अमेरिका और यूरोप भर रहे हैं रूस का खजाना
१० अगस्त २०२३अमेरिका और यूरोप के देश रूस से बड़े पैमाने पर परमाणु ईंधन और परमाणु यौगिक खरीद रहे हैं, जिससे रूस को अरबों डॉलर की कमाई हो रही है. यूक्रेन में युद्ध में उलझे रूस को इस धन की सख्त जरूरत है और अपने परमाणु भंडार को वह बखूबी इस्तेमाल कर रहा है.
यूं तो पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े वित्तीय और आर्थिक प्रतिबंधलगा रखे हैं लेकिन परमाणु ईंधन और उससे जुड़े उत्पाद उनमें शामिल नहीं हैं और उनका व्यापार जायज है. लेकिन जिस तरह इसके कारण रूस की झोली भर रही है, उससे परमाणु निरस्त्रीकरण के समर्थक और विशेषज्ञ नाखुश हैं और उनका कहना है कि इस तरह रूस को युद्ध के लिए और मजबूत किया जा रहा है.
अमेरिका और उसके यूरोपीय जोड़ीदार अपने परमाणु बिजली घरों को चलाने के लिए रूस के परमाणु उत्पादों पर निर्भर हैं. इस निर्भरता के कारण वे रूस से रिश्ते नहीं तोड़ सकते क्योंकि तब उनके नागरिक बिजली को तरस जाएंगे. आने वाले समय में यह चुनौती और ज्यादा बढ़ सकती है क्योंकि जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए ये देश और ज्यादा मात्रा में ग्रीन हाउस उत्सर्जन रहित ऊर्जा उत्पादन की ओर बढ़ना चाहते हैं.
अरबों डॉलर का व्यापार हुआ
वॉशिंगटन स्थित नॉनप्रोलीफरेशन पॉलिसी एजुकेशन सेंटर के कार्यकारी निदेशक हेनरी स्कोलस्की कहते हैं, "क्या हमें उन लोगों को धन देना जरूरी है, जो हथियार बनाते हैं? ये तो बहुत अजीब बात है. अगर परमाणु बिजली उत्पादकों को रूस से ईंधन लेने से रोकने के लिए कोई स्पष्ट नियम नहीं है और उसे वहां से खरीदना सस्ता है, तो वे क्यों नहीं खरीदेंगे?”
व्यापारिक आंकड़ों के विशेषज्ञ बताते हैं कि रूस ने अमेरिका और यूरोप को 1.7 अरब डॉलर के परमाणु उत्पाद बेचे हैं. यह व्यापार तब हुआ है जबकि फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर हमला बोलने के बाद इन देशों ने ना सिर्फ कड़े प्रतिबंध लगाये बल्कि अन्य देशों को भी रूस से व्यापार ना करने को कहा. जिन उत्पादों पर प्रतिबंध लगाये गये हैं उनमें रूस तेल, गैस, वोडका और तंबाकू आदि शामिल हैं.
लेकिन पश्चिमी देश रूस के परमाण उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने से बचते रहे हैं क्योंकि ये उत्पाद उनके यहां बिजली पैदा करने के लिए जरूरी हैं. यूएस एनर्जी इन्फॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक रूस ने पिछले साल अपने कुल यूरेनियम निर्यात का 12 फीसदी अमेरिका को भेजा है. 2022 में रूस का 17 फीसदी यूरेनियम यूरोप को मिला.
और बढ़ेगा व्यापार
आने वाले समय में यह व्यापार और बढ़ने की संभावना है क्योंकि यूरोप और अमेरिका समेत दुनियाभर के देश परमाणु बिजली उत्पादन बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. दुनियाभर में इस वक्त लगभग 60 परमाणु बिजली घर बनाये जा रहे हैं और 300 से ज्यादा के बनाने की योजना चल रही है.
फिलवक्त जो देश परमाणु ईंधन से बिजली बना रहे हैं उनमें से 440 परमाणु बिजली संयंत्रों वाले 30 देश रूस की कंपनी रोएस्तोम और उसकी सहयोगी कंपनियों से ईंधन खरीद रहे हैं. यह कंपनी दुनिया की तीसरी सबसे बड़े यूरेनियम उत्पादक और ईंधन उत्पादक है.
रोसएटम का कहना है है कि वह 10 देशों में 33 नये रिएक्टर बना रही है और पिछले साल उसने 2.2 अरब डॉलर का परमाणु ईंधन और अन्य उत्पाद निर्यात किये हैं.
रोसएटम के सीईओ आलेक्साई लीखाचोव ने रूसी अखबार इजवेस्तिया को बताया कि अगले एक दशक में उनकी कंपनी विदेशियों के साथ करीब 200 अरब डॉलर का व्यापार कर रही होगी. विशेषज्ञ कहते हैं कि इस कमाई से रोसएटम की दूसरी शाखाओं को धन मिलता है, जो रूस के लिए परमाणु हथियार डिजाइन करने और बनाने का कामकाज देखती हैं.
यूक्रेन की अपील
यूक्रेनी नेताओं ने दुनियाभर से अपील की है कि रोसएटम पर प्रतिबंध लगाएं ताकि रूस का आखिरी सबसे बड़ा धन का स्रोत बंद किया जा सके. जब रूसी सेनाओं ने जारपोजिया में परमाणु बिजली घर पर कब्जा किया जब वहां के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने पश्चिमी देशों से रोसएटम पर प्रतिबंधों का आग्रह किया था. उस बिजली घर को रोसएटम ही चला रही है और अंतरराष्ट्रीय एटोमिक ऊर्जा एजेंसी बार-बार चेतावनी जारी कर चुकी है कि उस बिजली घर से रेडिएशन लीक हो सकता है, जो एक विनाशकारी हादसा होगा.
मई में जेलेंस्की ने कहा, "यूक्रेन को समझ नहीं आ रहा है कि रोसएटम और उसके अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंध क्यों नहीं लगाये जा रहे हैं जबकि उसके अधिकारी जारपोजिया पर कब्जा करके बैठे हैं और हमारी सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं.”
ईंधन खरीदने की मजबूरी
अमेरिका की परमाणु ऊर्जा उद्योग देश की लगभग 20 फीसदी बिजली का उत्पादन करता है. इसके लिए ईंधन विदेशों से ही आता है. पिछले साल रूस से आए परमाणु ईंधन और अन्य सहयोगी उत्पादों की कीमत 87.1 करोड़ डॉलर रही थी. यह 2021 के 68.9 करोड़ डॉलर से ज्यादा थी. 2020 की तुलना में 2022 में अमेरिका का रूस से यूरेनियम उत्पादों का आयात लगभग दोगुना बढ़कर 12.5 टन पर पहुंच गया था.
उधर यूरोप इसलिए फंसा हुआ है क्योंकि उसके यहां 19 ऐसे रिएक्टर हैं जिन्हें रूस ने डिजाइन किया है. पांच देशों में बने ये रिएक्टर पूरी तरह रूसी परमाणु ईंधन पर निर्भर हैं. पिछले साल यूरोप ने रूस से परमाणु ईंधन खरीदने पर 82.8 करोड़ डॉलर खर्च किये.
अमेरिका और यूरोपीय देश अब कोशिश कर रहे हैं कि रूसी यूरेनियम पर निर्भरता घटे. अमेरिका ने अपने यहां यूरेनियम उत्पादन बढ़ाने की भी बात कही है. यूक्रेन पर हमला होने के बाद स्वीडन ने तो रूस से परमाणु ईंधन खरीदने से इनकार ही कर दिया था. फिनलैंड के पास पांच रिएक्टर हैं जिनमें से दो रूसी ईंधन पर निर्भर हैं. लेकिन फिनलैंड ने एक नया रिएक्टर बनाने के लिए रोसएटम से हुआ समझौता रद्द कर दिया है. कई अन्य देश भी अब ईंधन के लिए अन्य स्रोत तलाश रहे हैं.
वीके/एए (एपी)