गर्भवती पत्रकार को काबुल से ही लड़ना पड़ा न्यूजीलैंड सरकार से
१ फ़रवरी २०२२35 साल की शार्लट बेलिस अपने पार्टनर फ्रीलान्स फोटोग्राफर जिम ह्यूलब्रोक के साथ अपने पहले बच्चे को जन्म देने की तैयारी कर रही हैं. गर्भावस्था के 25वें सप्ताह में प्रवेश कर चुकीं बेलिस अपने गृह देश न्यूजीलैंड में अपनी बेटी को जन्म देना चाह रही हैं लेकिन न्यूजीलैंड सरकार के कड़े कोविड-19 नियम उन्हें ऐसा करने से रोक रहे थे.
लेकिन अब काफी जद्दोजहद के बाद न्यूजीलैंड सरकार ने उन्हें वापस आने की अनुमति दे दी है. बेलिस ने बताया कि इससे पहले उन्हें हर रोज एक जंग लड़नी पड़ रही थी. उन्होंने बताया कि वो तीन बार टीका ले चुकी हैं और न्यूजीलैंड लौटने पर खुद को आइसोलेट करने के लिए भी तैयार थीं.
न्यूजीलैंड के कड़े नियम
उन्होंने इसे एक "बेतुकी स्थिति" बताया था और कहा था, "न्यूजीलैंड में ही मेरा परिवार है, स्वास्थ्य सेवाएं हैं और वहां जाना मेरा कानूनी अधिकार है. मेरा हर सहारा वहीं पर तो है." बेलिस ने अपनी कठिनाइयों के बारे में पहली बार शनिवार 29 जनवरी को न्यूजीलैंड हेराल्ड में छपे एक लेख में बताया.
देश के कोविड-19 प्रतिक्रिया मंत्री क्रिस हिपकिंस ने अखबार को बताया कि उन्होंने अधिकारियों को यह पता करने के लिए कहा है कि बेलिस के मामले में प्रक्रिया का पालन हुआ था या नहीं. उन्होंने कहा कि "पहली नजर में ऐसा लग तो रहा है कि और स्पष्टीकरण की जरूरत है."
बेलिस कतर के अल जजीरा नेटवर्क के लिए अफगानिस्तान संवाददाता के रूप में काम कर रही थीं. नवंबर में उन्होंने अल जजीरा से इस्तीफा दे दिया था क्योंकि कतर में अविवाहित होते हुए गर्भवती होना गैर कानूनी है. अल जजीरा ने टिप्पणी के लिए अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया था.
बच्चे पर असर की चिंता
ह्यूलब्रोक मूल रूप से बेल्जियम के निवासी हैं लेकिन पिछले दो सालों से अफगानिस्तान में हैं. बेलिस फिर बेल्जियम गईं और वहां निवास की अनुमति पाने की कोशिश करने लगीं लेकिन उन्होंने बताया कि वो प्रक्रिया इतनी लंबी थी कि उसके पूरा होते होते उनके वीजा की अवधि समाप्त हो जाती.
उन्होंने बताया कि अपनी बच्ची को जन्म देने तक वो पर्यटक वीजा पर एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे देश घूमती रह सकती थीं, लेकिन ऐसा करने में उन्हें होटलों पर बहुत खर्च करना पड़ता और इसके लिए उन्हें ना कोई सहारा मिलता और ना स्वास्थ्य सेवाएं.
अंत में वो और उनके पार्टनर अफगानिस्तान वापस आ गए क्योंकि उनके पास वीजा था, उन्हें ऐसा महसूस हो रहा था कि वहां उनका स्वागत है और वहां से वो बेलिस के घर वापस लौटने की लड़ाई लड़ सकते हैं. बेलिस ने बताया कि उनके और ह्यूलब्रोक के पास वहां एक घर है और "अपने सभी विकल्पों के मूल्यांकन" के बाद वो दोनों काबुल लौट आए.
बेलिस ने बताया कि उन्होंने अपने लिए समयसीमा तय की थी कि जब वो गर्भधारण के 30वें हफ्ते में प्रवेश कर जाएंगी तब अपने और अपने बच्चे के स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए वो अफगानिस्तान छोड़ देंगी.
अफगानिस्तान में मिली मदद
फरवरी के अंत तक उनके बेल्जियम वीजा में एक महीने का समय और बाकी होगा और तब तक अगर वो न्यूजीलैंड नहीं जा सकीं तो बेल्जियम जाने की कोशिश करेंगी.
बेलिस कहती हैं कि न्यूजीलैंड के क्वारंटाइन सिस्टम के साथ कागजों की लड़ाई लड़ने के दौरान वो शांत रहने की कोशिश करती थीं लेकिन उन्हें इस बात की चिंता थी कि वो जिस तनाव में रही हैं उसका उनके बच्चे पर कोई असर तो नहीं होगा.
अफगानिस्तान में उन्हें एक स्त्री रोग विशेषज्ञ भी मिल गईं जिन्होंने उनसे कहा कि वो उन्हें बीच रात में भी फोन कर सकती हैं. डॉक्टर के क्लीनिक में मूलभूत सुविधाएं हैं. इनमें एक इनक्यूबेटर भी शामिल है वो अक्सर इस्तेमाल में रहता है.
बेलिस ने एक वकील भी ढूंढ लिया जो उनका मामला निशुल्क देख रहे थे. उन्होंने न्यूजीलैंड सरकार को 60 से ज्यादा कागजात भी दिए और अनगिनत सवालों के जवाब भी दिए. लेकिन इन सब के बावजूद देश में फिर से प्रवेश करने के उनके अनुरोध को दो बार ठुकरा दिया गया.
तालिबान से भी मिली रियायत
रविवार 30 जनवरी को उन्हें न्यूजीलैंड सरकार से एक और ईमेल मिली जिसमें उन्हें "खतरे में पड़े एक व्यक्ति" के रूप में आवेदन करने के लिए कहा गया. उन्हें कहा गया कि ऐसा करने से वो घर वापस आ सकेंगी.
लेकिन बेलिस का कहना था कि ऐसा करने से सरकार उनके पिछले आवेदनों को ठुकरा देने की जवाबदेही से बच जाएगी. उन्होंने कहा, "ऐसा करने से उन्हें अपनी जिम्मेदारी से इनकार करने का मौका मिला जाएगा और यह बिल्कुल भी सच नहीं है."
वो कहती हैं कि पहले उनके आवेदनों को यह कहकर ठुकरा दिया गया था कि उनकी गर्भावस्था "क्रिटिकल टाइम थ्रेट के मानकों" को पूरा नहीं करती. वो पूछती हैं, "एक गर्भवती महिला होने के नाते अगर मैं इन मानकों को पूरा नहीं करती तो कौन करता है?"
बेलिस ने यह भी बताया कि अफगानिस्तान लौटने से पहले उन्होंने तालिबान से अनुमति मांगी थी क्योंकि उन्हें डर था कि बिना शादी किए गर्भ धारण कर वहां पहुंचने के बाद समस्या खड़ी हो सकती है. लेकिन तालिबान की प्रक्रिया त्वरित और सकारात्मक रही.
बेलिस ने बताया, "यह तालिबान की आधिकारिक नीति नहीं है लेकिन उन्होंने बहुत उदार और दयालु प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा "आप यहां सुरक्षित हैं, मुबारक हो, हम आपका स्वागत करते हैं."
सीके/एए (एपी, एएफपी)