1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

उम्र घटा रहा है प्रदूषण

१४ जून २०२२

एक नए शोध में दावा किया गया है कि प्रदूषण की वजह से पूरी दुनिया में लोगों की उम्र दो साल से भी ज्यादा से घट रही है. भारतीय शहरों में तो प्रदूषण लोगों की उम्र आठ से 10 साल तक कम कर रहा है.

https://p.dw.com/p/4Cfyj
New Delhi, India | Smog
तस्वीर: Hindustan Times/imago images

अमेरिका के शिकागो विश्वविद्यालय के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक अति सूक्ष्म कणों का प्रदूषण पूरी दुनिया में लोगों की आयु-संभाविता (लाइफ एक्सपेक्टेंसी) उम्र दो साल से भी ज्यादा से घट रही है.

ऐसा प्रदूषण अधिकांश जीवाश्म ईंधन जलाने से होता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर जीवाश्म ईंधनों के जलाने को कम किया जाए और सूक्ष्म कणाकार पदार्थ (पार्टिकुलेट मैटर) के स्तर को विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्तर के अनुरूप रखा जाए तो दक्षिण एशिया में औसत व्यक्ति पांच साल और जी लेगा.

नई दिल्ली
नई दिल्ली में लोगों की जिंदगी 10 साल तक छोटी हो जा रही हैतस्वीर: Hindustan Times/imago images

भारत के शहरों में तो हालात और खराब हैं. उत्तर प्रदेश और बिहार के कई शहरों में तो कथित पीएम2.5 के प्रदूषण से फेफड़ों और दिल की बीमारियां होती हैं जो आयु संभाविता  को आठ साल घटा देती हैं. नई दिल्ली में तो इन्हीं कारणों से लोगों की जिंदगी 10 साल तक छोटी हो जा रही है.

(पढ़ें: कार्बन उत्सर्जन का असर: ना खाने को अन्न मिलेगा ना सांस लेने को साफ हवा)

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक

पीएम2.5 का मतलब 2.5 माइक्रोन या उससे भी कम के कण जो करीब एक इंसानी बाल की मोटाई के बराबर होते हैं. ये फेफड़ों में गहरे घुस जाते हैं और फिर रक्तप्रवाह में घुस जाते हैं. 2013 में संयुक्त राष्ट्र ने उन्हें कैंसर के एक कारण के रूप में चिन्हित किया.

विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है कि हवा में पीएम2.5 घनत्व कभी भी 24 घंटों में 15 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए. इसके स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव के ठोस सबूत सामने आने के बाद संगठन ने इन मानकों को पिछले साल ही और कड़ा किया.

ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में प्रदूषणतस्वीर: Liu Changchang/Xinhua/picture alliance

ताजा रिपोर्ट के मुख्य शोधकर्ता क्रिस्टा हाजेनकॉप्फ ने बताया, "साफ हवा का फायदा यह है कि इससे पूरी दुनिया में लोगों की उम्र बढ़ती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों के पालन से अगर वैश्विक वायु प्रदूषण को स्थायी रूप से घटा लिया जाए तो इससे अनुमानित जीवनकाल में 2.2 साल और जुड़ जाएंगे.

(पढ़ें: तीन सालों में सौर, पवन ऊर्जा क्षमता को दोगुना करेगा चीन)

एशिया में हालात सबसे खराब

दुनिया में ज्यादा आबादी वाले लगभग सभी हिस्सों में वायु प्रदूषण का स्तर संगठन के मानकों से ज्यादा है, लेकिन यह और कहीं भी उतना ज्यादा नहीं है जितना एशिया में है. बांग्लादेश में इसका स्तर मानकों से 15 गुना, भारत में 10 गुना और नेपाल और पाकिस्तान में नौ गुना ज्यादा है.

केंद्रीय और पश्चिमी अफ्रीका, दक्षिण पूर्वी एशिया के अधिकांश हिस्से और केंद्रीय अमेरिका के कुछ हिस्सों में भी वैश्विक औसत से ज्यादा प्रदूषण है और कम आयु संभाविता है.

बांग्लादेश
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में प्रदूषणतस्वीर: Kazi Salahuddin Razu/NurPhoto/picture alliance

आश्चर्य की बात यह है कि 2020 में पीएम2.5 का स्तर लगभग एक साल पहले जैसा ही रहा, जबकि कोविड तालाबंदियों की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी रही और कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन भी कम रहा.

(पढ़ें: ‘स्वच्छ कार’ खरीदने के लिए गरीबों को धन देगी न्यूजीलैंड सरकार)

शोध के लेखकों ने कहा कि महामारी के पहले साल में दक्षिण एशिया में प्रदूषण घटने की जगह बढ़ गया. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस लिहाज से चीन में काफी सुधार हुआ है, जहां 2013 से 2020 के बीच पीएम2.5 प्रदूषण लगभग 40 प्रतिशत गिर गया. इससे आयु संभाविता दो साल बढ़ गई.

लेकिन इस सुधार के बाद भी चीन में लोगों का औसत जीवनकाल 2.6 साल छोटा हो रहा है. इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि असामयिक मृत्यु के कारणों में पीएम2.5 प्रदूषण का असर तंबाकू का सेवन करने के असर के बराबर, शराब पीने के असर के तीन गुना और एचआईवी/एड्स के असर के छह गुना तक होता है.

सीके/एए (एएफपी)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी