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शोध: भारत में 60 फीसदी युवा आ सकते हैं ई-सिगरेट की चपेट में

१६ जून २०२३

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार निकोटीन के प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों के कारण युवा लोगों में ई-सिगरेट के उपयोग की संवेदनशीलता एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता है.

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ई-सिगरेट
ई-सिगरेटतस्वीर: Nicholas T. Ansell/PA Wire/picture alliance

भारत में 15 से 30 साल की उम्र के करीब 61 फीसदी युवा, जिन्होंने पहले कभी ई-सिगरेट का इस्तेमाल नहीं किया है, भविष्य में इसकी चपेट में आ सकते हैं. एक नए अध्ययन से यह खुलासा हुआ है.

इस रिपोर्ट के मुताबिक यह अध्ययन पूरे देश से 456 समेत 4,007 लोगों के एक अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण के आधार पर किया गया. वर्तमान या पिछले तंबाकू उपयोग के बाद संवेदनशीलता पर दूसरे सबसे बड़े प्रभाव के रूप में ई-सिगरेट विज्ञापन के संपर्क की पहचान की.

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रिपोर्ट के मुताबिक ई-सिगरेट विज्ञापन के संपर्क की पहचान की गई, जबकि कथित हानिकारकता ने संवेदनशीलता की संभावना को कम कर दिया.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मस्तिष्क के विकास पर निकोटीन के प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों और उपकरणों में मौजूद अन्य रसायनों से संभावित नकारात्मक परिणामों के कारण युवा लोगों में ई-सिगरेट के उपयोग की संवेदनशीलता एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता है.

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युवा ई-सिगरेट के इस्तेमाल के लिए अतिसंवेदनशील होते जा रहे हैं

द जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ (भारत) के रिसर्च फेलो और शोध के लेखकों में से एक सुधीर राज थाउट ने कहा कि इस बात की चिंता बढ़ रही है कि भारत में युवा ई-सिगरेट के इस्तेमाल के लिए अतिसंवेदनशील होते जा रहे हैं.

उन्होंने कहा तत्काल हस्तक्षेप और ई-सिगरेट के इस्तेमाल के जोखिम और प्रभाव को संबोधित करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान अनिवार्य हैं.

इसके अलावा सर्वे में पता चला है कि भारत में 51 प्रतिशत लोग जिन्होंने पहले कभी ई-सिगरेट का इस्तेमाल नहीं किया था, उसके बारे उत्सुक थे. 49 प्रतिशत ने कहा कि अगर किसी दोस्त के द्वारा पेश की जाती है तो वह उसका इस्तेमाल करेंगे और 44 प्रतिशत का इरादा ई-सिगरेट का उपयोग अगले साल करने का था.

युवाओं में ई-सिगरेट की लत की आशंका

शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि सर्वे में हिस्सा लेने वाले 47 प्रतिशत भारतीयों ने ई-सिगरेट का विज्ञापन देखा था. ये नतीजे यूके में 63 प्रतिशत, चीन में 51 प्रतिशत और ऑस्ट्रेलिया में 30 प्रतिशत थे, जहां अध्ययन हुआ था. शोध के नतीजे ड्रग एंड अल्कोहल डिपेंडेंस जर्नल में प्रकाशित हुए हैं.

अध्ययन में अधिकांश भारतीय उत्तरदायी अच्छे पढ़े लिखे थे और अमीर परिवार से थे. हालांकि, 66 प्रतिशत युवाओं का मानना है कि ई-सिगरेट की लत लग सकती है और 66 प्रतिशत मानते हैं यह हानिकारक है. वहीं ऐसा सोचना वाले आस्ट्रेलिया युवाओं की संख्या 87 और 83 प्रतिशत है.

शोधकर्ताओं ने इसके हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ ई-सिगरेट के विज्ञापन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की अपील की है.

भारत में तंबाकू का बाजार दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में से एक है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक लगभग 27 प्रतिशत भारतीय आबादी किसी न किसी रूप में तंबाकू का इस्तेमाल  करती है.