यूक्रेन में रूस को बड़ा झटका, खेरसॉन से पीछे हटने का ऐलान
१० नवम्बर २०२२आठ महीने से जारी युद्ध के बाद रूस की सेना ने कहा है कि वह यूक्रेन के इलाकों से पीछे हट रही है. खेरसॉन एकमात्र यूक्रेनियन प्रांतीय राजधानी शहर था, जिस पर रूस का कब्जा हो पाया था और अब उसने वहां से भी पीछे हटने का ऐलान कर दिया है. हालांकि यूक्रेन ने इस ऐलान को लेकर आगाह किया है कि यह भ्रमित करने वाला हो सकता है.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि रूसी खेरसॉन से पीछे हटने का दिखावा कर रहे हैं ताकि यूक्रेनी सेना को भ्रमित कर शहर में बुला सकें और सीधी लड़ाई में उलझा सकें. खेरसॉन एक अहम बंदरगाह शहर है और रूस के कब्जे वाले क्रीमिया का रास्ता भी है.
यूक्रेनी सेना को बढ़ते देख पुतिन ने लगाया मार्शल लॉ
रूस के लिए खेरसॉन से वापसी एक बड़ा झटका होगी क्योंकि यही एक बड़ा शहर था जिस पर पिछले आठ महीने में रूसी सेना पूरी तरह से कब्जा कर पाई थी. कई हमलों के बावजूद वह यूक्रेन की राष्ट्रीय राजधानी कीव और दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव पर कब्जा करने में नाकाम रही. खारकीव से भी रूस को जल्दबाजी में हटना पड़ा था.
युद्ध से पहले खेरसॉन की आबादी 2,80,000 थी. 24 फरवरी को वहां पहला हमला हुआ था. इस वक्त यूक्रेन की सेना ने शहर को घेर रखा है और उसकी सप्लाई लाइन काट दी है. इस क्षेत्र पर दोबारा कब्जा करने से यूक्रेन को जापोरिझिया और अन्य दक्षिणी इलाकों को वापस पाने में भी लाभ मिल सकता है. चूंकि यही रास्ता आगे बढ़कर क्रीमिया तक जाता है, तो यूक्रेनी सेना यदि इसी तरह आगे बढ़ती जाती है, तब वह रूसी सेना को क्रीमिया तक धकेल सकती है. क्रीमिया को रूस ने 2014 में जीतकर यूक्रेन से अलग कर दिया था.
पीछे हटना बेहतर है
रूस के वरिष्ठ सैन्य कमांडर जनरल सर्गई सुरोवीकिन ने गंभीर मुद्रा में रूसी टीवी पर अपने ऐलान के दौरान एक नक्शे की ओर इशारा करते हुए कहा कि खेरसॉन शहर तक सप्लाई पहुंचाना असंभव है और इसकी रक्षा करना व्यर्थ की कोशिश होगी. उन्होंने कहा कि 1,15,000 लोगों को शहर से अन्य सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है क्योंकि "उनकी जान को लगातार खतरा बना हुआ था.”
जनरल सुरोवीकिन ने रक्षा मंत्री सर्गई शाइगू के समक्ष पीछे हटने का प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि सेनाओं को डेनिपेर नदी की दूसरी तरफ आ जाना चाहिए. इसी नदी पर खेरसॉन शहर बसा हुआ है. शाइगू ने जनरल की बात से सहमति जताई और उन्हें सेनाओं को वापस लेन का आदेश दिया.
उधर, यूक्रेन के राष्ट्रपति के सलाहकार मिखाइलो पोडलियाक ने ट्विटर पर कहा कि फिलहाल रूस सिर्फ बात कर रहा है, कोई कार्रवाई नहीं. उन्होंन लिखा, "काम बोलता है. हमें ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है कि रूस बिना लड़े खेरसॉन छोड़ रहा है.”
खेरसॉन मे यूक्रेन द्वारा नियुक्त गवर्नर यारोस्लाव यानुशेविच ने शहरवासियों को आगाह करते हुए कहा कि "अभी से खुशी मनाने की जरूरत नहीं है.” एक अन्य यूक्रेनी अधिकारी सेरही ख्लान ने पत्रकारों को बताया कि यूक्रेनी सेना की रफ्तार धीमी करने के लिए रूसी सेना ने पांच पुलों को ध्वस्त कर दिया है.
पहले से जारी थी तैयारी
जब यूक्रेनी सेना रूस से सीधी लड़ाई लड़ रही है, तब खेरसॉन में विद्रोही लड़ाके रूस द्वारा नियुक्त अधिकारियों की हत्याओं जैसी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं. ऐसे में, जब मॉस्को द्वारा नियुक्त खेरसॉन के दूसरे सबसे बड़े अधिकारी के एक कार हादसे में मारे जाने की खबर आई तो संदेह के बादल घिर आए. हालांकि कार हादसे में किसी तरह की साजिश की फिलहाल पुष्टि नहीं हुई है.
किरिल स्ट्रोमोसोव नामक यह वरिष्ठ अधिकारी लगभग रोजाना युद्ध के बारे में सूचनाएं जारी कर रहे थे. रूस की सरकारी न्यूज एजेंसी के मुताबिक वह और उनके वरिष्ठ व्लादिमीर सालदो कार हादसे में मारे गए. कुछ महीने पहले रूसी रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि सालदो को जहर दे दिया गया और उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा.
ऐसा प्रतीत होता है कि रूसी सेना महीनों से खेरसोन से वापसी की तैयारी कर रहीथी. यह खारकीव से उसके पीछे हटने के तरीके के एकदम उलट है, जहां से उसे एकाएक पीछे हटना पड़ा था. खारकीव से रूसी सेना की वापसी ऐसी हड़बड़ी में हुई थी सैनिक अपने हथियार और गोला-बारूद तक पीछे छोड़ गए थे. पिछले महीने ही जनरल सुरोवीकिन ने खेरसॉन से वापसी के संकेत दे दिए थे, जब उन्होंने कहा था कि हालात "खासे मुश्किल” हैं. उसके बाद से ही आम नागरिकों को वहां से निकाले जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी.
वैसे, वापसी का यह ऐलान तब हुआ है जब यूक्रेन के कई शहरों और गांवों में तेज लड़ाई जारी है. यूक्रेन के राष्ट्रपति कार्यालय के मुताबिक पिछले 24 घंटे में ही कम से कम नौ नागरिकों के मारे जाने और 24 के घायल होने की सूचना है.
वीके/एए (एपी, डीपीए, एएफपी)