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समाजजर्मनी

सच से कहीं ज्यादा तेजी से फैलता झूठ: मारिया रेसा

श्रीनिवास मजुमदारु
२० जून २०२२

नोबेल पुरस्कार विजेता मारिया रेसा का कहना है कि आज के दौर में तथ्यों के मुकाबले गुस्से और नफरत से लैस झूठ कहीं तेजी से फैलता है. उन्होंने कहा कि बढ़ते फासीवाद से लड़ने के लिए फिर से भरोसा कायम करना जरूरी है.

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मारिया रेस्सा
जानी मानी पत्रकार मारिया रेस्सा को पिछले नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया थातस्वीर: Ronka Oberhammer/DW

जर्मनी के शहर बॉन में डॉयचे वेले के ग्लोबल मीडिया फोरम के उद्घाटन समारोह में रेसा ने कहा, "अगर आपके पास तथ्य नहीं है, तो आपके पास सच नहीं है. अगर आपके पास सच नहीं है, तो आपके पास भरोसा नहीं है." दो दिन तक चलने वाले ग्लोबल मीडिया फोरम में दुनियाभर के पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता और विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे हैं. इस बार सम्मेलन का विषय है युद्ध, संकट और त्रासदियों के बीच पत्रकारिता का भविष्य.

रेसा ने अपने भाषण में बताया कि कैसे बड़ी टेक कंपनियां फेक न्यूज की समस्या को बढ़ाने और गलत जानकारियां फैलाने में योगदान दे रही हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि गुस्से और नफरत से लैस झूठ तथ्यों से कहीं ज्यादा तेजी से फैलता है.

अक्टूबर 2021 में फिलीपीनी-अमेरिकी पत्रकार रेसा को रूसी पत्रकार दिमित्री मरातोव के साथ शांति के नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया. दोनों पत्रकारों को यह पुरस्कार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बचाए रखने के उनके प्रयासों के लिए दिया गया.

वर्चुअल दुनिया में कानून का राज

रेसा ने सवाल किया, "अगर आपके तथ्य ईमानदार नहीं होंगे, तो फिर चुनाव कैसे ईमानदार होंगे." उनके मुताबिक यह स्थिति लोकतंत्र के लिए खतरे पैदा कर रही है. जानी-मानी पत्रकार रेसा ने टेक कंपनियों को नियंत्रित करने के लिए कानून  की मांग की. उन्होंने कहा कि अगर वर्चुअल दुनिया में कानून का राज नहीं होगा, तो सामान्य दुनिया में ऐसा नहीं होगा.

रेसा ने ये सब बातें ऐसे समय में कही हैं, जब फिलीपींस में पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता देश के घटनाक्रम को लेकर लगातार चिंतित हैं, क्योंकि पूर्व फिलीपीनी तानाशाह के बेटेफर्डीनांड मार्को जूनियर 30 जून को राष्ट्र्पति पद की शपथ लेने वाले हैं. निवर्तमान राष्ट्रपति रोड्रिगो डुटैर्टे की बेटी सारा डुटैर्टे उपराष्ट्रपति पद की शपथ ले चुकी हैं. ये दोनों ही नेता अपने पिताओं के कार्यकाल में हुए मानवाधिकारों के हनन और अत्याचारों को मानने को तैयार नहीं हैं.

रेसा ने 2012 में रैप्लर के नाम के मीडिया संस्थान की स्थापना की, जो फिलीपींस में फेक न्यूज और गलत जानकारियों के प्रसार के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाता रहा है. यह फिलीपींस की सबसे लोकप्रिय न्यूज वेबसाइट्स में से एक है. खासकर पिछले छह सालों डुटैर्टे के कार्यक्रम के दौरान यह संस्था फेक न्यूज और मानवाधिकारों के उल्लंघनों को दर्ज करने वाले प्लेटफॉर्म के तौर पर उभरी है.

"लड़ती रहूंगी"

रैप्लर की आलोचनात्मक रिपोर्टिंग के जवाब में फिलीपींस की सरकार ने इसके खिलाफ कई कदम उठाए. टैक्स चोरी और साइबर अपराधों के आरोप लगाकर बेवसाइट को बंद कराने की कोशिशें हुईं. रेसा और उनके साथ काम करने वाले पत्रकारों को खासतौर से निशाना बनाया गया. उन्हें ऑनलाइन धमकियां मिलीं. उनका चरित्र हनन करने की कोशिशें की गईं.

रेसा को 2020 में साइबर क्राइम विरोधी कानून के तहत दोषी करार दिया गया. आलोचक इसे उनकी आवाज दबाने का तरीका मानते हैं. इस बारे में बात करते हुए रेसा ने ग्लोबल मीडिया फोरम में कहा कि वह पीछे नहीं हटेंगी और लड़ती रहेंगी. उन्होंने कहा, "मैं लड़ूंगी, क्योंकि मुझे कानून के राज में विश्वास करना है."

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