रेस नहीं, दिल जीत लिया
खेलों में अक्सर ऐसा रवैया देखा जाता है कि कुछ भी कर के जीत हासिल करनी है. कई बार ऐसे में लोग अपने प्रतिस्पर्धियों को नुकसान भी पहुंचाते हैं. लेकिन रियो ओलंपिक की दौड़ में इंसानियत की एक मिसाल देखने को मिली.
5000 मीटर की दौड़ के दौरान न्यूजीलैंड की एथलीट निकी हैंबलिन और अमेरिका की एथलीट एबी डेगोस्टीनो आपस में टकरा गईं. उनके पैर एक दूसरे में उलझे और दोनों ट्रैक पर गिर गयीं.
इसके बाद हैंबलिन तो उठ खड़ी हुईं लेकिन डेगोस्टीनो के लिए उठना मुश्किल लगा. हैंबलिन चाहतीं, तो उन्हें वहीं छोड़ कर अपनी रेस पूरी कर सकती थीं लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.
उन्होंने डेगोस्टीनो को अपना हाथ दिया और उठने में मदद की. जब उन्होंने देखा कि डेगोस्टीनो को अब भी चलने में मुश्किल हो रही है, तो उन्होंने उन्हें प्रोत्साहित करते हुए कहा, चलो हमें यह रेस पूरी करनी है.
डेगोस्टीनो को इतनी जोर से चोट लगी थी कि अब वे भाग नहीं सकती थीं. आखिरकार उनके लिए व्हीलचेयर बुलाई गयी. इस दौरान रेस चल रही थी और हैंबलिन इंसानियत का फर्ज अदा कर रही थीं.
अंत में दोनों एक दूसरे के गली लगीं. स्पोर्ट्समैनशिप की इस मिसाल के लिए दोनों एथलीटों की खूब तारीफ हो रही है. रेस के बाद डेगोस्टीनो ने कहा, "मैं इसे कभी नहीं भूलूंगी. 20 साल बाद जब कोई मुझसे रियो के बारे में पूछेगा, तो मैं अपनी ये कहानी सुनाऊंगी."
हैंबलिन ने पत्रकारों को बताया, "मैं गिरी और सोचने लगी, ये हो क्या रहा है? मैं जमीन पर क्यों पड़ी हूं? फिर अचानक मेरे कंधे पर किसी ने हाथ रखा और कहा, उठो, उठो, हमें रेस खत्म करनी है. और मैंने कहा, हां, ये ओलंपिक है, रेस तो पूरी करनी ही है."
डेगोस्टीनो और हैंबलिन रेस से पहले एक दूसरे से कभी नहीं मिली थीं. अब वे रेस हार भले ही गई हों, दिल जीतने में कामयाब हो गई हैं और उन्हें जीवन भर के लिए एक नया दोस्त मिल गया है.
हैंबलिन ने कहा, "मैं उनकी बहुत आभारी हूं कि उन्होंने मेरे लिए ऐसा किया. वह कमाल की महिला हैं. उन्होंने मेरे लिए जो किया, अगर मैं उसका एक फीसदी भी लौटा सकूं, तो मेरे लिए बड़ी बात होगी."