सुप्रीम कोर्ट ने ब्रिटिश संसद के स्थगन को रद्द किया
२४ सितम्बर २०१९ब्रिटेन की सर्वोच्च अदालत ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन द्वारा ब्रेक्जिट के लिए पांच सप्ताह संसद बंद करने के फैसले को गैरकानूनी करार दिया है. अदालत के 11 जजों की एक खंडपीठ ने एकमत होकर फैसला दिया. इस फैसले के बाद बोरिस जॉनसन का विरोध बढ़ना तय माना जा रहा है. बोरिस जॉनसन का कहना था कि इस फैसले के जरिए महारानी के भाषण द्वारा उनकी नीतियां सामने रखी जा सकेंगी.
सर्वोच्च अदालत की प्रमुख ब्रेंडा हेल ने फैसला पढ़ते हुए कहा,"महारानी को संसद को स्थगित करने की सलाह देना अवैध था. इससे संसद के फैसला लेने के संवैधानिक अधिकार में रुकावट आई. इसका कोई न्यायोचित कारण भी नहीं था. संसद का स्थगन रद्द किया जाता है. यह सभी 11 जजों की राय है. अब यह संसद और स्पीकर को तय करना है कि आगे क्या किया जाएगा."
संसद के हाउस ऑफ कॉमन्स के स्पीकर ने कहा है कि उनके सदन का सत्र बिना किसी देरी के तुरंत शुरू किया जाएगा. हाउस ऑफ कॉमन्स में बोरिस जॉनसन ने बहुमत खो दिया. अधिकतर सांसदों ने नो डील ब्रेक्जिट के मसले पर जॉनसन का विरोध किया. स्पीकर जॉन बेरको ने कहा,"मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं. संसद का स्थगन गैरकानूनी था. हमारे संसदीय लोकतंत्र के हिसाब से हाउस ऑफ कॉमन्स की कार्यवाही जल्द से जल्द शुरू होनी चाहिए. मैं इसके लिए तुरंत पार्टी के नेताओं से बात करूंगा."
ब्रिटिश संसद को 10 सितंबर से 14 अक्टूबर तक के लिए स्थगित किया गया था. ये स्थगन प्रधानमंत्री की सलाह पर महारानी द्वारा किया गया था. इस फैसले के बाद जॉनसन की पार्टी के बागी सांसदों समेत कई सांसदों ने कहा है कि अगर जॉनसन को महारानी को गलत सलाह देने का दोषी पाया गया है तो उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए. अदालत ने अपने फैसले में कहा," हमारे सामने लाए गए साक्ष्यों से तो यही मालूम चलता है कि कोई ऐसा कारण नहीं था जिसकी वजह से महारानी को पांच हफ्ते के लिए संसद को स्थगित करने की सलाह दी जाए." लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉरबिन ने बोरिस जॉनसन से अपनी स्थिति स्पष्ट करने या नए चुनाव करवाने की बात कही है.
आरकेएस/एनआर(रॉयटर्स)
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