वर्ल्ड कप के मजदूरों को सात महीने से नहीं मिली तनख्वाह
२२ अगस्त २०२२कुछ ही महीनों बाद नवंबर में कतर में फुटबॉल वर्ल्ड कप होना है. तेज गर्मी के बावजूद आखिरी तैयारियां जोरों पर हैं, लेकिन मजदूरों के साथ होने वाली बदसलूकी को लेकर यह खाड़ी देश फिर से सुर्खियों में है. एक मानवाधिकार संगठन के मुताबिक कतर में हाल ही में कम से कम 60 विदेशी मजदूरों को गिरफ्तार किया. उन्हें कई महीनों से तनख्वाह नहीं मिली थी. विरोध प्रदर्शन करने की वजह से पहले उनकी गिरफ्तारी हुई और फिर कुछ मजदूरों को वापस उनके देश भेज दिया गया.
मामले की जांच कर रही लेबर कंसल्टेंसी संस्था इकईदेम के डायरेक्टर मुस्तफा कादरी कहते हैं कि ताजा मामला मजूदरों के लिए बेहतर माहौल बनाने के दावे की पोल खोल रहा है. वह सवाल करते हुए पूछते हैं कि "क्या वाकई में सच्चाई बाहर आ रही है?"
अमेरिकी समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस को भेजे एक बयान में कतर की सरकार ने स्वीकार किया है कि "पब्लिक सेफ्टी कानूनों को तोड़ने के लिए कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया." बयान में गिरफ्तारी और किसी मजदूर को वापस घर भेजने का जिक्र नहीं था.
सात महीने से नहीं मिली तनख्वाह
इंटरनेट पर 14 अगस्त को राजधानी दोहा में मजदूरों के प्रदर्शन का एक वीडियो जारी हुआ. वीडियो में करीब करीब 60 कामगार, अल बंदारी इंटरनेशनल ग्रुप के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन करते दिख रहे हैं. मेहनताना मांगते प्रदर्शनकारियों ने अल शौमौख टावर के सामने दोहा की सी रिंग रोड को ब्लॉक कर कर दिया. इकईदेम के मुताबिक प्रदर्शन कर रहे कुछ मजदूरों को तो सात महीने से तनख्वाह नहीं मिली थी. अल बंदारी इंटरनेशनल ग्रुप एक बड़ी कंपनी है, जो रियल एस्टेट से लेकर होटल, फूड सर्विस और अन्य कारोबारों में शामिल है.
एक नेपाली मजदूर ने कतर की कलई खोली
ग्रुप ने इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. समाचार एजेंसी के मुताबिक कंपनी ने जो फोन नंबर दिया है, उस पर भी कई बार फोन करने की कोशिश की गई लेकिन हर बार कॉल कनेक्ट नहीं हुई. कतर सरकार ने स्वीकार किया है कि मजदूरों को समय पर तनख्वाह नहीं दी गई. सरकार के मुताबिक, "मजदूरी नहीं देने की वजह से प्रशासन पहले से इस कंपनी की जांच कर रहा है. और अब बकाया वेतन भुगतान को लेकर और कदम उठाए जा रहे हैं."
मजदूरों पर कार्रवाई और उस पर चुप्पी
इकईदेम के डायरेक्टर कादरी का आरोप है कि प्रदर्शन के बाद पुलिस ने कई मजदूरों को गिरफ्तार किया और तेज गर्मी में उन्हें बिना एसी वाले डिटेंशन सेंटर में रखा. दोहा में इन दिनों तापमान करीब 41 डिग्री तक पहुंचता है. कादरी के मुताबिक पुलिस ने मजदूरों से यह भी कहा कि अगर वे गर्मी में प्रदर्शन कर सकते हैं तो उन्हें बिना एसी के नींद भी आ जानी चाहिए.
डिटेंशन सेंटर से इकईदेम से संपर्क करने एक मजदूर ने कहा कि हिरासत केंद्र में करीब 300 कामगार थे. उनमें से ज्यादातर बांग्लादेश, मिस्र, भारत, नेपाल और फिलीपींस के थे. इस मजदूर ने इकईदेम को बताया कि प्रदर्शन के बाद कुछ को बकाया तनख्वाह मिल गई लेकिन कुछ को कोई पैसा नहीं दिया गया. खाड़ी के दूसरे देशों की तरह कतर भी प्रदर्शन करने वाले विदेशी कामगारों को वापस उनके देश भेजता रहा है. देश में आज भी विदेशी कामगारों को यूनियन बनाने का अधिकार नहीं है. यह अधिकार सिर्फ कतर के नागरिकों के लिए है.
आकार में छोटा होने के बावजूद अरब प्रायद्वीप का देश कतर तेल और गैस से लबालब है. अल जजीरा कतर सरकार के पैसे से चलने वाला सैटेलाइट टीवी नेटवर्क है. अल जजीरा दुनिया भर की खबरें तो दिखाता है लेकिन कतर के भीतर अब भी अभिव्यक्ति को नियंत्रित किया जाता है.
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कतर पर दुनिया को गुमराह करने का आरोप
2010 में फीफा ने कतर को फुटबॉल वर्ल्ड कप 2022 की मेजबानी दी. उसके बाद कतर ने देश में विदेशी कामगारों के लिए कई नियम बदले. वह खाड़ी में काफ्का सिस्टम बदलने वाला पहला देश बना. काफ्का सिस्टम के तहत नौकरी बदलने के लिए विदेशी कामगारों को अपने मालिक की इजाजत लेनी होती थी. कतर ने 1000 कतरी रियाल (275 अमेरिकी डॉलर) की न्यूनतम मजदूरी भी तय की. साथ ही सभी कामगारों के लिए खाने और रहने का इंतजाम करने का नियम भी बनाया. लेकिन इन सबके बावजूद बीच बीच में कतर से विदेशी मजदूरों की बुरी हालत की खबरें आती रही हैं.
कतर ने मजदूरों के एग्जिट वीजा का नियम हटाया
कादरी जैसे मानवाधिकार कार्यकर्ता मानते हैं कि कतर को अभी कई और सुधार करने की जरूरत है. इनमें समय से तनख्वाह और बदसलूकी करने वाले मालिक से सुरक्षा जैसी मांगें हैं. कादरी कहते हैं कि कतर से कुछ मामूली सुधार कर दुनिया की आंखों में धूल झोंकी है, जबकि असली समस्याएं तो जस की तस हैं.
ओएसजे/एनआर (एपी)