शोध: भीषण गर्मी की चपेट में आ सकते हैं करोड़ों भारतीय
२९ मई २०२३एक ताजा शोध में कहा गया है कि तापमान में 2.7 डिग्री की वृद्धि का असर 60 करोड़ से ज्यादा भारतीयों पर पड़ेगा. अगर इसे 1.5 डिग्री तक सीमित कर लिया जाता है तो इसमें छह गुना की कमी आ सकती है. तब नौ करोड़ भारतीय बढ़ती गर्मी और लू का प्रकोप झेलने को मजबूर होंगे.
अनुमान है कि हर 0.1 डिग्री तापमान बढ़ने के साथ 14 करोड़ लोग भीषण गर्मी की चपेट में होंगे. फिलहाल दुनिया भर के छह करोड़ लोग ऐसी जगहों पर रह रहे हैं जहां औसत तापमान 29 डिग्री से ऊपर है.
एक्सेटर यूनिवर्सिटी के ग्लोबल सिस्टम्स इंस्टीट्यूट, अर्थ कमीशन और नानजिंग यूनिवर्सिटी की यह स्टडी नेचर सस्टेनेबिलिटी में छपी है.
नाइजीरिया पर भी पड़ेगा असर
भारत के बाद नाइजीरिया पर बढ़ती गर्मी का सबसे ज्यादा असर होगा. 2.7 डिग्री तापमान बढ़ते ही देश के 30 करोड़ भीषण गर्मी की चपेट में होंगे. तापमान 1.5 डिग्री तक सीमित रहता है तो यह खतरा चार करोड़ लोगों पर होगा.
संयुक्त राष्ट्र ने आशंका जाहिर की है कि अगले पांच साल में पृथ्वी का औसत तापमान 1.5 डिग्री की सीमा को पार कर जाएगा. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि यह वृद्धि क्षणिक होगी और ज्यादा चिंताजनक नहीं होगी. बुधवार को संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने यह अनुमान जाहिर किया.
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अल निन्यो प्रभाव के अस्थायी उभार के कारण कोयला, तेल और गैस के जलने से बढ़ रहे तापमान को अस्थायी उछाल मिल सकता है. उसके बाद तापमान कुछ नीचे आ सकता है.
इंसान ही नहीं जानवरों पर भी खतरा
संयुक्त राष्ट्र की संस्था विश्व मौसम संगठन का अनुमान है कि अब से 2027 के बीच धरती का तापमान 19वीं सदी के मध्य की तुलना में सालाना 1.5 डिग्री से ज्यादा पर पहुंच जाएगा. यह सीमा महत्वपूर्ण है क्योंकि 2015 के पेरिस समझौते में इसी 1.5 डिग्री सेल्सियस औसत तापमान को दुनिया की सुरक्षा के लिए खतरनाक सीमा माना गया था और विभिन्न देशों ने शपथ ली थी कि इस सीमा को पार होने से रोकने के लिए कोशिश करेंगे.
इससे पहले एक शोध में कहा गया था कि अगर धरती का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ता है तो 15 फीसदी प्रजातियां खत्म हो जाएंगी. धरती जैसे ही 2.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म होगी तो 30 फीसदी प्रजातियां खत्म हो जाएंगी. यूनिवर्सिटी ऑफ केपटाउन, यूनिवर्सिटी ऑफ बफेलो और यूनिवर्सिटी ऑफ कनेक्टिकट ने एक शोध में यह दावा किया है. शोध के लिए वैज्ञानिकों 35 प्रजातियों को शामिल किया था.
एए/सीके (रॉयटर्स, एपी, एएफपी)