भारत की तरह पाकिस्तान ने भी आत्महत्या कानून बदला
२६ दिसम्बर २०२२पाकिस्तान ने औपनिवेशिक युग के एक कानून में संशोधन कर आत्महत्या की कोशिश को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है. देश के राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से ट्वीट कर बताया गया है कि राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं.
शुक्रवार को राष्ट्रपति अल्वी ने इस संशोधन पर हस्ताक्षर किए. यह बिल पाकिस्तान पीपल्स पार्टी ने संसद में तीन महीने पहले पेश किया था और इसे दोनों सदनों से पारित कर दिया गया था.
जापान: टॉयलेट पेपर से युवाओं की खुदकुशी रोकने की कोशिश
जिस कानून में संशोधन किया गया, वह 1947 में आजादी के पहले अंग्रेज राज के दौरान लागू किया गया था. इस कानून के तहत पाकिस्तान में आत्महत्या की कोशिश करना एक अपराध था जिसके तहत एक साल की कैद अथवा जुर्माना या दोनों सजाएं दी जा सकती थीं.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नजदीकी सहयोगी सलमान सूफी के मुताबिक शरीफ ने इस संशोधन का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि हर तनावग्रस्त को व्यक्ति जो अपनी जान लेने जैसे अतिश्य कदम के बारे में विचार कर रहा है, उसकी मदद की जानी चाहिए और उसे बचाया जाना चाहिए.
भारत में भी हुआ था बदलाव
भारत में भी ऐसा ही कानून था जिसमें 2016 में संशोधन किया गया था. मानसिक स्वास्थ्य सुविधा विधेयक 2013 के रूप में यह संशोधन पेश किया गया था जिसके तहत यह माना गया कि खुदकुशी का प्रयास सामान्य मनोदशा में संभव नहीं है.
इससे पहले भारत में खुदकुशी की कोशिश इस समय अपराध की श्रेणी में था. भारतीय दंड संहिता की धारा 309 के तहत खुदकुशी के प्रयास को परिभाषित करते हुए ऐसा करने पर एक साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों का प्रावधान था. भारत में अब इसे बीमारी की श्रेणी में रखा गया है.
रिपोर्ट: भारत में खुदकुशी करने वालों की संख्या बढ़ी
इस दिशा में कई अहम फैसले दे चुके दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एसएन धींगरा ने तब कहा था कि ब्रिटिश राज में यह प्रावधान आईपीसी में रखा गया था, उस समय कानून के भय से इस प्रवृत्ति से दूर रहने का संदेश देने की कोशिश की गई थी क्योंकि इस तरह का दुस्साहसिक कदम उठाने वालों की तादाद बहुत कम थी लेकिन अब समय के साथ समाज और सोच में आए बदलाव को देखते हुए कानून में बदलाव की मांग जायज है.
वैश्विक संकट है आत्महत्या
अब भी दुनिया के कई देशों में आत्हमत्या एक अपराध है जिसके लिए सजाओं का प्रावधान है. इसके अलावा आत्महत्या की कोशिश और मानसिक स्थिति को सामाजिक रूप से एक कलंक की तरह देखा जाता है. 2019 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसके मुताबिक हर साल सात लाख से ज्यादा लोग खुदकुशी से मारे गए थे. डब्ल्यूएचओ ने इस बारे में दिशा निर्देश भी जारी किए हैं जिसके तहत विभिन्न सरकारों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी देखभाल के लिए हालात को बहेतर बनाने की बात कही गई है.
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक पाकिस्तान में 2019 में एक लाख लोग खुदकुशी के कारण मारे गए. हालांकि यह भी कहा गया कि यह संख्या कहीं ज्यादा हो सकती है क्योंकि पुलिस की जांच पर पूरा भरोसा नहीं किया जा सकता.
रिपोर्टः विवेक कुमार (एपी)