भोपाल गैस त्रासदी: इंसाफ के इंतजार में बीते इतने साल
दो दिसंबर 1984 की रात भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से हुआ गैस रिसाव इतिहास की सबसे भयानक त्रासदियों में से एक था. इतने साल बाद भी प्रभावित परिवार इंसाफ की राह देख रहे हैं...
यही वह यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री थी जहां 1984 में जहरीली मेथाइल आईसोसायनेट गैस रिसाव ने 25,000 के ज्यादा जानें लीं. आज तक उस हादसे के बदनुमा दाग भुला नहीं सका है भोपाल.
प्रभावित परिवार मुआवजे के इंतजार में हैं. मुख्यमंत्री आवास के बाहर प्रदर्शन कर रहे लोगों की मांग है कि हादसे में प्रभावित हुए लोगों की सही संख्या बताई जाए और उनके परिवारों को मुआवजा दिया जाए.
जिस यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली गैस का रिसाव हुआ था उसके आसपास आज भी लोग रहते हैं. यहां का पानी उनके स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है. फैक्ट्री के पीछे बसी कालोनी का दृश्य.
हादसे के बाद पैदा हुए ज्यादातर बच्चों की आसामयिक मौत हो गई और जो बच गए उनमें किसी न किसी तरह की शारीरिक समस्या रह गई. कुछ अपंग हो गए, कुछ में चेहरे की विकृति, ऑटिज्म तो कुछ में सांस से संबंधित समस्याएं पाई गईं.
मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक गैस के रिसाव ने इलाके के पानी को बुरी तरह दूषित किया है जिसका असर आज तक बच्चों पर पड़ रहा है.
पिछले तीन दशकों में तमाम धरने और प्रदर्शन होते आए हैं, लेकिन आज तक प्रभावित परिवारों के हिस्से में इंसाफ नहीं आया.
भोपाल गैस त्रासदी में अपने परिवार के कई सदस्य खो चुकी रामप्यारी बाई बुढ़ापे की दहलीज पर खड़ी हैं. लगभग चार दशक बीत जाने के बाद भी मुआवजा मिलने उम्मीद उन्होंने खोई नहीं है.