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समाज

स्विट्जरलैंड में समलैंगिक विवाह के लिए जनमत संग्रह

२८ अप्रैल २०२१

2020 में एक कानून बनाकर समलैंगिक शादियों को वैध कर दिया गया था लेकिन इसके विरोधियों ने जनमत संग्रह की मांग की थी. इस मांग के समर्थन में उन्होंने इतने लोगों के दस्तखत जुटा लिए हैं कि सरकार को जनमत संग्रह कराना ही होगा.

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तस्वीर: Manuel Lopez/dpa/picture alliance

पिछले साल लागू किए गए कानून में ट्रांसजेंडर लोगों को एक घोषणा के साथ कानूनी तौर पर अपना लिंग बदलने का हक भी दिया गया था. समलैंगिक और ट्रांसजेंडर लोगों को अधिकार देने के मामले में स्विट्जरलैंड बाकी यूरोपीय देशों से पिछड़ा हुआ है. स्विट्जरलैंड की सरकार ने अब इस बात पर मुहर लगा दी है कि विरोधी पक्ष ने जनमत संग्रह जरूरी बनाने लायक दस्तखत जुटा लिए हैं.

स्विट्जरलैंड में प्रत्यक्ष लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत एक निश्चित संख्या में लोगों के दस्तखत लेकर किसी भी विषय पर जनमत संग्रह कराने के लिए सरकार को बाध्य किया जा सकता है. समलैंगिक शादियों के विरोधियों ने ऐसे विवाहों को फर्जी करार दिया है. उनका कहना है कि शादी पुरुष और महिला के बीच ही हो सकती है.

हालांकि कई सर्वेक्षणों में यह बात सामने आई है कि देश के अधिकतर लोग समलैंगिक विवाहों के पक्ष में हैं. समलैंगिक अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था पिंक क्रॉस ने 2020 में एक सर्वे कराया था जिसमें 80 प्रतिशत से ज्यादा स्विस नागरिकों ने समलैंगिक विवाहों का पक्ष लिया था.

यूरोप में कई देशों में समलैंगिक विवाहों को कानूनी दर्जा मिल चुका है. फ्रांस ने 2013 में ही ऐसा कानून लागू कर दिया था. जर्मनी ने 2017 में इसे वैधता दी थी. ऑस्ट्रेलिया में भी एक जनमत संग्रह के बाद 2017 में समलैंगिक विवाहों को मान्यता मिली. अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में एक आदेश दिया था कि देश का संविधान समलैंगिक विवाहों की इजाजत देता है. भारत में समलैंगिक विवाह अभी भी अवैध हैं.

एए/वीके (रॉयटर्स)

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