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सऊदी टीवी चैनल पर प्रसारित 'पोर्न' को लेकर हंगामा

५ जनवरी २०१७

सऊदी अरब में एक टीवी चैनल को अपने एक रियल्टी शो के कारण माफी मांगनी पड़ी है, क्योंकि एक सीन को आलोचकों ने पोर्न बता कर चैनल की कड़ी आलोचना की है.

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Alarab TV
प्रतीकात्मक तस्वीरतस्वीर: picture-alliances/AP/H.Jamali-File

कई लोगों ने सोशल मीडिया पर बेदाया टीवी के शो की विवादित क्लिप डाली है जिसमें दो पुरुषों को नाचते हुए दिखाया गया है. एक पुरुष दूसरे के पीछे बिल्कुल सट कर खड़ा है और उसने उसके कूल्हों को पकड़ा हुआ है. ये लोग सेक्स करने का नाटक करते नजर आ रहे हैं. इस सीन को लेकर ही सोशल मीडिया पर तूफान आया हुआ है.

लोग हैशटेग "बेदाया चैनल पर पोर्न सीन" के साथ ट्वीट कर रहे हैं. कई लोग इसके लिए जिम्मेदार लोगों को कड़ी सजा देने और चैनल पर ताला लगाने की मांग कर रहे हैं. एक यूजर @mkhawe15 ने ट्वीट किया, "एक गंदा सीन, जो एक लोकप्रिय चैनल पर प्रसारित किया गया. सूचना मंत्रालय को तुरंत चैनल को रोकना चाहिए."

ट्विटर हैंडल @FarraJIK से हुए ट्वीट में 2005 से चल रहे बेदाया चैनल को "गंदा चैनल" कहा गया है जबकि  @alamih42 ने लिखा कि बेदाया खुद को इस्लामिक चैनल कहता है लेकिन "धर्म का अपमान करता है."

इस मामले पर मचे हंगामे के बीच बेदाया टीवी ने ट्विटर पर आकर माफी मांगी है. उसका कहना है कि लाइव प्रसारण के दौरान कई बार गलती हो जाती है. चैनल के मुताबिक, "शो में हिस्सा लेने वाले एक कंटेस्टेंट ने जो किया, उसे किसी भी तार्किक, धार्मिक या नैतिक मूल्य के आधार पर सही नहीं ठहराया जा सकता. उस कंटेस्टेंट ने भी इसके लिए माफी मांगी है. उसने जानबूझ कर ऐसा नहीं किया और उसके लिए अल्लाह के सामने पछतावा भी जताया है."

टीवी टाइम बढ़ा, मुलाकातें घटीं

बेदाया का कहना है कि कंटेस्टेंट को शो से बाहर कर दिया गया और उसने जो कुछ किया है, उससे चैनल अपने आपको अलग करता है. जिस शो में यह हुआ उसका नाम है "इनक्रीज योअर क्रेडिट", जिसका मकसद चैनल के मुताबिक कमाने और बचत करने की संस्कृति को बढ़ावा देना है और युवाओं को श्रम बाजार के लिए तैयार करना है.

सऊदी अरब दुनिया सबसे रुढ़िवादी समाजों में से एक है, जो कट्टरपंथी वहाबी विचारधारा पर चलता है. यह दुनिया का अकेला देश है जहां महिलाओं को ड्राइविंग की अनुमति नहीं है. वहां सार्वजनिक स्थानों पर महिला और पुरुषों का मिलना-जुलना अच्छा नहीं माना जाता. लेकिन देश की आधी से ज्यादा आबादी की उम्र 25 साल से कम है. ऐसे में, बेहद कड़े कायदे कानूनों के बावजूद समाज में बदलाव की मांगें उठ रही हैं.

एके/वीके (एएफपी)