुनाव कर सकें, तो परिणाम बिलकुल स्पष्ट होगा. पश्चिमी यूरोप में 69 फीसदी और पूर्वी यूरोप में 46 फीसदी लोग डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस को वोट देंगे.

अक्टूबर में पोलस्टर नोवस और गैलप इंटरनेशनल द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार, रिपब्लिकन उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप को पश्चिमी यूरोप में केवल 16 फीसदी और पूर्वी यूरोप में 36 फीसदी मतदाताओं का समर्थन प्राप्त होगा.

हैरिस की रेटिंग सबसे ज्यादा डेनमार्क (85 फीसदी) और फिनलैंड (82 फीसदी) में है. जबकि, यूरोप में डॉनल्ड ट्रंप के सबसे ज्यादा प्रशंसक सर्बिया (59 फीसदी) और हंगरी (49 फीसदी) में हैं. ये दोनों ही देश तेजी से निरंकुश होते जा रहे हैं. दूसरे शब्दों में कहें, तो इन दोनों देशों में एक समूह पूरी तरह से सत्ता पर काबिज हो रहा है, जिससे लोगों की स्वतंत्रता खतरे में पड़ रही है.

ट्रंप के प्रशंसकों की संख्या कम है

हंगरी से यूरोपीय संसद के सदस्य आंद्रेस लाजलो ने डीडब्ल्यू से कहा, "अगर ट्रंप चुनाव जीतते हैं, तो यह सबसे अच्छी बात होगी.” लाजलो हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान की पार्टी फिडेस के सदस्य हैं. इस पार्टी को रूस का समर्थक माना जाता है.

दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी विचार वाले नेता लाजलो ने कहा, "अमेरिका के लोग वहां की राजनीति में बदलाव चाहते हैं. वे मौजूदा स्थिति से तंग आ चुके हैं और ट्रंप ही इसे बदल सकते हैं.”

उन्होंने आगे कहा कि ब्रसेल्स यानी यूरोपीय संघ में भी इस तरह के बदलाव की जरूरत है. उन्होंने पूछा, "क्या हम यूक्रेन, मध्य-पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया में बढ़ते संघर्ष को रोक सकते हैं?” उनकी राय में, सिर्फ ट्रंप ही इस मामले में पूरी दुनिया का नेतृत्व कर सकते हैं.

यूरोपीय संघ की समिति की अध्यक्षता समय के हिसाब से बदलती रहती है. इस समय हंगरी यूरोपीय संघ की परिषद की अध्यक्षता कर रहा है. हंगरी के पीएम ओरबान ने इस साल कीव, मॉस्को, बीजिंग और पाम बीच पर स्थित ट्रंप के निवास के लिए ‘शांति मिशन' पर निकलकर यूरोपीय संघ में गुस्सा पैदा कर दिया.

2024 में अमेरिका के दौरे पर गए हंगरी के राष्ट्रपति ओरबान ने की थी ट्रंप से मुलाकात
2024 में अमेरिका के दौरे पर गए हंगरी के राष्ट्रपति ओरबान ने की थी ट्रंप से मुलाकाततस्वीर: Viktor Orban via X via REUTERS

ओरबान का मानना है कि डॉनल्ड ट्रंप कुछ ही दिनों में यूक्रेन में रूसी युद्ध को समाप्त कर सकते हैं. अक्टूबर में, ओरबान ने कहा कि ट्रंप की जीत के बाद शानदार जश्न मनाया जाएगा. यूरोपीय संघ और नाटो में सिर्फ ओरबान ही एक ऐसे राष्ट्र प्रमुख हैं जिनका यह विचार है.

ब्रसेल्स स्थित सेंटर फॉर यूरोपियन पॉलिसी स्टडीज के सीनियर रिसर्च फेलो स्टीवन ब्लॉकमैन ने डीडब्ल्यू को बताया, "हालांकि, नीदरलैंड से लेकर जर्मनी और इटली तक के कई दक्षिणपंथी और राष्ट्रवादी विचार वाले नेता निश्चित रूप से ओरबान से सहमत हैं. वे डॉनल्ड ट्रंप की जीत से उत्साहित महसूस कर सकते हैं.”

हैरिस की नीतियों के बारे में ज्यादातर लोगों को पहले से ही अनुमान

यूरोपीय संघ के अधिकांश राष्ट्र प्रमुख हैरिस का समर्थन करते हैं. जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा, "मैं उन्हें अच्छी तरह से जानता हूं. वे निश्चित रूप से एक अच्छी राष्ट्रपति होंगी.”

शॉल्त्स ने ट्रांस-अटलांटिक सहयोग का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे लिए जो महत्वपूर्ण है, हैरिस उस पर टिकी रहना चाहती हैं.

हैरिस की जीत पर यूरोप की क्या प्रतिक्रिया होगी? इस सवाल के जवाब में ब्लॉकमैन ने डीडब्ल्यू से कहा, "बिलकुल राहत की सांस.” हैरिस की नीतियों के बारे में ज्यादातर लोगों को पहले से ही अनुमान है. वह चार साल तक अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के अधीन उपराष्ट्रपति रही हैं.

उन्होंने आगे कहा, "यूरोप में रणनीतिक तौर पर आत्मनिर्भर होने के बारे में काफी ज्यादा चर्चा होती है. इसके बावजूद, यूरोप अमेरिका पर अधिक निर्भर हो गया है, खासकर सुरक्षा और ऊर्जा के मामले में.”

रूस के खिलाफ युद्ध में यूक्रेन का समर्थन करने में भी अमेरिका की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. ब्लॉकमैन ने कहा कि रूस से ऊर्जा संबंध खत्म करने के कारण, यूरोप की निर्भरता अमेरिकी गैस निर्यात पर ज्यादा बढ़ गई है.

नीदरलैंड्स की ग्रीन लेफ्ट पार्टी की नेता और यूरोपीय संसद की सदस्य टिनेके स्ट्रिक ने डीडब्ल्यू से कहा, "वह लोगों को उम्मीद देती हैं. अमेरिका और यूरोप में लोकतांत्रिक ताकतों का एक साथ जुड़ना बड़ी जीत होगी. वहीं, ट्रंप दुनिया के तानाशाहों के साथ दोस्ती बढ़ाने के इच्छुक हैं और वह उन्हें प्रोत्साहित करते हैं. ट्रंप की वजह से ऐसे लोगों का मनोबल बढ़ेगा. यह लोकतंत्र, मौलिक अधिकारों और उस दुनिया के लिए बहुत बुरी खबर है जिसमें हम रहना चाहते हैं.”

सभी संभावित परिस्थितियों के लिए तैयार

यूरोपीय संसद में विदेश मामलों की समिति के प्रमुख और जर्मन रूढ़िवादी डेविड मैकएलिस्टर ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि हमें किसी से बहुत ज्यादा अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए. भावी राष्ट्रपति ट्रंप या हैरिस यूरोपीय संघ से काफी ज्यादा मांग कर सकते हैं.

उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "हमें इस चुनाव के दोनों संभावित परिणामों के लिए तैयार रहना चाहिए. यह हमारे हित में है कि हम अमेरिका के साथ यथासंभव नजदीकी बनाए रखें, चाहे व्हाइट हाउस में कोई भी बैठा हो. हो सकता है कि बोलने का अंदाज अलग हो, लेकिन मुझे यकीन है कि हैरिस सरकार भी यही कहेगी कि यूरोप के लोग अपनी सुरक्षा और रक्षा खुद से करने का प्रयास करें.”

ब्रिटेन में 2019 में नाटो सम्मेलन में हिस्सा लेते नाटो प्रमुख और ट्रंप
'ट्रंप-प्रूफ' बनने की कोशिश कर रहा है ईयू तस्वीर: Francisco Seco/AP Photo/picture alliance

यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देशों के राजनयिक और यूरोपीय संघ आयोग के अधिकारी पिछले कई सप्ताह से गोपनीय तरीके से चर्चा कर रहे हैं कि अमेरिकी चुनाव के नतीजों से कैसे निपटा जाए, चाहे वे कुछ भी हों.

नाम न छापने की शर्त पर यूरोपीय संघ के एक राजनयिक ने बताया कि इसका मुख्य उद्देश्य आर्थिक और सुरक्षा नीति को यथासंभव ‘ट्रंप-प्रूफ' बनाना है. उदाहरण के लिए, अगर राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप यूरोप से आने वाले सामानों पर दंडात्मक शुल्क लगाते हैं, तो इसका उद्देश्य तुरंत जवाबी कार्रवाई करने में सक्षम होना है.

खास तैयारी की जरूरत

जर्मन नेता और यूरोपीय संसद की अंतरराष्ट्रीय व्यापार समिति के अध्यक्ष बर्नड लैंग ने डीडब्ल्यू से कहा, "हम बिना किसी लड़ाई के अपने हितों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. हमने अपने टूलबॉक्स यानी संसाधनों का काफी विस्तार किया है. मुझे यकीन है कि चुनाव के बाद हम इन संसाधनों का इस्तेमाल उन चीजों से लड़ने के लिए करेंगे जो पहले से ही गलत हैं. जैसे, स्टील पर अवैध टैरिफ या मुद्रास्फीति समायोजन अधिनियम से सब्सिडी.” अमेरिकी चुनाव को लेकर चीनी निर्यातकों में खलबली

लैंग ने कहा कि उन्हें लगता है कि अमेरिकी व्यापार नीति यूरोपीय संघ के लिए और अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाएगी, चाहे चुनाव में कोई भी जीत जाए. उन्होंने कहा, "मैं कहूंगा कि आर्थिक नीतियों के मामले में अमेरिका बहुपक्षीय से घरेलू दृष्टिकोण की ओर बढ़ रहा है. मैं इसे 'होमलैंड' अर्थव्यवस्था कहता हूं. इस मामले में, रिपब्लिकन और डेमोक्रेट के बीच कोई खास अंतर नहीं है.”

जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने विदेश और सुरक्षा नीति के लिए इसी तरह की भविष्यवाणी की है. अक्टूबर के अंत में लंदन की यात्रा के दौरान एक प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा, "आने वाले समय में अमेरिका, किसी न किसी तरह यूरोप में कम सक्रिय रहेगा. इसलिए हमें खुद ही अपनी सुरक्षा और हितों की रक्षा के लिए ज्यादा काम करना होगा.”