सच हुआ लड़के से लड़की और फिर मॉडल बनने का सपना
३ फ़रवरी २०१७अंजलि का जन्म नेपाल के एक गरीब किसान परिवार में पांचवें बेटे के रूप में हुआ था. उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मॉडलिंग उनका पेशा बनेगा. लेकिन सबसे पहली चुनौती यह स्वीकार करना था कि वह अंदर से एक महिला हैं.
अंजलि ने बताया, "बचपन में ही मुझे पता चल गया था कि लड़का होना मुझे अच्छा नहीं लगता. लड़कों जैसे कपड़े पहनना मुझे पसंद नहीं था." लेकिन गांव में और लोगों को यह बात समझाना बहुत मुश्किल था. स्कूल में दूसरे लड़के उनका मजाक उड़ाते थे.
अब अंजलि कहती हैं, "मुझे बहुत दुविधा और तनाव होने लगा. हमेशा मेरा खुद से यही सवाल होता था कि मैं तो एक लड़का हूं फिर मुझे यह सब क्यों महसूस होता है? मैंने इसे बदलने की कोशिश की लेकिन यह खुद को मानसिक तनाव देने के सिवाय कुछ नहीं था."
भेदभाव के शिकार समलैंगिक
एक किशोर के तौर पर जब अंजलि काठमांडू पहुंचीं तो उन्हें वहां कोई नहीं जानता था. लेकिन वहां उन्हें अपने कई सवालों के जबाव मिलने शुरू हो गए थे. अंजलि बताती हैं, "मैं शहर में घूमती थी और सुंदर साड़ियों और ड्रेसों की दुकानों में जाती थी. मेरा मन करता था कि मैं भी इसी तरह सजूं. मैं भगवान से प्रार्थना करती कि वह मुझे लड़की बना दे."
फिर अंजलि को नेपाल में समलैंगिक और ट्रांसजेंडर लोगों के लिए काम करने वाली ब्लू डायमंड सोसायटी के बारे में पता और यहीं से उनकी जिंदगी बदल गई. 2005 में उन्होंने अपने परिवार और दोस्तों को बता दिया कि वह एक ट्रांसजेंडर हैं. अंजिल का कहना है, "यह मेरे लिए पुर्जन्म की तरह था. मुझे याद है कि मैंने भगवान का आभार जताया और कहा कि शुक्र है, मैं दुनिया में अकेली नहीं हूं. मेरे जैसे और भी बहुत से लोग हैं."
इसके पांच साल बाद अंजलि ने सिकिल ब्रेस्ट इम्पलांट कराया और उसके बाद उन्हें फैशन इंडस्ट्री में करियर बनाने का ख्याल आया. नेपाल में ट्रांसजेंडर लोगों के बारे में एक पत्रिका ने एक विस्तृत लेख छापा और अंजिल को पत्रिका के कवर पर जगह मिली. अंजलि अपने लक्ष्य के करीब पहुंच रही थीं लेकिन वह उन्हें चकमा दिए जा रहा था. नेपाल में उन्होंने कई साल तक संघर्ष किया, लेकिन ज्यादा कामयाबी नहीं मिल पाई. फिर उन्होंने पड़ोसी देश भारत जाने के बारे में सोचा, जहां एक विशाल फैशन इंडस्ट्री है.
देखिए LGBTQ की ABC
वह कहती हैं, "मैंने सोचा कि कम से कम कोशिश तो करनी ही चाहिए." और दिसंबर 2016 में उनकी कोशिशें रंग लाईं. दो बार ऑडिशन में नाकाम रहने के बाद उन्हें आखिरकार लेक्मे फैशन वीक में रैंप पर चलने का मौका मिला. फोन पर खिलखिलाते हुए अंजलि कहती हैं, "मैं बहुत बहुत उत्साहित हूं. मैं बस इस पल का आनंद लेने की कोशिश कर रही हूं. यह मेरे लिए किसी सपने के सच होने जैसा है."
एके/वीके (एपी)