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समाजचीन

आबादी घटने की आशंका से चिंता में पड़ा चीन

१४ नवम्बर २०२२

दुनिया की आबादी 8 अरब के पार जा रही है लेकिन चीन में आबादी सिकुड़ने की आशंका पैदा हो गई है. कई दशकों तक एक बच्चे की नीति पर चलने वाला चीन अब ज्यादा पैदा करने के लिए युवाओं को सुविधाओं से लुभाने में जुटा है.

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आबादी घटने की आशंका से परेशान हुआ चीन
बढ़ती आबादी की अपनी मुसीबतें हैं लेकिन आबादी घटने से भी कम समस्या नहींतस्वीर: Zhang Ailin/Xinhua/imago images

बीजिंग के बाहरी हिस्से में बने एक अपार्टमेंट दो साल के बच्चे के साथ खेलते चीनी सॉफ्टवेयर डेवलपर तांग हुउजुन दूसरे बच्चे की उम्मीद नहीं रखते. तांग की तरह ही चीन में करोड़ों लोगों का यह फैसला ना सिर्फ चीन बल्कि दुनिया की आबादी पर भी असर डालेगा. बीते हफ्ते संयुक्त राष्ट्र ने बताया कि दुनिया की आबादी अब आठ अरब तक पहुंच गई है.

39 साल के तांग और उनके कई शादीशुदा दोस्तों ने उनकी तरह सिर्फ एक बच्चा पैदा करने का फैसला किया है. ये लोग दूसरे बच्चे की योजना नहीं बना रहे हैं. युवा लोग तो शादी ही करने को तैयार नहीं हैं. चीन में बच्चों को पालने पर होने वाला खर्च काफी ज्यादा है, इसके अलावा एकल परिवारों में ज्यादातर बच्चे अपने दादा दादी से दूर पल रहे हैं इसलिए उनकी जिम्मेदारी पूरी तरह से मां बाप पर ही है.

तांग का कहना है, "एक और बड़ी वजह है कि हम जैसे लोगों की शादी देर से हो रही है और फिर (महिलाओं के) गर्भवती होने में भी दिक्कत होती है. मेरा ख्याल है कि देर से शादी का निश्चित रूप से बच्चों के जन्म पर असर होता है."

एक बच्चा नीति से तीन बच्चा नीति

चीन ने कई दशकों तक आबादी के विकास को नियंत्रित करने की कोशिश की. 1980 से 2015 तक यहां एक बच्चा नीति का कड़ाई से पालन किया गया. हालांकि अब संयुक्त राष्ट्र को उम्मीद है कि चीन की आबादी अगले साल सिकुड़ने लगेगी और भारत दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जायेगा. 2021 में चीन में प्रजनन दर 1.16 थी. आर्थिक सहयोग और विकास संगठन, ओइसीडी के मुताबिक स्थिर जनसंख्या के लिए जरूरी 2.1 की दर से यह बहुत कम है और दुनिया में सबसे कम प्रजनन दर वाले देशों में चीन भी शामिल हो गया है.

भारत होगा सबसे ज्यादा आबादी वाला देश

जनसंख्या पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ बताते हैं कि कोरोना वायरस महामारी की पीड़ा और चीन की सख्त पाबंदियों ने भी लोगों के बच्चा पैदा करने की इच्छा पर नकारात्मक असर डाला है. इस साल चीन में बच्चों की जन्म दर रिकॉर्ड नीचे जाने की आशंका है. पिछले साल यह 11.5 फीसदी घट कर 1.06 करोड़ पर पहुंच गई थी जो इस साल एक करोड़ से भी नीचे जाने की ओर है. पिछले साल चीन की सरकार ने तीन बच्चे पैदा करने की अनुमति दी थी. सरकार का कहना है कि वह उचित जन्म दर हासिल करने के लिए काम कर रही है.

बूढ़े लोगों की नई समस्या

योजनाकारों के लिए घटती आबादी एक अलग तरह की समस्याओं को साथ ले कर आती है. हांगकांग की चायनीज यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर शेन जियानफा ने बताया, "हम बूढ़ी होती आबादी की संख्या तेजी से बढ़ने की उम्मीद कर रहे हैं, चीन के सामने यह एक महत्वपूर्ण स्थिति होगी जो 20 साल पहले की तुलना में काफी अलग है."

चीन की आबादी में 65 साल से ऊपर के लोगों की तादाद फिलहाल 13 फीसदी है लेकिन यह बहुत जल्दी तेजी से बढ़ेगी. इसके नतीजे में एक तरफ काम करने वाले लोगों की संख्या कम होगी तो दूसरी तरफ बूढ़े लोगों का ख्याल रखने की जिम्मेदारी कई गुना बढ़ जायेगी. शेन ने कहा, "यह कुछ सालों के लिए बहुत ज्यादा होगी इसलिए देश को आने वाले बुढ़ापे के लिए अभी  से तैयारी करनी होगी." जाहिर है कि बूढ़े होते लोगों का ख्याल रखना एक बड़ी समस्या होगी और इसके लिए भी बड़ी संख्या में युवाओं की जरूरत होगी.

आबादी घटने की आशंका से परेशान हुआ चीन
बच्चों को पालने का खर्च बहुत ज्यादा है इसलिए ज्यादातर लोग दूसरा बच्चा नहीं चाहतेतस्वीर: Sheldon Cooper/ZUMA Wire/imago images

बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहन

बूढ़े होते समाज की आशंकाओं से चीन ने ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले परिवारों को टैक्स में छूट और नगद सहायता देने की शुरुआत कर दी है. इसके साथ ही मातृत्व अवकाश के लिए उदारता से छुट्टियां, मेडिकल इंश्योरेंस और हाउसिंग सब्सिडी भी दी जा रही है. हालांकि जनसंख्या विशेषज्ञों का कहना है कि ये उपाय पर्याप्त नहीं हैं. उच्च शिक्षा का महंगा होना, नौकरियों में कम आय और काम के ज्यादा घंटों के साथ ही कोविड की पाबंदियां और कुल मिला कर अर्थव्यवस्था की स्थिति लोगों को बच्चे पैदा करने से दूर कर रही है.

हांगकांग की साइंस एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गीटेल बास्टेन का कहना है कि युवा लोगों के लिए रोजगार की संभावनाएं सबसे प्रबल कारक है. बास्टेन ने कहा, "जब लोगों को नौकरी नहीं मिलेगी तो लोग ज्यादा बच्चे क्यों पैदा करेंगे."

एनआर/ओएसजे (रॉयटर्स)