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गिरफ्तार पत्रकारों को मंत्री ने बताया राजनीतिक दल का एजेंट

प्रभाकर मणि तिवारी
१९ नवम्बर २०२१

त्रिपुरा में गिरफ्तार की गईं दो पत्रकारों के बारे में राज्य के सूचना व संस्कृति मंत्री सुशांत चौधरी ने कहा है कि वे एक पार्टी की एजेंट थीं और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने आई थीं. दोनों पत्रकारों को जमानत मिल चुकी है.

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तस्वीर: North East Live/AP/picture alliance

त्रिपुरा में कथित सांप्रदायिक हिंसा के मुद्दे पर सोशल मीडिया पर सरकार की आलोचना करने वालों के खिलाफ पुलिस अभियान थमने का नाम नहीं ले रहा है. पुलिस ऐसे तमाम आलोचकों के सोशल मीडिया खातों पर करीबी निगाह रख रही है.

दो महिला पत्रकारों की गिरफ्तारी और रिहाई और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हालांकि सरकार को झटका लगा है. लेकिन बावजूद इसके ऐसे खातों की निगरानी जारी है. दो सप्ताह पहले पुलिस ने ट्विटर से ऐसे 68 ट्विटर खातों को ब्लॉक करने और उनके संचालकों का ब्योरा बताने को कहा था. उसके बाद 24 प्रोफाइल बंद हैं और 57 ट्वीट्स भी डिलीट कर दिए गए हैं.

क्या है मामला

बीते महीने दुर्गा पूजा के दौरान बांग्लादेश में कई पूजा पंडालों पर हमले, तोड़-फोड़ और आगजनी की गई थी. इन घटनाओं में कुछ लोगों की मौत हो गई थी. उस घटना के विरोध में त्रिपुरा में विश्व हिंदू परिषद की ओर से एक रैली का आयोजन किया गया था. आरोप है कि उस दौरान अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों और मस्जिदों पर हमले और आगजनी की गई.

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हालांकि पुलिस और सरकार ने इन घटनाओं को सिरे से खारिज कर दिया. लेकिन सोशल मीडिया पर इन घटनाओं की कथित तस्वीरें वायरल हो गईं. उसके बाद पुलिस ने कई लोगों के खिलाफ झूठी तस्वीरें और वीडियो अपलोड करने के मामले गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया था. इनमें से कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया गया. इनमें दिल्ली के एक मीडिया संगठन की दो महिला पत्रकार भी शामिल थीं.

राज्य सरकार ने 29 अक्टूबर को आरोप लगाया था कि बाहर से आए निहित स्वार्थ वाले एक समूह ने 26 अक्टूबर की घटना के बाद सोशल मीडिया पर जलती हुई एक मस्जिद की फर्जी तस्वीरें अपलोड करके त्रिपुरा में अशांति पैदा करने और प्रशासन की छवि खराब करने के लिए साजिश रची. पड़ोसी बांग्लादेश में साम्प्रदायिक हिंसा के विरोध में विश्व हिंदू परिषद की ओर से आयोजित रैली के दौरान 26 अक्टूबर को कथित तौर पर एक मस्जिद में तोड़फोड़ की गई और दो दुकानों में आग लगा दी गई थी.

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया था, "हमने गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत 102 सोशल मीडिया अकाउंट पोस्ट पर कड़ी कार्रवाई की है. इसमें 68 ट्विटर, 31 फ़ेसबुक और दो यूट्यूब अकाउंट शामिल हैं. हमने इन प्लेटफॉर्म से कहा है कि वो अकाउंट चलाने वालों की जानकारी दें और आपत्तिजनक व फर्जी पोस्ट को हटाने के लिए कदम उठाएं."

Indien Tripura | Gewalt gegen Muslime
त्रिपुरा में जलाया गया घरतस्वीर: Panna Ghosh/AP Photo/picture alliance

पुलिस का दावा है कि इन लोगों ने कथित तौर पर फर्जी फोटो और जानकारियां ऑनलाइन अपलोड कीं जिनके कारण सांप्रदायिक तनाव बढ़ने का खतरा था.

पीसीआई चिंतित

इस सप्ताह त्रिपुरा हिंसा कवर कर रहीं दो महिला पत्रकारों समृद्धि सकुनिया और स्वर्णा झा को गिरफ्तार कर लिया गया था। यह गिरफ्तारी विश्व हिंदू परिषद की शिकायत के बाद दर्ज की गई थी. लेकिन त्रिपुरा की एक स्थानीय अदालत ने अगले दिन ही दोनों पत्रकारों को जमानत दे दी. उनकी रिहाई के बाद सूचना व सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुशांत चौधरी ने आरोप लगाया है कि दोनों महिला पत्रकार राजनीतिक दल की एजेंट हैं. मंत्री का कहना है कि दोनों महिला पत्रकारों का मकसद राज्य में अशांति फैलाना था. इसी वजह से उन्होंने फर्जी तस्वीरें और खबरें वायरल की थीं.

तस्वीरेंः यूरोप में भी हिंसा

इस बीच, भारतीय प्रेस काउंसिल (पीसीआई) ने भी दो महिला पत्रकारों की गिरफ्तारी का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से इस मामले में रिपोर्ट मांगी है. पीसीआई ने इन गिरफ्तारियों पर गहरी चिंता जताई है.

दूसरी ओर, त्रिपुरा में यूएपीए के तहत दर्ज प्राथमिकी के मामले में वकीलों व पत्रकारों को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक वकीलों, पत्रकारों पर कठोर कार्रवाई नहीं करने के आदेश दिए हैं. अदालत ने याचिका पर त्रिपुरा सरकार से जवाब भी मांगा है.

Indien Neu Delhi | Protest gegen Gewalt gegen Muslime in Tripura
तस्वीर: Imtiyaz Khan/AA/picture alliance

इस याचिका में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून को भी चुनौती दी गई है. यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के दो वकीलों अंसार इंदौरी व मुकेश और एक पत्रकार ने दाखिल की है. वकीलों ने स्वतंत्र तथ्य खोजी टीम के सदस्य के तौर पर त्रिपुरा का दौरा किया था जबकि पत्रकार पर उनके एक ट्वीट के लिए मामला दर्ज किया गया है.

सोशल मीडिया खाते बंद

त्रिपुरा में हुए हालिया सांप्रदायिक हिंसा के बाद पुलिस ने ट्विटर से जिन 68 अकाउंट को बंद करने के लिए कहा था, दो हफ्तों बाद उनमें से 24 अकाउंट को बंद कर दिया गया है जबकि 57 ट्वीट्स को डिलीट कर दिया गया है. बंद किए गए सोशल मीडिया खातों में ज्यादातर के फॉलोअर्स की तादाद बहुत कम है हालांकि 12 खातों के 10 हजार से अधिक फॉलोअर्स हैं.

इनमें से कई ट्विटर हैंडल बीजेपी, उसके नेताओं और उनकी विचारधारा के आलोचक रहे हैं. इनको चलाने वालों में पत्रकारों के अलावा ऐसे लोग भी शामिल हैं जो कांग्रेस, युवा कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और एआईएमआईएम से जुड़े होने का दावा करते हैं.