दुनिया में बढ़ रही है मानवीय मदद की जरूरत
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि दुनिया में जिन्हें मानवीय मदद की जरूरत है ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है. अनुमान है कि इस साल के मुकाबले अगले साल करीब चार करोड़ ज्यादा लोगों को मानवीय मदद की जरूरत होगी.
असहाय लोग
मानवीय मामलों के संयोजन के लिए संयुक्त राष्ट्र की संस्था (ओसीएचए) का अनुमान है कि जहां 2021 में 25 करोड़ लोगों को मानवीय मदद या संरक्षण की जरूरत पड़ी, वहीं 2022 में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ कर 27.4 करोड़ हो जाएगी.
बड़ी संख्या
इसका मतलब है दुनिया के हर 29वे व्यक्ति को मदद की जरूरत पड़ेगी. ओसीएचए के मुताबिक, "राजनीतिक अस्थिरता, विस्थापन के बढ़ने, जलवायु परिवर्तन के असर और कोविड-19 के असर की वजह से जरूरतें बढ़ती जा रही हैं."
सब तक नहीं पहुंच पाएगी मदद
संयुक्त राष्ट्र की संस्थाएं चाहती हैं कि वो इनमें से कम से कम 18.3 करोड़ लोगों की मदद कर पाएं, जो 63 देशों में बसे हैं. आपातकालीन राहत संयोजक मार्टिन ग्रिफिथ्स कहते हैं, "मानवीय मदद जिंदगियां बचाती है. अगर दान किया हुआ पैसा सही समय पर पहुंच गया तो वो बर्बाद नहीं होता है."
धन की आवश्यकता
संयुक्त राष्ट्र संस्थाओं का अनुमान है कि इतने लोगों की मदद के लिए उन्हें कुल 4.1 करोड़ डॉलर की आवश्यकता है. यह धनराशि चार साल पहले की राशि से दोगुना ज्यादा है. ग्रिफिथ्स ने यह भी कहा, "मानवीय मदद समाधान का बस एक हिस्सा है. पूरे समाधान के लिए राजनीतिक समाधान भी चाहिए."
संकट ग्रस्त इलाके
इस मदद की जरूरत सबसे ज्यादा अफगानिस्तान, सीरिया, यमन और इथियोपिया जैसे इलाकों में है. अफगानिस्तान में करीब 1.4 करोड़ लोगों के भुखमरी के कगार तक पहुंचने का अनुमान है.
इथियोपिया में गंभीर हालात
ग्रिफिथ्स सबसे ज्यादा चिंतित इथियोपिया के हालात को लेकर हैं जहां सरकार काफी समय से हावी टिग्रे पीपल्स लिबरेशन फ्रंट (टीपीएलएफ) से लड़ रही है. संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों का कहना है टिग्रे प्रांत में लगभग साढ़े तीन लाख लोगों के सामने भुखमरी का संकट खड़ा हो गया है. (डीपीए)