यूक्रेन के बुनियादी ढांचे पर रूस के ‘ईरानी ड्रोन’ के प्रहार
२८ अक्टूबर २०२२रूसी सेना पिछले कई हफ्तों से विस्फोटकों से भरे ‘ईरानी ड्रोन' यूक्रेन के बुनियादी सुविधाओं वाली जगहों और आवासीय इलाकों में उड़ा रही है. ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय के मुताबिक ज्यादातर ड्रोन फिलहाल एयर डिफेंस सिस्टम के जरिए रोक दिए गए हैं, फिर भी एक तिहाई के करीब अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सफल रहे हैं.
यूक्रेन के प्रधानमंत्री डेनिस श्मिहाल का कहना है कि रूसी सैनिक "हर रोज हमारे खिलाफ 20-30 ईरानी कामिकेज ड्रोन इस्तेमाल कर रहे हैं.”
श्मिहाल ने शनिवार को बताया, "वे हमारे लोगों को बिजली, पानी और जाड़े के मौसम में गर्मी से दूर रखना चाहते हैं.”
उन्होंने चेतावनी दी कि अगररूस इसी तरह से नागरिकों की बुनियादी जरूरतों पर हमला करता रहा तो यूक्रेन के शरणार्थियों की एक बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है.
श्मिहाल ने बताया कि जर्मनी का आइरिस-टी एयर डिफेंस सिस्टम ने अब तक कई लोगों की जान बचाइ है, खासकर कीव में. यूक्रेन बड़ी बेसब्री से हथियारों और दूसरे डिफेंस सिस्टम का इंतजार कर रहा है.
ईरान और रूस का ड्रोन सहयोग से इनकार
रूस और ईरान ड्रोन उड़ाने के आरोपों से लगातार इनकार कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वेसिली नेबेंजिया ने पिछले हफ्ते ‘ईरानी ड्रोन' के इस्तेमाल की संयुक्त राष्ट्र से जांच की अमरीकी और यूरोपीय देशों की मांग को खारिज कर दिया.
नेबेंजिया ने दावा किया कि ऐसी कोई भी जांच संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र का उल्लंघन करती है और इससे रूस और संयुक्त राष्ट्र के संबंधों पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है. ईरान ने भी इसी से मिलता-जुलता बयान जारी किया है.
बर्लिन के जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल एंड सिक्योरिटी अफेयर्स में सीनियर फेलो मार्कस कायम ने डीडब्ल्यू को बताया कि ईरान परमाणु समझौते को लेकर यूरोपीय देशों के साथ जारी बातचीत खतरे में नहीं डालना चाहता, इसीलिए वह ड्रोन की सप्लाई और यूक्रेन में उनके इस्तेमाल की बात से लगातार इनकार कर रहा है.
जब तक ड्रोन कहां से आये इसे लेकर संदेह जताना जारी रहेगा, यह संभव है कि परमाणु समझौते पर चल रही बातचीत जारी रहे. कायम कहते हैं कि यदि ईरान यह स्वीकार कर लेता है तो यूरोपीय देशों के लिए परमाणु समझौते पर बातचीत जारी रखना मुश्किल हो जाएगा.
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यूक्रेन में ईरानी ड्रोन के प्रमाण
कायम कहते हैं कि रूस और ईरान के इनकार के बावजूद ऐसे कई प्रमाण हैं जिनसे यह साबित होता है कि यूक्रेन में रूस ईरानी ड्रोन्स का इस्तेमाल कर रहा है. इन प्रमाणों में यूक्रेन द्वारा पेश किए गए कुछ वीडियो सबूत भी हैं जो हवा में उड़ते दिख रहे हैं और फिर आक्रमण के बाद उनके अवशेष भी दिख रहे हैं.
कायम कहते हैं, "मुझे लगता है कि इस बारे में शायद ही संदेह किया जा सकता है. ना ही मैं ऐसे किसी विशेषज्ञ के बारे में जानता हूं जिसने ईरान द्वारा रूस को हथियार भेजने पर संदेह जताया हो.”
ऑस्ट्रियाई सेना की थेरेसिया मिलिट्री अकादमी के पूर्व निदेशक और सैन्य विशेशज्ञ मार्कस रेजनर ने डीडब्ल्यू को बताया कि बड़ी संख्या में रूसी विमानों की ईरान की ओर होने वाली आवाजाही से यह साफ है कि भारी मात्रा में सामान लाया जा रहा है.
रेसनर यह भी कहते हैं कि जो ड्रोन पाए गए हैं उनकी बनावट स्पष्ट रूप से बताती है कि ये ईरान में ही बने हैं. सैन्य विशेषज्ञ रेसनर कहते हैं कि इन ड्रोन्स की तैनाती यह भी बताती है कि रूस के पास हथियारों की कमी हो गई है और परंपरागत हवाई हथियार भी उसके पास बहुत कम रह गए हैं.
यूक्रेन में कौन से ड्रोन हमला कर रहे हैं?
रेसनर के मुताबिक, यूक्रेन में मुख्य रूप से दो तरह के ईरानी ड्रोन्स इस्तेमाल हो रहे हैं, इनमें मोहाजेर-6 और शहीद-136 मॉडल भी शामिल हैं.
मोहाजेर-6 अपने लक्ष्य का पता लगा सकता है और उसकी निगरानी कर सकता है. इस तरह के दूसरे ड्रोन की तरह वह हथियार गिराने के लिए लक्ष्य की जासूसी कर सकने में सक्षम है.
रेसनर कहते हैं, "यह हवा से जमीन पर वार करने वाले मिसाइलों को ले जाने में भी सक्षम है, इसलिए वह उन लक्ष्यों को देखने के बाद उन्हें निशाना भी बना सकता है.”
दूसरी ओर, शहीद-136 एक क्लासिक ‘कामिकेज' ड्रोन है. यह जीपीएस सिस्टम से संचालित होता है जो इसे अपने गंतव्य तक सटीक तरीके से ले जाने में मदद करता है.
रेसनर कहते हैं कि मुख्य बात यह है कि इस तरह के ड्रोन अकेले इस्तेमाल नहीं हो सकते. उनके मुताबिक, "अक्सर ये 10-15 ड्रोन के समूह में ही उड़ते हैं. इस वजह से ये यूक्रेनी रक्षा तंत्र के लिए मुश्किल खड़ी कर रहे हैं.”
वो कहते हैं कि यदि रक्षा तंत्र इनमें से कुछेक को गिरा भी देता है, तो भी 15 में से कुछ तो बचे ही रहते हैं जो कि लक्ष्य को भेद देते हैं.
उसके बाद रूसी क्रूज मिसाइल से हमला करते हैं क्योंकि यूक्रेनी रक्षा तंत्र कमजोर हो जाते हैं और उनकी मिसाइलें इतनी जल्दी दोबारा लोड नहीं हो पाती हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि यूक्रेनी रक्षा तंत्र बिना किसी सैन्य सहयोग के आठ महीने से युद्ध झेलते हुए थक भी गया है.
रेसनर कहते हैं, "ड्रोन अपेक्षाकृत छोटे हैं. लेकिन यूक्रेन का परंपरागत रक्षा तंत्र मुख्य रूप से बड़े हमलों को रोकने के हिसाब से तैयार किया गया है, मतलब हवाई जहाजों और हेलीकॉप्टरों को रोकने के लिए. इसीलिए या तो आपको उन्हें अपग्रेड करना होगा या फिर उन आधुनिक प्रणालियों पर भरोसा करना होगा जो छोटे लक्ष्यों को भेदने में सक्षम हैं और यूक्रेन को अब दी जा रही हैं.”
रूस की दूरगामी रणनीति
हालिया आक्रमणों के बावजूद, यूक्रेन अपने ड्रोन रक्षा तंत्र को लेकर काफी आशान्वित है. एक वीडियो संदेश में यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदोमीर जेलेंस्की कहते हैं, "निश्चित तौर पर हमारे पास ऐसी तकनीकी क्षमता नहीं है कि हम सौ फीसदी रूसी मिसाइलों और लड़ाकू ड्रोन को खत्म कर दें, फिर भी अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों की मदद से धीरे-धीरे यह क्षमता हम हासिल कर लेंगे. हम लोग पहले ही कई क्रूज मिसालों और ड्रोन्स को नष्ट कर चुके हैं.”
रेसनर कहते हैं कि ऐसे बयान हालांकि ‘वैध' हैं, मनोवैज्ञानिक युद्ध का भी हिस्सा हैं और इन्हें हल्के-फुल्के अंदाज में लिया भी जाना चाहिए. वो कहते हैं, "आपको यह भी देखना होगा कि रूसी मिसाइल कितना सटीक काम करते हैं. यूक्रेन के 40 फीसदी बुनियादी ढांचे का नष्ट होना ये दिखाता है कि रूसी हमले कितने सटीक हैं.”
वो कहते हैं. "पिछले आठ महीने से यूक्रेन के रक्षा तंत्र पर भारी मार पड़ रही है. जिसकी वजह से उसे अपने असफल होने का एहसास हो रहा है. यह सही है कि हवा में रूसी सेना उतनी श्रेष्ठ नहीं है और यूक्रेन के ऊपर उसके विमान उड़ान नहीं भर सकते लेकिन वे जहां चाहें वहां हमला कर सकते हैं, किसी भी लक्ष्य को भेद सकते हैं. यूक्रेनी लोगों के लिए उनकी यह रणनीति घातक साबित हो सकती है.”
रेसनर आगे कहते हैं, "यूक्रेनी सेना देश के दक्षिण और पूर्वी की ओर आगे बढ़ रही है, लेकिन अंदरूनी इलाकों में बुनियादी ढांचों को रूसी सेना नष्ट करती जा रही है. दूसरे शब्दों में, लोगों के लिए सर्दी का मौसम कहीं ज्यादा कठोर होता जा रहा है. इसकी वजह से पश्चिमी इलाके में नागरिक आंदोलन और सामाजिक असंतोष फिर भड़क सकते हैं. रूस इसी का इंतजार कर रहा है.”