अर्जेंटीना -हरा स्कार्फ बना गर्भपात अधिकारों का प्रतीक
२१ फ़रवरी २०२०अर्जेंटीना में महिलाओं ने गर्भपात को वैध बनाने के लिए मुहिम छेड़ रखी हैं. इसी के मद्देनजर महिलाओं ने हजारों की संख्या में राजधानी ब्यूनस आयर्स में जुटकर प्रदर्शन किया. महिलाएं हरे रंग के स्कार्फ के साथ प्रदर्शन कर रही थीं जो अर्जेंटीना में गर्भपात अधिकार आंदोलन का प्रतीक बन गया है. ये महिलाएं गर्भपात को वैध बनाने के लिए एक नए बिल के लिए अभियान चला रही हैं. दो साल पहले रूढ़िवादी दक्षिण अमेरिकी देश में जनप्रतिनिधियों ने बिल को पास नहीं होने दिया था. वामपंथी विचारधारा वाले राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नांदेज ने नए बिल को प्राथमिकता देने के सिए प्रतिबद्धता जताई है. इस वजह से महिला अधिकारों के लिए काम करने वाले लोग काफी उत्साह में हैं. मनोविज्ञानी एंटोनेलो डेलासियो ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "हम कानून के इस साल बन जाने के लिए यहां लड़ाई लड़ने आए हैं. एक अवांछित गर्भावस्था यातना के बराबर है."
संसद के सामने इस रैली का आयोजन महिला अधिकार समूहों ने किया था. 2018 में अर्जेंटीना की संसद के निचले सदन ने गर्भपात को वैध बनाने के विधेयक को मंजूरी दे थी लेकिन रोमन कैथोलिक चर्च के दबाव में आकर सीनेट में रूढ़िवादी सांसदों ने उसे पारित नहीं होने दिया. 38 साल की नर्स नतालिया लिसरग्यू कहती हैं कि गर्भपात को वैध बनाना महत्वपूर्ण है. वह कहती हैं, "छिप कर मारने की जगह वैध तरीके से गर्भपात सभी को अस्पताल में जरूरी तकनीकों के साथ गर्भपात कराने की संभावना देता है." लिसरग्यू ने अपनी 12 वर्षीय बेटी के साथ इस रैली में हिस्सा लिया.
राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नांदेज ने चुनावी वादे को दोहराते हुए इसी महीने की शुरुआत में कहा था कि वह गर्भपात पर दंड को खत्म करने के लिए नया कानून प्रस्तावित करेंगे और साथ ही कोई महिला गर्भपात कराना चाहती है तो वह सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र में देखभाल हासिल कर पाएगी. उदारवादियों ने नवंबर के चुनावों में सीनेट में जीत हासिल की है. अधिकार कार्यकर्ताओं को नई उम्मीद जगी है कि सीनेट से विधेयक पारित हो पाएगा. चुनाव अभियान के दौरान रूढ़िवादियों और उदारवादियों के बीच इस मुद्दे पर जमकर कड़वाहट नजर आई थी, ऐसी संभावना है कि इस बार भी सीनेट में रूढ़िवादी प्रतिनिधि जमकर इस विधेयक का विरोध करेंगे. 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर अर्जेंटीना के रोमन कैथोलिक चर्च ने गर्भपात विरोधी रैली का एलान किया है. पोप फ्रांसिस के गृह देश में गर्भपात कराने पर चार साल तक की सजा का प्रावधान है और गर्भपात की अनुमति बलात्कार पीड़ित को सिर्फ तभी दी जाती है जब उसकी जान को खतरा होता है.
एए/एनआर (एएफपी)
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