चिड़ियाघर के जानवरों ने उठाया महामारी का फायदा
२ नवम्बर २०२१क्यूबा के राष्ट्रीय चिड़ियाघर के अधिकारियों ने कहा है कि विदेशी और खतरों में पड़ीं प्रजातियों के जानवरों ने कोरोनावायरस के कारण मिले एकांत का फायदा उठाकर खूब रोमांस किया. इसका नतीजा बड़ी संख्या में जानवरों के जन्म के रूप में सामने आ रहा है.
क्यूबा के चिड़ियाघर में जब कोरोनावायरस के कारण जानवरों को एकांत मिला तो उन्होंने खूब प्यार किया. चिड़ियाघर के अधिकारियों का कहना है कि एकांतवास में जानवरों ने खूब शारीरिक मिलन किया, जिसका परिणाम जानवरों के बच्चों की बंपर आबादी के रूप में सामने आया है.
हाल ही में चिड़ियाघर में पैदा हुए नए बच्चों में तेंदुए, बंगाल टाइगर, जेब्रा, जिराफ, चिकारा और बैल जैसे जानवर शामिल हैं, जो क्यूबा में नहीं पाए जाते. चिड़ियाघर की चिकित्सक रेचल ऑर्टिज ने कहा कि कई महीने तक चिड़ियाघर बंद रहा, जिस कारण इतनी बड़ी संख्या में बच्चे पैदा हुए हैं.
ऑर्टिज ने कहा, "इंसानों के लिए तो महामारी बुरी रही है लेकिन चिड़ियाघरों के मामले में यह फायदेमंद रही. खासतौर पर हमारे पार्क में तो बेशकीमती प्रजातियों के दस से ज्यादा बच्चे पैदा हुए हैं. ये ऐसे जानवरों के बच्चे हैं जिनकी प्रजातियां खतरे में हैं और आने वाले समय में ये बच्चे जैविक विविधता को बचाने में भूमिका अदा कर सकते हैं.”
सामान्य से जुदा हालात
ऑर्टिज ने कहा कि एक सामान्य साल में इतनी बड़ी संख्या में बच्चे पैदा नहीं होते. उनके मुताबिक चिड़ियाघर में जानवरों को देखने आने वाले लोगों के चलते प्रजनन सीमित रहता है. क्यूबा में राष्ट्रीय चिड़ियाघर लोगों के बीच एक प्रसिद्ध स्थल है और बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं. इस चिड़ियाघर में 120 प्रजातियों के 1,473 जानवर रहते हैं. इनमें हाथी और राइनो जैसे विशालकाय जानवर भी शामिल हैं.
क्यूबा एक कैरेबियाई द्वीप है जहां के सफेद रेत व नीले जल वाले समुद्र तट पर्यटकों के बीच खूब लोकप्रिय हैं. लेकिन महामारी के कारण करीब दो साल से इस देश ने पर्यटकों के लिए दरवाजे बंद कर रखे हैं. घरेलू स्तर पर भी सख्त पाबंदियां लागू हैं ताकि कोरोनावायरस को फैलने से रोका जा सके.
इन पाबंदियों का असर चिड़ियाघर में जानवरों को देखने जाने वाले लोगों की संख्या पर भी पड़ा है. कम संख्या में पर्यटकों के आने का फायदा जानवरों को हुआ है. ऑर्टिज बताती हैं, "प्रदर्शनस्थलों पर जनता के ना होने से जानवर ज्यादा शांत हैं.”
मुश्किलें भी हुईं
वैसे, कई मामलों में जानवरों को महामारी के दौरान मुश्किलें भी झेलनी पड़ीं. जैसे कि दवाओं और खाने की कमी जैसी समस्याएं कई बार आईं. लेकिन अफ्रीकी जानवरों के बाड़े की देखरेख करने वालीं डॉक्टर डेब्रा मासो कहती हैं कि कर्मचारियों ने सुनिश्चित किया किया जानवरों को परेशानी ना हो और उन्हें प्रजनन की कोशिशों के लिए समुचित अवसर मिले.
मासो बताती हैं कि एक मादा जिराफ का जन्म उनके लिए विशेषकर मर्मस्पर्शी अनुभव रहा. इस नन्ही जिराफ का नाम रेचल रखा गया. मासो के शब्दों में, "जिराफ का जन्म तो सबसे अलग था. यह एक बड़ी उपलब्धि थी और मेरे लिए बहुत खुशी की बात भी.”
चिड़ियाघर अब फिर से जनता के लिए खोल दिया गया है और नए जन्मे बच्चों को देखने के लिए बड़ी संख्या में दर्शक वहां पहुंच रहे हैं.
वीके/सीके (रॉयटर्स)