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आपदासंयुक्त अरब अमीरात

प्लास्टिक के बैग और ढक्कनों को क्या समझकर खा जाते हैं कछुए

८ फ़रवरी २०२२

कछुए तब भी बच गए थे, जब धरती पर डायनासोरों का समूल नाश हुआ था, लेकिन अब प्लास्टिक इनके लिए जानलेवा साबित हो रहा है. संयुक्त अरब अमीरात में दिखी यह सूरत डरावनी है.

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संयुक्त अरब अमीरात के तटों पर मृत पाए जाने वाले कछुओं के शरीर में बहुत सारा प्लास्टिक मिल रहा है. यह इनके शरीर में रुकावटें पैदा कर देता है, जो इनके लिए जानलेवा साबित होता है.
'साइंस अडवांस' में पांच साल पहले हुआ एक शोध बताता है कि दुनिया में कचरा इतना बढ़ रहा है कि 2050 तक इसकी मात्रा 12 अरब मीट्रिक टन हो जाएगी.तस्वीर: Paulo de Oliveira/Photoshot/picture alliance

स्टील की जिस मेज पर पोस्टमॉर्टम किया जाता है, उस पर एक हॉक्सबिल समुद्री कछुआ पीठ के बल लेटा हुआ है. इसका लकड़ी जैसा दिखने वाला खोल राख के रंग का है और पेट तना हुआ है. यह युवा कछुआ एक सप्ताह पहले संयुक्त अरब अमीरात के पूर्वी तट के पास कलबा शहर के तट पर बहकर आ गया था.

एक वक्त था, जब इस तट पर मैंग्रोव के पेड़ दिखाई देते थे और इस जगह से कोई छेड़खानी नहीं करता था. अब यहां पास के ही कचरे के ढेर से लाया गया छोटा-छोटा कचरा बिखरा दिखाई देता है. पूरे ही तट पर प्लास्टिक के बैग, पैकेट, बोतलों के ढक्कन और कभी-कभी कछुओं की लाशें भी पड़ी दिखाई देती हैं.

फादी यागमूर समुद्री विशेषज्ञ हैं. मध्य पूर्व में अपना पहला शोध करते हुए उन्होंने करीब 200 कछुओं का परीक्षण किया था. शुरुआत में फादी ने इस कछुए की लाश में से स्क्विड बीक्स और ऑयस्टर निकाले. फिर उसकी लाश से जो निकला, वह उसकी हालत की वजह बता रहा था. फादी को उसके शरीर में से सूखे गुब्बारे और प्लास्टिक फोम मिला. आखिरी बार कछुए ने यही खाया था.

संयुक्त अरब अमीरात के तटों पर मृत पाए जाने वाले कछुओं के शरीर में बहुत सारा प्लास्टिक मिल रहा है. यह इनके शरीर में रुकावटें पैदा कर देता है, जो इनके लिए जानलेवा साबित होता है.
देखिए पोस्टमॉर्टम की मेज पर मृत लेटे इस कछुए के शरीर से कितना प्लास्टिक मिला है.तस्वीर: Kamran Jebreili/AP Photo/picture alliance

समुद्री जानवरों का गला घोंटता प्लास्टिक

फागी बताते हैं, "यह कछुआ संभवत: कुपोषित है. प्लास्टिक ने इसकी आंत के रास्ते बंद कर दिए थे, जिसकी वजह से यह भूखा ही रहा." यह कछुआ शारजाह इलाके में कलबा और खोर फक्कन के तटों पर मिले उन 64 कछुओं में से एक है, जो परीक्षण के लिए फागी की लैब में लाए गए हैं.

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फागी की शोधकर्ताओं की टीम ने 'मरीन पल्यूशन बुलेटिन' में अपनी एक नई स्टडी छापी है. यह स्टडी संयुक्त अरब अमीरात और पूरी दुनिया में समुद्र में फेंके जाने वाले कचरे और खासकर प्लास्टिक में हो रही बढ़ोतरी से होने वाले नुकसान और खतरे को दिखाने वाला एक दस्तावेज है. समुद्र में फेंका जाने वाला प्लास्टिक समुद्री रास्तों को बंद कर देता है और व्हेल जैसे जानवरों तक का गला घोंट देता है.

देखिए 600 किलो का कछुआ

स्टडी बताती है कि शारजाह में मृत पाए गए ग्रीन कछुओं में से 75 फीसदी और लॉगरहेड कछुओं में से 57 फीसदी कछुओं ने समुद्री कचरा खा रखा था. उनके पेट से प्लास्टिक के बैग, बोतलों के ढक्कन, रस्सी और मछली पकड़ने वाले जाल के हिस्से मिले हैं. इसके अलावा इस क्षेत्र के बारे में साल 1985 में जो शोध छपा था, उसमें बताया गया कि खाड़ी और ओमान के किसी भी कछुए ने प्लास्टिक नहीं खाया है.

संयुक्त अरब अमीरात के तटों पर मृत पाए जाने वाले कछुओं के शरीर में बहुत सारा प्लास्टिक मिल रहा है. यह इनके शरीर में रुकावटें पैदा कर देता है, जो इनके लिए जानलेवा साबित होता है.
समुद्र में फेंका जाने वाला कचरा और प्लास्टिक इतना बढ़ गया है कि कई समुद्री प्रजातियों पर विलुप्त होने का खतरा पैदा हो गया है.तस्वीर: Sebnem Coskun/AA/picture alliance

डायनासोर के वक्त में भी बच गए, लेकिन...

फागी कहते हैं, "जब ज्यादातर कछुओं के शरीर से प्लास्टिक मिल रहा है, तो आप समझ सकते हैं कि यह कितनी बड़ी समस्या है. अगर कभी कछुओं की चिंता किए जाने की जरूरत है, तो वह अभी है." लाखों साल पहले जब धरती पर रहनेवाले डायनासोरों का समूल नाश हो गया था, तब भी इन कछुओं का अस्तित्व बच गया था, लेकिन आज ये दुनियाभर में विलुप्त हो रहे हैं.

विश्व संरक्षण संघ बताता है कि कछुओं की हॉक्सबिल प्रजाति गंभीर खतरे में है. वहीं ग्रीन और लॉगरहेड प्रजातियां लुप्तप्राय हैं. ये तीनों प्रजातियां फारस की खाड़ी के गर्म, उथले पानी के साथ-साथ होर्मुज के दूसरी तरफ ओमान की खाड़ी में पाई जाती हैं. 'साइंस अडवांस' में पांच साल पहले हुआ एक शोध बताता है कि दुनिया में कचरा इतना बढ़ रहा है कि 2050 तक इसकी मात्रा 12 अरब मीट्रिक टन हो जाएगी.

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कचरा तो उन तमाम खतरों में से एक है, जो इंसानों ने समुद्री कछुओं के लिए पैदा कर दिए हैं. इसके अलावा समुद्र का तापमान भी बढ़ रहा है, जिससे कोरल रीफ यानी मूंगे की चट्टानें खत्म हो रही हैं. समुद्री तटों के हद से ज्यादा विकास और बहुत ज्यादा मछलियां पकड़े जाने से कछुओं का नुकसान हो रहा है. बात बस इतनी सी है कि कलबा तट पर जो हो रहा है, उसे हम अपनी आंखों से देख पा रहे हैं.

कचरा कैसे खा जाते हैं कछुए

शारजाह में मरे पाए गए कछुओं के शरीर में बहुत सारा कचरा निकल रहा है. एक के शरीर में से तो प्लास्टिक कचरे के 325 टुकड़े मिले थे. दूसरे के शरीर में से मछली पकड़नेवाले जाल के 32 टुकड़े मिले थे. ये चीजें कछुओं के शरीर के भीतर जानलेवा रुकावटें पैदा कर सकती हैं और पाचन तंत्र में कई गैसें पैदा कर सकती हैं.

शोध में यह भी पाया गया कि समुद्री कछुए प्लास्टिक के जिन बैगों और रस्सियों को खाते हैं, दरअसल ये चीजें उनके प्राकृतिक खाने जैसी दिखती हैं. ये कछुए कटलफिश और जेलीफिश खाते हैं. लॉगरहेड कछुए बोतलों के ढक्कन और सख्त प्लास्टिक के छोटे टुकड़ों को घोंघे समझकर खा जाते हैं. यहां मिले सबसे युवा कछुए ने सबसे ज्यादा प्लास्टिक खाया हुआ था. कचरा बढ़ता जा रहा है और इसकी कीमत कछुए चुका रहे हैं.

वीएस/आरपी (एपी)

अपनी नस्ल को बचाने वाले कछुए

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