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समाजएशिया

टिक टॉक ने बढ़ाया था ग्रामीण महिलाओं का आत्मविश्वास

२४ जुलाई २०२०

ग्रामीण भारत की महिलाओं के लिए टिक टॉक ने ऐसा मंच दिया था, जिससे उनका आत्मविश्वास तो बढ़ा ही, साथ ही असली दुनिया में उन्हें पहचान भी मिली.

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China App TikTok
तस्वीर: Reuters/Danish Siddiqui

भारत ने जब टिक टॉक को बैन किया, तो बड़े शहरों के बाहर रहने वाली असंख्य महिलाओं के लिए मौज-मस्ती, यहां तक की भाग्य की खिड़की भी बंद हो गई. मध्य प्रदेश के छोटे से शहर की रहने वाली 27 साल की ममता वर्मा की शादी कॉलेज की पढ़ाई खत्म होते ही हो गई. एक दिन उनकी बेटी ने उन्हें फोन पर टिक टिक टॉक इंस्टॉल करने को कहा जिससे वह देश भर से अपलोड होने वाले और अंचभित करने वाले वीडियो देख पाईं. एक समय में भारत टिक टॉक के लिए सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय बाजार था. ममता ने समाचार एजेंसी एएफपी से फोन पर कहा, "इंस्टाग्राम और यूट्यूब बड़े लोगों के लिए हैं लेकिन मुझे टिक टॉक पसंद है." ममता ने खुद से वीडियो रिकॉर्ड करना और टिक टॉक पर अपलोड करना शुरू कर दिया. ममता बताती हैं, "मेरे पहले वीडियो पर मुझे पांच लाइक मिले. वह मेरे लिए बहुत बड़ा हौसला था."

कुछ अर्से बाद ममता के टिक टॉक पर 10 लाख से अधिक फॉलोअर हो गए और उन्हें हर वीडियो के 4,000 रुपये मिलने लगे. ममता अपने छोटे और साधारण घर पर ही रोबोट डांस का वीडियो बनातीं और उसे अपलोड कर देतीं. ममता कहती हैं, "यह बहुत ज्यादा कमाई तो नहीं थी लेकिन टिक टॉक से होने वाली कमाई से घर चलाने में मदद मिली और कुछ पैसे नए घर के लिए जुटाने में मददगार साबित हुए. आपको पता है कि हमारे लिए 10 रुपये भी मायने रखते हैं." लेकिन बात सिर्फ पैसों की ही नहीं है. ममता कहती हैं, "टिक टॉक से पहले मेरे अंदर लोगों से बात करने का आत्मविश्वास ही नहीं था. मैं सिर्फ अपना काम करती और एक गृहिणी की तरह घर पर रहती. मैंने कभी लोगों से आंख नहीं मिलाई और ना ही ज्यादा बोला."

टिक टॉक ने दिलाया स्टार स्टेटस

भारत में अलग-अलग भाषा और कई बोलियां बोलने वाली एक बड़ी आबादी ग्रामीण इलाकों में बसती है. वह इलाका जो दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों से दूर है. सोशल मीडिया मैटर्स के अमिताभ कुमार कहते हैं कि अंदरूनी इलाकों के कई लोगों के लिए टिक टॉक आगे बढ़ने के लिए मंच मुहैया कराता था. कुमार कहते हैं, "बॉलीवुड और अमीर लोगों की बजाय आम लोगों के पास ऐसा कुछ बनाने का मौका था जिसमें 15 सेकंड में वह आपको हंसने, रोने, बंधने या फिर सोचने को मजबूर कर दें." टिक टॉक के टूल्स बेहद साधारण थे और इसका इस्तेमाल ऐसे लोग भी कर पाते हैं जो अंग्रेजी या हिंदी पढ़ना या लिखना नहीं जानते. साथ ही ऐप की खूबी यह थी कि वह कम स्पीड इंटरनेट पर भी चल जाता.

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टिक टॉक पर लोगों को साधारण स्टार के रूप में रूपाली मनोज भंडोले मिली. 29 साल की गृहिणी और मां, जिसने 14 साल की उम्र में ही स्कूल जाना छोड़ दिया था. महाराष्ट्र के छोटे से शहर में रहने वाली रूपाली को रोजाना पाइप के जरिए एक घंटा लगाकर पानी जमा करना पड़ता है और रोजाना बिजली कटौती का भी सामना करना पड़ता है. रूपाली ने टिक टॉक पर अपनी हालत का वीडियो मजाकिया लहजे में बनाकर अपलोड करना शुरू कर दिया और उसके कुछ समय बाद ही उन्होंने तीन लाख फॉलोअर बना लिए. वह कहती हैं, "मराठी टीवी शो में काम करने वाले एक शख्स ने मुझे स्टार बुलाया. मैं आपको नहीं बता सकती हूं कि मैं कितना खुश हुई." रूपाली बताती हैं कि उन्होंने केवल नौवीं तक पढ़ाई की और वह कोई बड़ी हस्ती नहीं है. रूपाली के मुताबिक जब टिक टॉक बैन हुआ तो वह रोने लगी.

टिक टॉक ना होता तो..

अर्चना अरविंद को उम्मीद है कि मंच से जो लाभ उन्हें हुआ है, वह लंबे अर्से तक चलेगा. महाराष्ट्र के पिंपलगांव की रहने वाली 35 वर्षीय अर्चना का परिवार इतना रूढ़िवादी है कि वह इस कारण घर से बाहर निकल नहीं पाती.लेकिन होम ब्यूटिशियन "टिक टॉक की रानी मुखर्जी" बन गई. अर्चना टिक टॉक पर डांस करती, गाना गाती और मशहूर गानों की नकल करती. ऐसा करते हुए उन्होंने 75 हजार फॉलोअर बना लिए. उन्होंने अपने टिक टॉक के एक वीडियो के लिए स्थानीय प्रतियोगिता भी जीती. अब उन्हें एक शॉर्ट फिल्म में छोटा रोल भी मिल गया है.

समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में अर्चना कहती हैं, "मैंने अपनी जिंदगी में कभी भी स्टेज पर जाकर कुछ नहीं बोला था या बातचीत की शुरूआत नहीं की थी." अर्चना के मुताबिक, "टिक टॉक पर रहते हुए जितना प्यार मुझे मिला,वह मेरा आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए काफी था. साथ ही उसने मुझे असली दुनिया में निडर भी बनाया." डाटा सुरक्षा को देखते हुए भारत सरकार ने वीडियो शेयरिंग ऐप टिक टॉक समेत 59 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया है. अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भी टिक टॉक जांच के दायरे में है.

एए/आईबी (एएफपी)

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