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राइड शेयरिंग से भी प्रदूषण

१२ मार्च २०२०

जलवायु परिवर्तन की बहस के बीच एक नए शोध से पता चला है कि राइड शेयरिंग से भी प्रदूषण बढ़ता है. राइड शेयरिंग की वजह से लोग परिवहन के पर्यावरण के अनुकूल साधनों, मसलन सार्वजनिक वाहन और पैदल चलने से दूर होते जाते हैं.

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Symbolbild | Frau auf Geschäfstreise
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Brichta

एक ताजा शोध कहता है कि राइड शेयरिंग सेवा की वजह से प्रदूषण अधिक होता है. यूनियन ऑफ कंसर्न्ड साइंटिस्ट्स द्वारा कराए गए शोध का कहना है कि लोग राइड शेयरिंग की वजह से सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल कम कर रहे हैं. राइड शेयरिंग सेवा को लेकर हुए अध्ययन के मुताबिक निजी और सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट के मुकाबले राइड शेयरिंग सेवाओं से ज्यादा प्रदूषण हो रहा है. इतना ही नहीं राइड शेयरिंग की वजह से लोग पर्यावरण सम्मत पब्लिक ट्रांसपोर्ट, पैदल चलने या बाइकिंग से दूर हो रहे हैं. हाल के सालों में कई शोधों ने सुझाया है कि उबर और लिफ्ट जैसी राइड शेयरिंग सेवाएं शहरों में ट्रैफिक समस्याओं को और गंभीर बना सकती हैं. शहरों में पहले से ही निजी वाहनों की संख्या बहुत अधिक है.

गैर लाभकारी संस्था यूनियन ऑफ कंसर्न्ड साइंटिस्ट्स के नए शोध में बताया गया कि कैसे राइड शेयरिंग सेवाएं प्रदूषण को प्रभावित करती हैं. शोधकर्ताओं ने पाया कि राइड शेयरिंग की वजह से पर्यावरण में करीब 69 फीसदी प्रदूषण ज्यादा फैला है. शोध में बताया गया कि यही यात्री बस, ट्रेन, बाइक, स्कूटर या पैदल यात्रा कर सकते थे. शोध के मुताबिक राइड शेयरिंग वाली टैक्सियां उस वक्त भी प्रदूषण फैलाती हैं जब उसमें यात्री सवार नहीं होता है. प्रदूषण उस वक्त भी फैलता है जब ड्राइवर या तो राइडर के अनुरोध का इंतजार कर रहा होता है, यात्रियों को लेने के रास्ते में होता है या फिर पिकअप के बीच में गाड़ी चलाता है.

शोध में इस हालात को 'डेडहेडिंग' कहा गया है और यह राइड शेयरिंग गतिविधियों का 42 फीसदी है. शोधकर्ताओं का कहना है कि निजी वाहन चलाने वाले एक व्यक्ति की तुलना में लगभग 50 फीसदी अधिक कार्बन डाई ऑक्साइड 'डेडहेडिंग' के दौरान पैदा होती है. उबर और लिफ्ट दोनों ही पूल राइड सेवा का विकल्प देती हैं, जिसमें ड्राइवर के पास विकल्प होता है कि वह उसी रास्ते में जाने वाले यात्री को अपनी गाड़ी में सवार कर ले. शोध में उबर और लिफ्ट जैसी कंपनियों से और अधिक पूल राइड बढ़ाने का आग्रह किया गया है. साथ ही टैक्सी कंपनियों से रोड पर इलेक्ट्रिक गाड़ियों की संख्या बढ़ाने की मांग की गई है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स को उबर ने इस शोध पर कहा है कि उसके पास फिलहाल टिप्पणी करने को कुछ नहीं है. लेकिन कंपनी का कहना है कि उसका उद्देश्य शहरों के साथ सीधे काम करके जलवायु परिवर्तन की समस्या का समाधान करना है. कंपनी ने कहा है कि पूल ट्रिप जैसे साधनों को बढ़ावा देना जारी रखेगा. वहीं लिफ्ट का कहना है कि राइड शेयरिंग को लेकर शोध में भ्रामक दावे किए गए हैं. लेकिन कंपनी ने कहा कि वह पूल राइड की संख्या बढ़ाने और अधिक इलेक्ट्रिक वाहनों को सेवा में रखने के लक्ष्यों को साझा करती है.

एए/एमजे (रॉयटर्स)

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