लड़के को यूज करना ही होगा लड़कियों का टॉयलेट
५ अगस्त २०१६एक लड़का, जो पहले लड़की था, अब भी लड़कों के टॉयलेट में नहीं जा पाएगा. अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने उसके स्कूल से कह दिया है कि चाहे तो इस लड़के को जबरन लड़कियों के टॉयलेट में भेज सकते हो.
अमेरिका में टॉयलेट्स का यह झगड़ा अब सुप्रीम कोर्ट में है. वैसे, वर्जीनिया स्टेट हाई कोर्ट ने लड़की से लड़के बने इस बालक को अपनी मर्जी का टॉयलेट यूज करने की इजाजत दे दी थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसका फैसला पलट दिया है. ट्रांसजेंडर लोगों को अलग टॉयलेट उपलब्ध कराए जाएं या उन्हें उनकी मर्जी के टॉयलेट इस्तेमाल करने दिया जाए, इस बारे में अभी सुप्रीम कोर्ट ने आखिरी फैसला नहीं किया है. फिलहाल बस हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई गई है.
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यह मामला पिछले साल से चल रहा है. 17 साल के गैविन ग्रिम के नाम पर अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन ने ग्लूसेस्टर काउंट स्कूल पर मुकदमा कर दिया. यूनियन की आपत्ति स्कूल की टॉयलेट नीति को लेकर थी. इस नीति के तहत ट्रांसजेंडर स्टूडेंट्स को वैकल्पिक टॉयलेट्स इस्तेमाल करने होते हैं.
ग्रिम के वकील जोशुआ ब्लॉक बताते हैं कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुश नहीं हैं. उन्होंने कहा, "निराशाजनक है. गैविन को स्कूल का एक और साल उसी पीड़ा के साथ शुरू करना होगा. इस नीति ने उसे उसके साथियों से जुदा कर दिया है."
लेकिन स्कूल खुश है. वॉशिंगटन डीसी से करीब 225 किलोमीटर दूर ग्लूसेस्टर काउंटी के इस स्कूल के बोर्ड ने एक बयान जारी कर कहा, "हम इस बात पर यकीन रखते हैं कि यह एक जटिल मामला है और स्कूल की नीति सारे अभिभावकों और बच्चों का भला देखते हुए बनाई गई है."
जो दुआ देते हैं, उनकी जिंदगी नर्क जैसी है
सुप्रीम कोर्ट में फैसला सुनाते वक्त सारे जज सहमत नहीं थे. आठ में से तीन जज गैविन के साथ थे. पिछले साल मई में ओबामा प्रशासन ने सरकारी स्कूलों को आदेश दिया था कि ट्रांसजेंडर बच्चों को अपने नए लिंग के हिसाब से टॉयलेट इस्तेमाल करने दें, नहीं तो उन्हें संघीय सहयोग राशि से हाथ धोना होगा. देश के 23 राज्य इस आदेश को चुनौती दे चुके हैं.