स्लीप एपनिया सिंड्रोम से भारत में 40 लाख प्रभावित
२२ सितम्बर २०२१'डेंटल स्लीप मेडिसिन' पर हुए एक सम्मेलन के मुताबिक भारत में करीब 40 लाख लोग, खासकर बुजुर्ग और मोटे लोग ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) सिंड्रोम से पीड़ित हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति सांस लेने में तकलीफ के कारण रात में कई बार जगता है और पूरे दिन सिर दर्द और थकान के साथ सुबह शुष्क मुंह का अनुभव करता है, तो यह ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के कारण हो सकता है.
श्वसन चिकित्सा में ओएसए का आमतौर पर निरंतर पॉजिटिव वायुमार्ग दबाव मशीनों के साथ इलाज किया जाता है, लेकिन दंत चिकित्सा भी आसान प्रबंधन प्रदान करती है.
सरस्वती डेंटल कॉलेज के डीन प्रोफेसर अरविंद त्रिपाठी के मुताबिक , "मोटापा, जीवन शैली का तनाव और दांतों का पूरा गिरना ऊपरी वायुमार्ग में दबाव का कारण बन सकता है. यह सांस लेने पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है. अगर ऐसी स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है और अनुपचारित छोड़ दी जाती है, तो यह शरीर की ऑक्सीजन की आवश्यकता को प्रभावित करती है और हृदय और श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकती है."
दंत चिकित्सा के विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्थिति का इलाज मैंडिबुलर उन्नति उपकरण के साथ किया जा सकता है, एक मौखिक उपकरण जो अस्थायी रूप से जबड़े और जीभ को आगे बढ़ाता है, गले के कसने को कम करता है और वायुमार्ग की जगह को बढ़ाता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के लखनऊ कार्यालय के डॉ अंकुर के मुताबित, "लगभग 80 प्रतिशत रोगियों को नहीं पता कि वे ओएसए से पीड़ित हैं और यह घातक हो सकता है. इसलिए लोगों को इसके बारे में बुनियादी जानकारी होनी चाहिए."
खर्राटों का वक्त पर इलाज न किया जाए तो यह स्लीप एपनिया बीमारी बन सकती है. इस हाल में सोते समय सांस कुछ सेकेंड के लिए रुक जाती है. ऐसे में तीखी आवाज के साथ सांस आती है, ये एपनिया कहलाता है.
एए/वीके (आईएएनएस)