नाव हादसे में चमत्कार की तरह बचे युवक की दास्तान
२८ सितम्बर २०२२21 सितंबर 2022 को एक नाव पूर्वी भूममध्यसागर में डूब गई. 150 लोगों से भरी नाव लीबिया से निकली थी. इसी नाव में 31 साल के जिहाद मिचलावी भी सवार थे. मूल रूप से फलीस्तीन के मिचलावी लेबनान की राजधानी बेरुत के एक रेस्तरां में शेफ का काम करते थे. बुरे आर्थिक संकट से जूझ रहे लेबनान में उनके लिए जिंदगी गुजरना मुश्किल होने लगा. बीच बीचे में कुछ जानकार बताने लगे कि, "यूरोप के विस्थापित कैपों की जिंदगी बेरुत के मुकाबले कहीं ज्यादा अच्छी है. और तो और खाना भी अच्छा है."
ये सब सुनकर मिचलावी ने यूरोप जाने की ठानी. इसके लिए उन्होंने एक तस्कर को जैसे तैसे जमा किए गए करीब हजार डॉलर दिए. तस्कर ने रातों रात एक पिकअप ट्रक में ठूंसकर उन्हें लीबिया की राजधानी त्रिपोली पहुंचा दिया. त्रिपोली के तट पर मिचलावी जैसे सैकड़ों लोग थे. उनके सामने भूमध्यसागर की लहरों पर हिचकोले खातीं छोटी नावें थीं. मिचलावी के मुताबिक नाव देखकर उन्हें डर तो लगा, लेकिन फिर लगा कि जब इतनी दूर आ ही गए हैं तो थोड़ा रिस्क और लेने में क्या हर्ज है.
तस्करों ने चिल्लाते हुए लोगों को नाव में चढ़ने का आदेश दिया. भर जाने के बाद भी तस्कर लोगों को नाव में चढ़ाते रहे. इस दौरान एक 22 साल के सीरियाई लड़के से मिचलावी की दोस्ती हो गई. उसका नाम आयमान कब्बानी था. वह भी यूरोप का ख्वाब लिए घर से निकला था. बोट का इंजन स्टार्ट हुआ और नाव तुर्की की दिशा में आगे बढ़ने लगी.
समंदर में पसरा खौफनाक सन्नाटा
कुछ दूर जाने के बाद गहरे सागर में नाव का इंजन बीच बीच में चोक होकर बंद होने लगा और फिर एक लम्हा ऐसा आया जब मोटर पूरी तरह खामोश हो गई. लोगों से लदी बिना इंजन की नाव को ताकतवर लहरें डगमगाने लगी. लहरों के शोर में सहमे लोगों की चीख घुलने लगी. कुछ देर बाद एक ताकतवर लहर ने करीब 12 लोगों को नाव से गिरा दिया. उनमें एक नवजात बच्चा भी था. कुछ ही देर बाद उनमें से कई शव में बदल गए. जो बचे थे, वो जान चुके थे कि आगे क्या हो सकता है. आखिरकार लहरों ने पूरी नाव को पलट दिया. अब मिचलावी और उनके सीरियाई दोस्त समेत सारे लोग गहराई में छटपटाने लगे.
अपने दोस्त आयमान कब्बानी का जिक्र करते हुए मिचलावी कहते हैं, "उसने मुझे पकड़ लिया और मेरे साथ तैरने लगा. जब भी वह थकता था तो मैं एक हाथ से पकड़कर उसे तैराने लगता था. आंखों में घुसे खारे पानी और सूरज की गर्मी की वजह से हम कुछ नहीं देख पा रहे थे." इसी दौरान 22 साल के आयमान ने अपने दोस्त से वादा किया कि वापस त्रिपोली पहुंचने पर वह दावत देगा, उसके लिए नए कपड़े खरीदेगा, फोन दिलाएगा.
धीरे धीरे थकान दोनों पर हावी होने लगी और फिर दोनों आगे पीछे हो गए. मिचलावी कहते हैं, "मैंने उसकी पुकार सुनी कि मुझे अकेला मत छोड़ो, मैं पीछे मुड़ा तो वह कहीं दिखाई ही नहीं दिया. उसी लम्हे में लगा कि अब मैं भी मरने वाला हूं और मुझे बनाने वाले से मिलने जा रहा हूं. तभी मुझे अपने पिता की तस्वीर दिखाई पड़ी."
मिचलावी का बचना एक चमत्कार
यह चमत्कार ही था कि मिचलावी पूर्वी भूमध्यसागर में सीरिया के टारटस तट तक पहुंच गए. वहां उन्होंने एक एक बुजुर्ग महिला और एक पुरुष को देखा, "मैं चीखा, प्लीज मुझे छोड़कर मत जाओ और फिर मैं रेत में गिर पड़ा. बुजुर्ग महिला ने मुझे पानी दिया. मैंने महिला के साथ मौजूद आदमी को यह कहते हुए सुना कि मेरे कफ में खून निकल रहा है. इसके बाद मैं बेहोश हो गया और जब होश आया तो मैं टारटस के अस्पताल में था." मिचलावी अब लेबनान में हैं. आर्थिक संकट झेल रहे देश में अब काम खोजना उनके लिए मुश्किल हो रहा है.
1948 में इस्राएल के जन्म के साथ मध्य पूर्व में युद्ध शुरू हुआ, उसके बाद से लाखों फलीस्तीनी लेबनान में रिफ्यूजी बनकर रह रहे हैं. यूनिसेफ के मुताबिक लेबनान में रह रहे फलीस्तीनियों के पास ज्यादातर नागरिक और सामाजिक-आर्थिक अधिकार नहीं हैं. मिचलावी के परिवार में कई लोगों के पास कॉलेज की डिग्री है, लेकिन लेबनान में उन्हें बहुत ही सस्ती मजदूरी दी जाती है. उनके लिए एक एक दिन काटना मुश्किल हो जाता है. मिचलावी कहते हैं कि वह अब भी खाना नहीं खा पा रहे हैं और समंदर का नाम सुनकर ही उन्हें घबराहट होने लगती है, "मुझे समंदर से मोहब्बत थी, लेकिन अब मैं उसके करीब भी नहीं जाता हूं." बीच बीच में आयमान को याद करते हुए वह रोने लगते हैं.
21 सितंबर के उस नाव हादसे में 24 बच्चों समेत 94 लोग मारे गए. 20 लोग जिंदा बचे. बाकी कहां गए, पता नहीं. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक हाल के बरसों में यह भूमध्यसागर में हुई सबसे बड़ी दुर्घटना है.
ओंकार सिंह जनौटी (एपी)