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समानताअफगानिस्तान

तालिबान के शासन को अभी भी अवैध मानती हैं अफगान महिलाएं

४ जुलाई २०२२

हजारों मौलवियों के तालिबान सरकार को समर्थन देने के बाद अफगानिस्तान की महिला ऐक्टिविस्टों ने कहा है कि तालिबान का शासन अभी भी अवैध है. तालिबान ने देश में महिलाओं के अधिकारों पर कई प्रतिबंध लगाए हैं.

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Afghanistan Kabul | Frauen warten auf Brotausgabe
तस्वीर: ALI KHARA/REUTERS

पिछले हफ्ते तीन दिनों तक चली एक बैठक में मौलवियों ने तालिबान और उसके सर्वोच्च नेता हैबतुल्ला अखुंदजादा के प्रति निष्ठा की शपथ ली. इसके बाद देश की कई महिला ऐक्टिविस्टों ने तालिबान के शासन की आलोचना की और कहा कि मौलवी देश में सभी का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं.

मौलवियों की बैठक में लड़कियों के स्कूल जाने के अधिकार जैसे विषयों पर चर्चा ही नहीं हुई. लेकिन तालिबान ने उसके बाद से बैठक को शरिया कानून के तहत चलने वाले एक शुद्ध इस्लामिक राज्य के उनके प्रारूप में लोगों के विश्वास मत के रूप में पेश करने की कोशिश की है.

बैठक में 3,500 पुरुष मौजूद थे लेकिन एक भी महिला नहीं थी. मौलवियों का कहना था कि बैठक में देश की महिलाओं के बेटे और पति उनका प्रतिनिधित्व करेंगे. लेकिन कई महिलाओं ने इस बैठक की आलोचना की है.

Afghanistan Sender Tolo News | Sonia Niazi, Verschleierung von Journalistinnen im TV
तस्वीर: Wakil Kohsar/AFP/Getty Images

इस समय नॉर्वे में निर्वासन में रह रहीं अधिकार ऐक्टिविस्ट होडा खमोश कहती हैं, "देश की आधी आबादी की गैरमौजूदगी में हुई किसी बैठक में तालिबान के प्रति निष्ठा व्यक्त करने वाले किसी भी तरह के बयान स्वीकार्य नहीं हैं."

उन्होंने आगे कहा, "इस बैठक की ना कोई वैधता है और ना इसे लोगों की स्वीकृति है." अगस्त 2021 में देश में सत्ता एक बार फिर से हथिया लेने के बाद तालिबान ने शरिया कानून की कड़ाई से विवेचना करते हुए उसे लागू किया है, जिसका असर विशेष रूप से महिलाओं पर पड़ा है.

माध्यमिक विद्यालय जाने वाली लड़कियों को शिक्षा से दूर कर दिया गया है. महिलाओं को सरकारी नौकरियों से प्रतिबंधित कर दिया गया है, अकेले सफर करने से मना कर दिया गया है और उनके लिए इस तरह के कपड़े पहनना अनिवार्य कर दिया गया है जिनसे चेहरों के अलावा और कुछ दिखाई ना दे.

तालिबान ने गैर-धार्मिक संगीत बजाने पर भी रोक लगा दी है, टीवी चैनलों को ऐसी फिल्में और सीरियल दिखाना मना कर दिया है जिनमें महिलाओं के शरीर ढके हुए ना हों. पुरुषों को पारंपरिक कपड़े पहनने और दाढ़ी बढ़ाने के लिए कहा गया है.

Afghanistan neue Bekleidungsregeln der Taliban
तस्वीर: Ahmad Sahel Arman/AFP

काबुल में महिलाओं के एक संगठन ने भी मौलवियों की बैठक की निंदा की और कहा कि उसमें उनका प्रतिनिधित्व नहीं हुआ. इस विषय पर एक समाचार वार्ता के आयोजन के बाद आयोजक ऐनूर उजबिक ने एएफपी को बताया, "उलेमा समाज का सिर्फ एक हिस्सा हैं, पूरा समाज नहीं हैं."

उन्होंने यह भी कहा, "उन्होंने जो फैसले लिए वो सिर्फ उनके हित में हैं और देश और जनता के हित में नहीं हैं. एजेंडा में महिलाओं के लिए कुछ नहीं था और ना विज्ञप्ति में."

महिलाओं के संगठन ने एक बयान में कहा कि तालिबान जैसे पुरुषों ने इससे पहले भी इतिहास में निरंकुश रूप से सत्ता कब्जाई है लेकिन अक्सर सत्ता उनके पास बस थोड़े ही समय के लिए रहती है और फिर छिन जाती है.

उजबिक ने कहा, "अफगान सिर्फ इतना कर सकते हैं कि अपनी आवाज उठा सकते हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तालिबान पर दबाव बनाने की मांग कर सकते हैं."

सीके/एए (एएफपी)

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