अफगानिस्तान: तालिबान से बचना है तो पासपोर्ट जरूरी
२८ जुलाई २०२१अपने हजारों हमवतनों की तरह अब्देल खालिद नबियार उस कीमती यात्रा दस्तावेज के लिए आवेदन करने के लिए अफगानिस्तान के मुख्य पासपोर्ट कार्यालय के बाहर इंतजार कर रहे हैं, जो उन्हें युद्धग्रस्त देश छोड़ने की अनुमति देगा.
अफगानिस्तान के ग्रामीण इलाकों में तालिबान जिस तरह से पैर पसार रहा है, उसके चलते विदेशी सैन्य ताकतों की वापसी के साथ कई अफगान जिनके पास साधन हैं वे बाहर जाने का रास्ता तलाश रहे हैं. 52 वर्षीय नबियार कहते हैं, "अगर स्थिति बिगड़ती है, तो हमें देश छोड़ना पड़ सकता है," वह विशेष रूप से असुरक्षित महसूस करते हैं क्योंकि वह कभी नाटो सैन्य अड्डे पर एक दुकान चलाते थे.
हर कोई तत्काल बाहर नहीं निकल पाएगा, लेकिन अधिकांश सुरक्षा कवच चाहते हैं - यह जानते हुए कि वे कम समय में बाहर जा सकते हैं. नबियार कहते हैं, "लोग चाहते हैं कि चीजें गलत होने की स्थिति के पहले से वे तैयार रहें."
पासपोर्ट है तो बाहर जाने का रास्ता है
काबुल के पासपोर्ट कार्यालय के बाहर भोर से ही लोग कतार में लग जाते हैं. सुबह आठ बजे तक कतार सैकड़ों मीटर तक लंबी हो जाती है. आवेदक धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं. वे अपने दस्तावेजों वाले प्लास्टिक फोल्डर को पकड़ते हैं. कभी-कभी अपनी किस्मत आजमाने वालों को कतार में खड़ा करने के लिए पुलिस अधिकारी की भी जरूरत पड़ती है.
पत्रकारों के सवाल पर पासपोर्ट अधिकारी थोड़ी झिड़क जाती हैं. वह कहती हैं कि नागरिक के लिए पासपोर्ट लेना सामान्य बात है. हाल के सप्ताहों में पासपोर्ट के लिए आवेदन करने वालों की संख्या असामान्य है. एक पुलिस अधिकारी ने बताया, "आम तौर पर 2,000 के मुकाबले एक दिन में लगभग 10,000 लोग आवेदन के लिए आ रहे हैं."
36 साल के इंजीनियर खलीलुल्लाह सुबह पांच बजे ही अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ पासपोर्ट कार्यालय आ गए. उन्होंने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "पहले से ही 300 लोग कतार में थे."
आवेदकों को अपनी तस्वीर देने की जरूरत होती है, आंखों को बायोमेट्रिक रूप से रिकॉर्ड किया जाता है और प्रक्रिया के हिस्से के रूप में उंगलियों के निशान लिए जाते हैं.
तालिबान ने महिला अधिकारों का हनन किया
जीनत बहार नजरी को इंतजार करते हुए कई घंटे हो गए हैं. एएफपी से बात करते हुए वह कहती हैं, "जब हम बच्चे थे, हमारे परिवार वालों ने कहा कि तालिबान ने लोगों को मार डाला और उन्हें गायब कर दिया."
कंप्यूटर साइंस की 23 साल की छात्रा जीनत कहती हैं, "वे महिलाओं के प्रति हिंसक थे. उन्हें शिक्षित नहीं होने दिया और उन्हें उनके मूल अधिकारों से वंचित कर दिया."
हालांकि जीनत तालिबान के पहले शासन को याद करने के लिए बहुत छोटी हैं. लेकिन 1996 से 2001 तक तालिबान ने क्या किया वह बखूबी जानती हैं. वह कहती हैं, "केवल एक चीज मुझे पता है कि तालिबान के पास आतंक का चेहरा है. वह बस लड़ाई, आत्मघाती बम विस्फोट और खूनखराबा करता है."
जीनत कहती हैं, "जब आप स्कूल या विश्वविद्यालय जाते हैं तो एक उज्ज्वल भविष्य की आशा करते हैं, लेकिन अगर तालिबान सत्ता संभालता है तो उज्ज्वल भविष्य की आशा गायब हो जाएगी."
कतार में लगे कई लोगों को पता नहीं है कि अगर उन्हें मौका दिया गया तो वे कहां जाएंगे या कोई अन्य देश भी उन्हें अपनाएगा. अधिकांश देश अफगानों को वीजा देने के लिए कई दस्तावेजों की मांग करते हैं. दस्तावेजों के साथ-साथ वित्तीय स्थिरता का भी प्रमाण देने की जरूरत होती है. जो कुछ के पास ही होती है. लेकिन फिर भी सभी लोग तैयार रहना चाहते हैं.
52 साल के सरदार कहते हैं, "हमारा जीवन खतरे में है, हमारे पास कोई विकल्प नहीं है." उन्होंने आगे पहचान जाहिर करने से इनकार कर दिया क्योंकि उन्होंने ब्रिटिश नागरिक समाज समूह के लिए अनुवादक के रूप में काम किया है और वह अपने जीवन के लिए डरते हैं.
कई ऐसे भी लोग हैं जो पासपोर्ट तो चाहते हैं लेकिन वे दोबारा शरणार्थी नहीं बनना चाहते हैं.
एए/वीके (एएफपी)