जर्मनी में नई पीढ़ी को राजनीति पर यकीन नहीं रहा!
जर्मनी में नई पीढ़ी के ज्यादातर लोगों को राजनीति से कोई उम्मीद नहीं है. युवाओं की खासी बड़ी तादाद को लगता है कि राजनीति में वो बात ही नहीं कि उसपर वक्त खर्च किया जाए. युवा इतने निराश क्यों हैं?
राजनीति क्या है और कितना कुछ कर सकती है
राजनीति बतकही नहीं है. खाने की थाली से लेकर स्कूल, अस्पताल और सड़क जैसी बुनियादी जरूरतें हों या भविष्य की राह तय करने की दूरदर्शिता, राजनीति मौके खोलने और बंद करने का मंच भी है और माध्यम भी. एक इंसान दिन में कम-से-कम इतना तो कमाए, गरीब भी इलाज पाए, बुढ़ापे में किसी के घर कितनी पेंशन जाए, नल खोलें तो पानी आए, सांस लें तो साफ हवा भीतर जाए, अनगिनत सूरतें हैं जिन्हें तय करने का जरिया है राजनीति.
तो क्या राजनीति से दूर रह सकते हैं हम?
हम भले कह दें कि राजनीति से दूरी भली, लेकिन हमारी जिंदगी को राजनीति के असर से दूर नहीं रखा जा सकता. मगर जर्मनी में युवाओं की राय अलग है. एक हालिया सर्वे से पता चला कि ज्यादातर युवा सोचते हैं कि राजनीति में दिलचस्पी लेने, उसपर ध्यान देने और यहां तक कि पॉलिटिक्स से कोई उम्मीद रखने का भी कोई मतलब नहीं. उनके मुताबिक, इससे कुछ हासिल नहीं होगा. कोई बदलाव या बेहतरी नहीं आएगी!
क्या सोचते हैं 16 से 30 साल की उम्र के किशोर-युवा?
वेरिअन रिसर्च इंस्टिट्यूट ने 2024 के शुरुआती महीनों में एक सर्वे किया. ये सर्वेक्षण जर्मनी के बेरटल्समन फाउंडेशन के लिए किया गया. 16 से 30 साल की उम्र के करीब 2,500 प्रतिभागियों ने सर्वे में हिस्सा लिया. जब उनसे किसी खास विषय या मुद्दे के समर्थन या विरोध में निजी तौर पर कोशिश करने, आवाज उठाने पर सवाल पूछा गया तो पांच में से चार का मानना था कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, कोई बदलाव नहीं आता.
नई पीढ़ी को राजनीति में भरोसा नहीं!
करीब 38 फीसदी प्रतिभागियों ने राजनीति में अविश्वास जताया. इनके अलावा एक तिहाई अन्य प्रतिभागियों ने भी कमोबेश यही राय जताई. सर्वे में हिस्सा लेने वाले लगभग 50 फीसदी किशोरों और युवाओं का मानना था कि राजनीति में भागीदारी के नाम पर चुनाव में वोट डालने के अलावा युवाओं के लिए पर्याप्त मौके नहीं हैं.
राजनीतिक पार्टियों के लिए कैसी सोच?
किशोरों और युवाओं में राजनीतिक दलों के लिए एक तरह की निराशा दिखी. खुद को और अपनी पीढ़ी को ठीक से ना समझे जाने की शिकायत नजर आई. 10 फीसदी से भी कम प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें लगता है राजनीतिक दल, युवाओं की सोच और उनके आइडिया को सुनने-समझने के लिए तैयार हैं. मौजूदा राजनीति युवा पीढ़ी की चिंताओं को गंभीरता से लेती है, ये मानने वाले प्रतिभागियों की संख्या मात्र आठ फीसदी रही.
दुनिया को ज्यादा समझना चाहते हैं युवा
सर्वे में एक खास पक्ष यह दिखा कि युवा और किशोर दुनिया को बेहतर तरीके से समझना चाहते हैं. सामाजिक और राजनीतिक मसलों को समझने में उनकी काफी दिलचस्पी है. करीब दो-तिहाई प्रतिभागियों ने कहा कि वे सामाजिक-राजनीतिक विषयों के बारे में ज्यादा जानना और सीखना चाहते हैं. ये किस तरह के मुद्दे हैं, इस सवाल के जवाब में ज्यादातर ने जंग-फसाद, शांति, सेहत, महंगाई और शिक्षा का जिक्र किया. एसएम/सीके (डीपीए)