कैसी है राफाल विमान बनाने वाले देश की राजनीतिक व्यवस्था
१ मई २०१९भारतीय चुनावों में पाकिस्तान के अलावा जो देश इस बार सबसे ज्यादा चर्चा में है उसका नाम है फ्रांस. वजह है भारत और फ्रांस के बीच हुई राफाल डील. विपक्षी कांग्रेस इस डील में भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है जबकि सत्ताधारी भाजपा इन आरोपों को गलत बता रही है. राफाल विमान बनाने वाली कंपनी डासौ फ्रांस की ही एक कंपनी है. फ्रांस में भी इन दिनों चुनाव का माहौल है. मई में फ्रांस के मतदाता यूरोपीय संसद में अपने प्रतिनिधियों को चुन रहे हैं. जानते हैं इस देश की राजनीतिक व्यवस्था के बारे में.
फ्रांस हमेशा से यूरोप की एक बड़ी ताकत रहा है. 18वीं सदी में नेपोलियन के राजा बनने के बाद फ्रांस ने अपने साम्राज्य का बेहद तेजी से विस्तार किया. नेपोलियन की मृत्यु के बाद भी फ्रांस एक बड़ी शक्ति बना रहा. 20वीं सदी की शुरुआत तक फ्रांस ब्रिटेन के बाद दूसरा सबसे बड़ा साम्राज्य बना रहा. 1914 में शुरू हुए प्रथम विश्वयुद्ध के बाद से फ्रांस का कमजोर होना शुरू हुआ. द्वितीय विश्व युद्ध में फ्रांस को बहुत नुकसान हुआ. लेकिन इसके बाद फ्रांस ने बहुत तेजी से खुद को एक मजबूत देश बनाया. फिलहाल फ्रांस की जनसंख्या करीब 6 करोड़ 73 लाख और क्षेत्रफल 6,40,679 वर्ग किलोमीटर है. यूरोपीय संसद के चुनाव में फ्रांस से 2014 में 74 सदस्य चुने गए. इस बार यह संख्या 79 हो गई है.
फ्रांस की राजनीतिक व्यवस्था
फ्रांस के संविधान का नाम 'कॉन्सटिट्यूशन ऑफ दी फिफ्थ रिपब्लिक' है. ये 1958 में लागू हुआ था. इससे पहले चार संविधान फ्रांस में बदले जा चुके हैं. इसमें भी संशोधन होते रहते हैं. संविधान के मुताबिक फ्रांस में सरकार की मिश्रित व्यवस्था है जिसमें सरकार की शक्तियों का बंटवारा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच होता है. राष्ट्रपति का चुनाव सीधे जनता द्वारा किया जाता है. राष्ट्रपति के चुनाव में खड़ा होने के लिए किसी भी प्रत्याशी को कम से कम 500 स्थानीय प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं.
यह चुनाव दो चरणों में होता है. पहले चरण में जरूरी योग्यता पूरी करने वाले सारे उम्मीदवार खड़े होते हैं. जीत के लिए पचास प्रतिशत से एक वोट ज्यादा पाना जरूरी होता है. अगर किसी उम्मीदवार को पूर्ण बहुमत न मिले तो सबसे ज्यादा वोट पाने वाले दो उम्मीदवार दूसरे चरण में पहुंचते हैं. दूसरे चरण में 50 प्रतिशत से अधिक वोट पाने वाला उम्मीदवार जीतकर राष्ट्रपति बन जाता है. राष्ट्रपति संसद के निचले सदन में बहुमत प्राप्त दल या गठबंधन में से एक नेता को प्रधानमंत्री पद के लिए चुनता है. दोनों का कार्यकाल पांच साल का होता है. प्रधानमंत्री अपने मंत्रिमंडल का गठन करता है.
दो सदनों की संसद
फ्रांस में भी संसद में भी दो सदन होते हैं. भारत की लोकसभा की तरह यहां नेशनल असेंबली है और राज्यसभा की तरह सीनेट है. नेशनल असेंबली के सदस्यों को डेपुटी कहा जाता है. इन्हें सीधे जनता द्वारा चुना जाता है. इसमें कुल 577 सदस्य हैं. इनका चुनाव भी दो चरण की वोटिंग में पूर्ण बहुमत से होता है. पहले चरण में जीतने के लिए उम्मीदवार को पूर्ण बहुमत के अलावा उस क्षेत्र के कुल वोटरों की संख्या का कम से कम 25 प्रतिशत पाना जरूरी है. अगर पहले चरण में किसी उम्मीदवार को इतने वोट नहीं मिल पाते हैं तो कुल वोटरों के 12.5 प्रतिशत से अधिक वोट पाने वाले सभी उम्मीदवार दूसरे चरण का चुनाव लड़ते हैं. इस चरण में सबसे ज्यादा वोट पाने वाला उम्मीदवार चुनाव जीत जाता है. जिस पार्टी या गठबंधन के 289 से अधिक प्रतिनिधि जीतकर आते हैं उसी से प्रधानमंत्री चुना जाता है.
सीनेट के सदस्यों को सीनेटर कहा जाता है. इनका चुनाव जनता द्वारा अप्रत्यक्ष तरीके से होता है. इन्हें स्थानीय प्रतिनिधि और डेपुटी मिलकर चुनते हैं. इनका चुनाव हर विभाग के हिसाब से अलग-अलग होता है. फिलहाल इनकी संख्या 326 है. इनका कार्यकाल छह साल का होता है. हर तीन साल में सीनेट की पचास प्रतिशत सीटों पर चुनाव होता है.
मुख्य राजनीतिक पार्टियां
फ्रांस में अलग-अलग विचारधारा के हिसाब से सात राजनीतिक पार्टियां हैं. फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों की पार्टी एक नई पार्टी एन मार्च का प्रतिनिधित्व करते हैं. यह पार्टी साल 2016 में बनी थी. इसकी विचारधारा यूरोपीय समर्थक और सामाजिक उदारवाद की है. इसके अलावा उदार वामपंथ वाली सोशलिस्ट पार्टी, वामपंथी फ्रेंच कम्युनिस्ट पार्टी, लोकतांत्रिक समाजवाद समर्थक ला फ्रांस इनसॉमिसे, उदारवादी डेमोक्रेटिक मूवमेंट, उदार दक्षिणपंथी दी रिपब्लिकंस और धुर दक्षिपंथी नेशनल फ्रंट हैं.