चीनी टीका कम असरदार
१२ अप्रैल २०२१ऐसा पहली बार है जब चीन के शीर्ष रोग नियंत्रण अधिकारी ने माना है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन कम असरदार है. अधिकारी का कहना है कि सरकार टीके को असरदार बनाने के लिए कोरोना टीके को मिश्रित करने पर विचार कर रही है. चीन के रोग नियंत्रण केंद्र (सीडीसी) के निदेशक गाओ फू ने चेंगदू शहर में एक सम्मेलन में शनिवार को कहा चीनी वैक्सीन की ''बहुत उच्च सुरक्षा दर नहीं है.''
चीन ने अन्य देशों को टीकों की करोड़ों खुराकें दी हैं और पश्चिमी देशों के टीकों के प्रभावी होने पर संशय पैदा करने और बढ़ावा देने की भी वह लगातार कोशिश कर रहा है. वह फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन की प्रभावशीलता को लेकर शक पैदा करने की कोशिश में जुटा है.
गाओ ने कहा, ''हम इस बात पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं कि क्या हमें टीकाकरण प्रक्रिया के लिए अलग-अलग टीकों का इस्तेमाल करना चाहिए.'' रविवार को जब अधिकारियों से गाओ के बयान और संभावित बदलाव पर सवाल किए गए तो उन्होंने सीधे जवाब देने से इनकार किया. लेकिन एक अन्य सीडीसी के अधिकारी ने कहा कि एमआरएनए आधारित टीकों पर काम किया जा रहा है. एमआरएनए तकनीक का इस्तेमाल पश्चिम देशों के वैक्सीन निर्माता करते हैं.
गाओ से उनके बयान को लेकर फोन पर टिप्पणी मांगी गई लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया. एक अधिकारी वांग हुआक्विंग ने कहा, ''हमारे देश में विकसित एमआरएनए वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल में प्रवेश कर चुकी है.''
कोरोना वायरस महामारी जो मध्य चीन से साल 2019 में शुरू हुई उसने अब तक लाखों लोगों की जान ले ली है. चीन की निजी दवा कंपनी सिनोवैक और सरकारी कंपनी सिनोफार्म की खुराकें दर्जनों देशों को भेजी जा चुकी है. जिनमें मेक्सिको, तुर्की, इंडोनेशिया, हंगरी और ब्राजील शामिल हैं.
ब्राजील में हुए एक शोध के मुताबिक चीन की सिनोवैक वैक्सीन वायरस के खिलाफ सिर्फ 50.4 फीसदी ही प्रभावी साबित हुई है, वहीं फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन 97 फीसदी असरदार साबित हुई.
एए/सीके (एपी)